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फ़िलिस्तीनी पीपल्स पार्टी फ़िलिस्तीनी सरकार से हटी

वामपंथी पार्टी ने अपने फ़ैसले के बावजूद सरकार से इस्तीफ़ा देने से इनकार करने के बाद पीए श्रम मंत्री नारी अबू जैश को अपनी सदस्यता से भी निष्कासित कर दिया।
फ़िलिस्तीनी पीपल्स पार्टी फ़िलिस्तीनी सरकार से हटी

पैलेस्टिनियन पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की केंद्रीय समिति ने 13 जुलाई को पुष्टि की कि उसने पैलेसटिनियन अथॉरिटी के श्रम मंत्री नासरी अबू जैश को अपनी प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है और यह अब मोहम्मद शतायेह के नेतृत्व वाली पीए सरकार का हिस्सा नहीं है। पीपीपी केंद्रीय समिति ने एक बयान जारी कर कहा कि इसका "अब किसी भी रूप में या सरकार में किसी के द्वारा प्रतिनिधित्व नहीं किया जाता है"।

नासरी अबू जैश के निष्कासन पीए सरकार से हटने के अपने 27 जून के फैसले में ऐसा करने के लिए कहने के बावजूद पीए में मंत्री पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। 24 जून को पीए अथॉरिटी द्वारा गिरफ्तारी के तुरंत बाद एक्टिविस्ट निजार बनात की मौत के बाद पीपीपी ने पीए से हटने का फैसला किया था।

बनत की हिरासत में मौत के बाद पीए सरकार के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन किए गए। उन प्रदर्शनों को रोकने के लिए पीए सरकार ने बल प्रयोग किया था। पीपीपी ने मांग की थी कि प्रधानमंत्री मोहम्मद शतयेह के नेतृत्व वाली पीए सरकार को अपनी सरकार के अधीन बनत की मौत और स्वतंत्रता की कमी की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए।

5 जुलाई की अपनी बैठक में केंद्रीय समिति ने वापस लेने के निर्णय की पुष्टि की थी और नासरी अबू जैश को अपने पद से इस्तीफा देने के लिए कहा था। हालांकि रविवार 10 जुलाई को नासरी ने यह दावा करते हुए सरकार के साथ रहने के अपने इरादे की घोषणा की थी कि प्रधानमंत्री शतायेह ने दो बार उनका इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। नासरी के पीए सरकार से हटने से इनकार करने के बाद पीपीपी के महासचिव बासम सल्ही ने फिर दोहराया था कि "नासरी अबू जैश अब पार्टी का सदस्य नहीं है और हम सरकार से बाहर होने के लिए प्रतिबद्ध हैं"।

बयान में पीपीपी ने जोर देकर कहा कि बनात की मौत की परिस्थितियों की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए और उनकी हत्या के लिए जिम्मेदार सभी लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

1922 में गठित पैलेस्टिनियन कम्युनिस्ट पार्टी फिलिस्तीन की सबसे पुरानी पार्टियों में से एक है। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद इसका नाम बदलकर पीपीपी कर दिया गया। यह 1987 से पैलेस्टिनियन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) का सदस्य रहा है। पीपीपी ओस्लो समझौते के बाद 1994 में अपने गठन के बाद से पीए का हिस्सा रहा है।

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