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पाकिस्तान की संसद ने बाल शोषण को लेकर आजीवन कारावास विधेयक पारित किया

विधायिका द्वारा नए कानून के पारित होने पर टिप्पणी करते हुए पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने उम्मीद जताई थी कि ये विधेयक जल्द ही एक कानून बन जाएगा।
पाकिस्तान की संसद ने बाल शोषण को लेकर आजीवन कारावास विधेयक पारित किया

पाकिस्तान की संसद ने 11 मार्च को अपना पहला राष्ट्रीय बाल शोषण कानून ज़ैनब अलर्ट बिल पारित किया। इस कानून के तहत बाल शोषण में लिप्त पाए जाने वालों को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी। यह विधेयक सात साल की बच्ची के जघन्य बलात्कार और हत्या के लगभग दो साल बाद आया है। इसने देश में बाल-शोषण की घटना के मुद्दे को उजागर किया था।

लाहौर के कासुर जिले में ज़ैनब अब्बासी के शव को मलबे से निकाले के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए जिसने आरोपी 24 वर्षीय इमरान अली के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के लिए अधिकारियों को मजबूर किया। इस आरोपी को बाद में दोषी ठहराया गया और सरकारी अभियोजक एहतिशाम शाह द्वारा सीरियल किलर के रूप में बताया गया।


विधायिका द्वारा नए कानून के पारित होने पर टिप्पणी करते हुए पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने उम्मीद जताई थी कि ये विधेयक जल्द ही एक कानून बन जाएगा।

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से उम्मीद है कि वे जल्द ही कानून बनाने के लिए इस पर हस्ताक्षर करेंगे।

बच्चों से जुड़े शोषण के मामले पूरे पाकिस्तान में हैं। लगभग 10 मामले हर दिन सामने आते हैं, जिनमें से कम उम्र की लड़कियां बच्चों से यौन हिंसा करने वालों के हमलों का सबसे ज्यादा शिकार होती हैं। ये नया कानून बच्चे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने के दो घंटे के भीतर पुलिस को मामला दर्ज करने के लिए बाध्य करता है।

बच्चों के लिए एक सुरक्षित वातावरण के लिए काम करने वाली संस्था और बाल शोषण से जुड़े मामलों के लिए काम करने वाले मानवाधिकार संगठन एसएएचएल द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार: “2007 में बाल शोषण के लगभग 2,321 मामले सामने आए वहीं 2008 में 1838, 2009 में 2012, 2010 में 2252 और 2011 में 2303 बाल शोषण के सामने आए थे।"

इसी तरह 2017 में यह 3445 मामलों के आसपास पाई गई, जबकि सच्चाई बताती है कि 2018 में भी बाल शोषण के मामलों में खतरनाक स्तर पर वृद्धि हुई है जिनमें से अधिकांश मामलों के रिपोर्ट सामाजिक दबावों और पाकिस्तानी समाज की रूढ़िवादी प्रकृति के कारण दर्ज नहीं हुए हैं।

2018 की क्रुएल नंबर की रिपोर्ट से पता चलता है कि 65% बाल शोषण के मामले केवल पाकिस्तान के पंजाब में पाए गए इसके बाद सिंध में 25%, खैबर पख्तूनख्वा (केपी) में 3%, बलूचिस्तान में 2% और पाकिस्तान प्रशासित जम्मू-कश्मीर में 21 मामले सामने आए।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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