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फ़िलिस्तीनी नागरिकों ने क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक की अवैध इज़रायली बस्ती में पोम्पिओ के दौरे का विरोध किया

फ़िलिस्तीन में ट्रम्प प्रशासन की इज़रायल समर्थक नीतियों को आगे बढ़ाते हुए पोम्पिओ की ये यात्रा संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा "अवैध" बताई गई इन बस्तियों की अमेरिकी राजनयिक की पहली यात्रा होगी।
फ़िलिस्तीनी नागरिकों ने क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक की अवैध इज़रायली बस्ती में पोम्पिओ के दौरे का विरोध किया

अवैध इजरायली बस्ती में यूएस सेक्रेट्री ऑफ स्टेट माइक पोम्पिओ की होने वाली यात्रा के विरोध में बुधवार को क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक में रामल्ला के पास अल-बिरेह शहर में सैकड़ों फिलिस्तीनी इकट्ठा हुए। क़ब्ज़ा करने वाली इज़रायली सेना ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस छोड़े और बलों का प्रयोग किया जिसमें कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए।

पोम्पिओ के 1981 में रामल्ला शहर के पास जबल अल-तवील नामक पहाड़ी पर बनी एक अवैध इजरायली बस्ती सागोत वाइनरी का दौरा करने की उम्मीद है। उनकी यह यात्रा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र द्वारा अवैध मानी जाने वाली इज़रायल की बस्तियों के भीतर अमेरिकी राजनयिक की पहली यात्रा होगी।

फिलिस्तीनियों ने फिलिस्तीन और अवैध बस्तियों पर इजरायल के कब्जे की निंदा करते हुए पोम्पिओ के दौरे से पूर्व इकट्ठा होकर झंडे लहराते हुए नारे लगाए। वे हाथों में तख्ती भी लिए हुए थे जिसमें पोम्पिओ को इज़राइली युद्ध अपराधों में साझीदार लिखा था और उन्हें वापस जाने के नारे लिखे हुए थे।

फिलिस्तीनी समाचार एजेंसी डब्ल्यूएएफए के अनुसार इज़रायल द्वारा छोड़े गए आंसू गैस के गोले से कम से कम चार प्रदर्शनकारियों के दम घुटने लगे। फतह के उपाध्यक्ष महमूद अल-अलउल सहित कई फिलिस्तीनी नेताओं ने इस विरोध प्रदर्शन में भाग लिया और सभा को संबोधित किया। उन्होंने इज़रायल को लेकर भेदभाव के लिए अमेरिकी प्रशासन को दोषी ठहराया और कहा कि डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन अपने कट्टर इजरायल समर्थक निर्णयों के कारण इजरायल के कब्जे और इसके औपनिवेशिक बस्तियों को मज़बूत करने में मदद कर रहा है।

ट्रम्प प्रशासन के अधीन अमेरिका ने फिलिस्तीन-इज़रायल संघर्ष को लेकर कई नीतिगत संधि को तोड़ दिया है जिसमें येरूशेलम को "इजरायल की अविभाजित राजधानी" के रूप में मान्यता और तेल अवीव से अपने दूतावास को स्थानांतरित करना शामिल है। पिछले साल पोम्पिओ ने घोषणा की थी कि अमेरिका अब इजरायल की बस्तियों को अवैध नहीं मानेगा। सागोट की उनकी यात्रा को क़ब्ज़ा किए गए फिलिस्तीनी भूमि पर बनी अवैध बस्तियों को वैध करने के लिए एक प्रतीकात्मक संकेत के रूप में देखा जाता है।

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