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संसद अपडेट: लोकसभा में मतविभाजन के जरिये ‘दंड प्रक्रिया (पहचान) विधेयक’ पेश, राज्यसभा में उठा महंगाई का मुद्दा

लोकसभा में सोमवार को ‘दंड प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022’ और संविधान (अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक पेश किया गया।
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नयी दिल्ली: लोकसभा में सोमवार को उत्तर प्रदेश से संबंधित ‘संविधान (अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2022’ लाया गया, जबकि विपक्ष ने केंद्र सरकार से देश में विभिन्न समुदायों को जनजातियों की सूची में शामिल करने से संबंधित अलग-अलग विधेयक लाने के बजाय एक समग्र विधेयक लाने की मांग की। इसके अलावा अपराधियों के रिकॉर्ड रखने में आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति देने वाला विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। इसका भी विपक्ष ने कड़ा विरोध किया और इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया।

इसके अलावा राज्यसभा में वित्त विधेयक पर हुयी चर्चा के दौरान महंगाई का भी मुद्दा उठा। इसका बचाव करते हुए भाजपा सदस्य सुशील मोदी ने दावा किया कि यदि रूस एवं यूक्रेन का युद्ध नहीं होता तो अभी तक सरकार ने महंगाई पर लगाम लगा दी होती।

अपराधियों के रिकॉर्ड रखने में आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति देने वाला विधेयक लोकसभा में पेश

सरकार ने सोमवार को लोकसभा में ‘दंड प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022’ पेश किया जिसमें किसी अपराध के मामले में गिरफ्तार और दोषसिद्ध अपराधियों का रिकॉर्ड रखने के लिये अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है।

संसद के निचले सदन में 58 के मुकाबले 120 मतों से विधेयक को पेश करने की मंजूरी दी गयी। इस विधेयक को हाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी।

विधेयक पेश करते हुए गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि मौजूदा अधिनियम को बने 102 साल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि उसमें सिर्फ फिंगर प्रिंट और फुटप्रिंट लेने की अनुमति दी गई, जबकि अब नयी प्रौद्योगिकी आई है और इस संशोधन की जरूरत पड़ी है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह छोटा विधेयक है। इससे जांच एजेंसियों को मदद मिलेगी और दोषसिद्धि भी बढ़ेगी...कानून मंत्रालय और सभी संबंधित पक्षों के साथ लंबी चर्चा के बाद यह विधेयक लाया गया है।’’

मिश्रा ने विपक्ष के सदस्यों की आपत्ति के जवाब में कहा कि मौजूदा प्रस्ताव किसी भी दृष्टि से मनमाना नहीं है।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने जब लखीमपुर खीरी मामले को लेकर मिश्रा पर कुछ टिप्पणी की तो मिश्रा ने कहा, ‘‘मैंने 2019 में नामांकन पत्र भरा था। अगर मैं एक भी मिनट के लिए जेल गया हूं, मेरे खिलाफ एक भी मामला हो तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा।’’

इस बीच, विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह अनुच्छेद 20 और 21 का उल्लंघन है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस सदन को यह चर्चा करनी चाहिए कि क्या सत्तापक्ष को यह अधिकार है कि वह ऐसा विधेयक लाए जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर कुठाराघात करता हो।’’

आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने आरोप लगाया कि इस विधेयक के जरिये संविधान के कई अनुच्छेदों का उल्लंघन किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर मान लीजिए मेरे खिलाफ कोई मामला दर्ज होता है तो मेरा डीएनए जांचा जाएगा। इसका क्या मतलब है? यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।’’

उन्होंने दावा किया कि अगर यह कानून यहां से पारित होता है तो यह न्यायपालिका में नहीं ठहर पाएगा।

तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि फिंगर टेस्ट करने और जैविक नमूने लेने की क्या जरूरत है? क्या अपराध अचानक से बढ़ गया है? यह विधेयक मानवाधिकारों का हनन करता है और संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

उन्होंने गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘मैं आग्रह करता हूं कि गृह मंत्री (अमित शाह) इस बारे में समझाएं। टेनी जी क्या समझाएंगे।’’

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि देश की शीर्ष अदालत ने पुट्टूस्वामी मामले में जो निजता के अधिकार की बात कही थी, यह विधेयक उसका उल्लंघन करता है और यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है।

बसपा के रितेश पांडे ने कहा कि संविधान में नागरिकों को जो मूल अधिकार दिए गए हैं, उनका हनन हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत सरकार चाहती है कि लोगों को भय में रखा जाए। पांडे ने कहा कि नागरिकों के ऊपर मानसिक रूप से दबाव बनाया जा रहा है कि लोग अपने अधिकारों की बात करने से डरें।

कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी सदस्यों ने विधेयक पेश करने पर मत-विभाजन की मांग की।

इसके बाद हुए मत-विभाजन में विधेयक पेश करने की अनुमति दिए जाने के पक्ष में 120 वोट पड़े तथा 58 मत विरोध में पड़े।

इस विधेयक के माध्यम से वर्ष 1920 के कैदियों की पहचान संबंधी कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। औपनिवेशिक ब्रिटिश काल के वर्तमान कानून में उन दोष सिद्ध अपराधियों और अपराध के मामले में गिरफ्तार लोगों के शरीर के सीमित स्तर पर माप की अनुमति दी गई है जिसमें एक वर्ष या उससे अधिक सश्रम कारावास का प्रावधान होता है।

इस विधेयक में दोषियों और अपराध के मामले में गिरफ्तार लोगों का विभिन्न प्रकार का ब्यौरा एकत्र करने की अनुमति देने की बात कही गई है जिसमें अंगुली एवं हथेली की छाप या प्रिंट, पैरों की छाप, फोटो, आंखों की पुतली, रेटिना और लिखावट के नमूने आदि शामिल हैं।

सरकार का मानना है कि अधिक से अधिक ब्यौरा मिलने से दोष सिद्धि दर में वृद्धि होगी और जांचकर्ताओं को अपराधियों को पकड़ने में सुविधा होगी।

‘संविधान (अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक’ लोस में पेश

सरकार ने उत्तर प्रदेश से संबंधित ‘संविधान (अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2022’ सोमवार को लोकसभा में पेश किया।

इस विधेयक में संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश, 1950 और संविधान (अनुसूचित जनजातियां) उत्तर प्रदेश आदेश, 1967 का संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है

विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि फिलहाल अनुसूचित जातियों और जनजातियों से संबंधित तीन विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में पड़े हुए हैं। ये भी जातियों के नाम जोड़ने और इससे बाहर रखने से संबंधित हैं।

उन्होंने कहा कि एक-एक करके विधेयक नहीं लाना चाहिए, बल्कि सरकार को समग्र रूप से विधेयक लाना चाहिए।

कांग्रेस नेता ने इस विधेयक को हाल में संपन्न उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से जोड़ने का प्रयास किया तो जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, ‘‘यह विधेयक उत्तर प्रदेश से संबंधित है। चुनाव हो चुके हैं। इस विधेयक का चुनाव से कोई संबंध नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि इस बारे में पहले सदन ने स्वीकृति दी थी। मंत्री ने कहा कि अधिसूचना जारी होने के समय कुछ जिलों का बंटवारा हो गया था और अब उन जिलों का उल्लेख करते हुए यह विधेयक फिर से लाया गया है।

इसके बाद उन्होंने विधेयक सदन में पेश किया।

विपक्ष ने आगामी त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर संसद में विधेयक लाने का सरकार पर आरोप लगाया

लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने केंद्र सरकार से देश में विभिन्न समुदायों को जनजातियों की सूची में शामिल करने से संबंधित अलग-अलग विधेयक लाने के बजाय एक समग्र विधेयक लाने की मांग की, साथ ही आरोप लगाया कि कुछ महीने बाद होने वाले त्रिपुरा विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सदन में संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक लाया गया है।

इस विधेयक में त्रिपुरा राज्य के संबंध में ‘डार्लोंग’ समुदाय को अनुसूचित जनजातियों की सूची की प्रविष्टि 9 में ‘कुकी’ की उपजाति के रूप में सम्मिलित करने का प्रावधान है।

लोकसभा में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने त्रिपुरा राज्य से संबंधित ‘संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2022’ पर चर्चा एवं पारित होने के लिये रखा।

मुंडा ने सदन में कहा कि केंद्र सरकार जनजातीय समुदायों के विकास के लिए लगातार काम कर रही है और इस तरह के विधेयक के माध्यम से वह सुनिश्चित करना चाहती है कि किसी भी राज्य के आदिवासी प्रकृति वाले समुदायों को मान्यता मिले।

विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के विद्युत बोरदोलोई ने कहा कि जाहिर है कि हम इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन सरकार द्वारा अचानक से सदन में इस विधेयक को लाने के पीछे कुछ महीने बाद आने वाले त्रिपुरा विधानसभा चुनाव से जुड़ी राजनीतिक वजह दिखाई देती है।

उन्होंने यह भी कहा कि समुदायों को आदिवासी का दर्जा देने के साथ ही उनके विकास के लिए प्रावधानों का भी उल्लेख होना चाहिए।

बोरदोलोई ने संसद की एक समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग पिछले चार साल से निष्क्रिय है और उसने एक भी रिपोर्ट नहीं दी है, यह ‘शर्म की बात’ है और जनजातीय समुदायों के विकास के संबंध में सरकार के ‘खोखलेपन’ को दिखाता है।

अरुणाचल प्रदेश से भाजपा सांसद तापिर गाव ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि उनके राज्य में नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार ने पिछले साल 12 जनजातियों को मान्यता दी है और देश की आजादी के 75 वर्ष के बाद ऐसा हुआ है।

उन्होंने कहा कि ‘त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद’ (टीटीएएडीसी) को राज्य के साथ केंद्र सरकार को भी धन देना चाहिए। गाव ने सरकार से यह अनुरोध भी किया कि जनजातीय क्षेत्रों में धन आवंटन से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन पर निगरानी की व्यवस्था भी होनी चाहिए ताकि योजनाओं का लाभ सही में आदिवासियों को मिले।

भाजपा सांसद ने की वित्त मंत्री से क्रिप्टो करेंसी पर अधिक कर लगाने की मांग

राज्यसभा में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में क्रिप्टो करेंसी पर 30 प्रतिशत कर लगाने का जो प्रस्ताव किया है, वह अपर्याप्त है और इस पर ऊंची दर से कर लगाने पर विचार किया जाना चाहिए।

उन्होंने सरकार से ‘ऑनलाइन गेमिंग, ऑनलाइन लैंडिंग’ (डिजिटल तरीके से कर्ज देना) पर लगाम कसने एवं वर्तमान चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए आईटी कानून में बदलाव के भी सुझाव दिए।

उच्च सदन में वित्त विधेयक 2022-23 पर चर्चा में भाग लेते हुए भारतीय जनता पार्टी सदस्य ने यह बात कही। सुशील मोदी ने क्रिप्टो करेंसी को एक ‘‘जुआ’’ करार देते हुए वित्त मंत्री से अनुरोध किया कि वह इस पर कर दर बढ़ाने के बारे में विचार करें। उन्होंने कहा कि शेयर बाजार में निवेशक को मालूम होता है कि इस शेयर के पीछे टाटा या अन्य कंपनी है किंतु क्रिप्टो करेंसी के निवेशक को कुछ नहीं मालूम कि इसके पीछे कौन है?

उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून बीस साल पुराना है और इसमें बदलाव किया जाना चाहिए ताकि यह वर्तमान चुनौतियों का मुकाबला कर सके। उन्होंने वित्त मंत्री से ‘ऑनलाइन गेंमिग और ऑनलाइन लैंडिग’ पर भी लगाम लगाने की मांग की।

उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार ने बैंक से धोखाधड़ी करने के मामले में विजय माल्या सहित विभिन्न आरोपियों के खिलाफ कदम उठाये किंतु महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल एवं पंजाब सहित छह राज्यों की सरकारों ने बैंक धोखधड़ी के मामले में पिछले डेढ़ साल से जांच की अनुमति नहीं दी है।

महंगाई बढ़ने के विपक्ष के आरोपों पर उन्होंने कहा कि इस दौरान अमेरिका जैसे देशों को इतनी महंगाई झेलनी पड़ रही है जो वहां पिछले 40 सालों में नहीं देखी गयी। उन्होंने कहा कि अमेरिका में उपभोक्ता सूचकांक 7.9 प्रतिशत तक पहुंच गया। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में महंगाई की दर 30 साल में सबसे अधिक 6.2 प्रतिशत पर पहुंच गयी और भारत में मुद्रास्फीति दर 6.07 प्रतिशत रही।

उन्होंने दावा किया कि यदि रूस एवं यूक्रेन का युद्ध नहीं होता तो अभी तक सरकार ने महंगाई पर लगाम लगा दी होती।

कांग्रेस ने महंगाई पर सरकार को घेरा, कहा : देश का ही नहीं, हर घर का बजट बिगड़ा हुआ है

राज्यसभा में सोमवार को कांग्रेस ने पेट्रोल एवं डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण महंगाई को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार को घेरते हुए कहा कि आज देश ही नहीं, हर घर का बजट बिगड़ा हुआ है।

उच्च सदन में वित्त विधेयक पर हुयी चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि देश का बजट नहीं हर घर का बजट बिगड़ा है, जिससे लोगों को बहुत दिक्कतें आ रही हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण परिवार के कमाने वाले सदस्यों को गंवाने वालों से जाकर पूछा जाए कि उनके लिए इस महंगाई की क्या पीड़ा है?

उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में वैयक्तिक वर्ग में आयकर राहत देने की बात कही गयी है किंतु इस बजट में ऐसी कोई घोषणा नहीं की गयी। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान वेतनभोगी वर्ग ने सबसे अधिक संकट झेले हैं।

गोहिल ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण बार बार यह कहती हैं कि 32 देशों ने कोरोना महामारी के दौरान करों की दरें बढ़ायी हैं। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री को यह बताना चाहिए कि इन देशों ने कोरोना काल में अपने नागरिकों की कितनी हद तक मदद की है? उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश की सरकार लोगों से कर वसूल कर उन अमीरों की मदद करती है जो अपने पैरों पर खड़े होने में सक्षम हैं, जबकि कर देने वाला वर्ग कोरोना के कारण बुरी तरह परेशान है।’’

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पेट्रोल एवं डीजल के ऊपर उत्पाद कर बढ़ाकर करोड़ों रूपये अर्जित किए हैं। कांग्रेस सदस्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब पेट्रोल एवं डीजल की कीमत बढ़ने पर उन्होंने कई बार मूल्य वर्धित कर (वैट) को कम करने की मांग यह कहते हुए ठुकरा दी थी कि केंद्र द्वारा थोपी गयी महंगाई को घटाना उसकी जिम्मेदारी है, राज्य की नहीं।

गोहिल ने कहा कि जो रसोई गैस सिलेंडर 400 रूपये का हुआ करता था, वर्तमान सरकार ने उसे 1000 रूपये तक पहुंचा दिया है। उन्होंने कहा कि बजट में सौर ऊर्जा से संबंधित कई सामग्री पर सीमा शुल्क को बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार के इस कदम से देश में हरित ऊर्जा को बढ़ावा मिल पाएगा?

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उद्यम सेवा आधारित होता है, लाभ आधारित नहीं होता। उन्होंने कहा कि आज यदि बीएसएनएल या रेलवे नहीं होता तो छोटे छोटे गांवों में इनकी सुविधा कैसे पहुंच पाती?

उन्होंने कहा कि एक तरफ दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल से कहा जाता है कि वह अपना सारा सामान भारतीय बाजार से खरीदे जबकि निजी कंपनी विदेशी बाजारों से अपना सामान खरीदते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में यह उम्मीद कैसे की जा सकती है कि बीएसएनएल निजी दूरसंचार कंपनियों से प्रतिस्पर्धा कर पाएगी?

गोहिल ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘जियो को जीने दो पर बीएसएनएल को मत मरने दो।’’

सेना में ‘आदिवासी रेजीमेंट’ बनाई जाए: कांग्रेस सांसद

कांग्रेस सांसद बालूभाऊ धानोरकर ने सोमवार को लोकसभा में सरकार से आग्रह किया कि सेना में ‘आदिवासी रेजीमेंट’ बनाई जाए ताकि आदिवासी युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

उन्होंने सदन में नियम 377 के तहत यह विषय उठाया।

धानोरकर ने यह भी कहा कि आदिवासी लोगों के लिए ‘वनवासी’ और ‘गिरिजन’ जैसे ‘अपमानजनक शब्दों’ का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘आदिवासी को वनवासी और गिरिजन कहना सही नहीं है। आदिवासी को आदिवासी कहना सही होगा। आदिवासियों के लिए इस तरह के अपमानजनक शब्दों के उपयोग को रोकने के लिए प्रावधान होना चाहिए।’’

कांग्रेस सांसद ने कहा कि सेना में ‘आदिवासी रेजीमेंट’ होनी चाहिए। इससे जनजातीय युवाओं को सेना में शामिल करने के लिए उत्साहित किया जा सकेगा।

दिल्ली सरकार के अनुसार चोरी के कारण ढह गया था घोघा आवास परिसर का एक हिस्सा : केंद्र

केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को दिल्ली सरकार के हवाले से संसद में कहा कि फरवरी में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के घोघा आवास परिसर का एक हिस्सा बड़े पैमाने पर चोरी किए जाने के कारण ढह गया था।

पुरी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार से मिली सूचना के अनुसार दिल्ली में रहने वाले शहरी गरीबों को राजीव रतन आवास योजना (आरआरएवाई) में आवास उपलब्ध कराने की परिकल्पना की गई थी।

उन्होंने कहा कि यह स्वतंत्र योजना नहीं थी और आवास का निर्माण जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत किया गया था। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत निर्मित घोघा आवास परिसर में 32 आवासों का एक ब्लॉक ढह गया था। इसका निर्माण आर्थिक रूप से कमजोर लोगों (ईडब्ल्यूएस) लोगों के लिए किया गया था।

पुरी राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि इन आवासों का निर्माण 2007 से 2010 के बीच तत्कलीन दिल्ली सरकार द्वारा किया गया था लेकिन उनका अब तक आवंटन नहीं किया गया था।

उन्होंने कहा कि 11 फरवरी, 2022 को हुयी इस घटना के बारे में दिल्ली सरकार ने बताया कि कोविड महामारी के दौरान असामाजिक तत्वों द्वारा बड़े पैमाने पर चोरी किए जाने के कारण मकानों को नुकसान हुआ।

पुरी ने अब तक आवासों को खाली रखने और उनका आवंटन नहीं किए जाने को लेकर सवाल उठाया और कहा कि अब भी 35,000 फ्लैट खाली हैं और केंद्र ने राज्य सरकार से कहा कि वे खाली मकान केंद्र सरकार को मुहैया कराए। उन्होंने कहा कि ये मकान उन लोगों को अस्थायी तौर पर मुहैया कराए जा सकते हैं जो रोजगार की तलाश में बाहर से यहां आते हैं।

पुरी ने चोरी को आपराधिक कृत्य बताया और कहा कि परिसर के मकानों के रखरखाव के साथ-साथ उचित गुणवत्ता वाले आवास का निर्माण संबंधित राज्य सरकारों का उत्तरदायित्व है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने सूचित किया है कि तृतीय पक्ष गुणवत्ता निगरानी एजेंसियों द्वारा परियोजनओं के निर्माण कार्य की निगरानी की गयी थी।

यूजीसी ने मुक्त दूरस्थ शिक्षा और ऑनलाइन कार्यक्रम संबंधी नियमन में संशोधन का प्रस्ताव किया

शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने मुक्त दूरस्थ शिक्षा (ओडीएल) और ऑनलाइन कार्यक्रम संबंधी नियमन में संशोधन का प्रस्ताव किया है।

लोकसभा में विजय वसंत एवं रवनीत सिंह के प्रश्न के लिखित उत्तर में शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यह बात कही।

शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने मुक्त दूरस्थ शिक्षा (ओडीएल) और ऑनलाइन कार्यक्रम विनियमों में संशोधन का प्रस्ताव किया है।

उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं संबद्धता परिषद (नैक) के 4 अंकों के पैमाने पर न्यूनतम 3.26 के स्कोर वाले या तीन पूर्ववर्ती चक्रों में कम से कम दो बार राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग ढांचा (एनआईआरएफ) के तहत शीर्ष 100 रैंक वाले स्वायत्त कालेजों को आयोग के पूर्व अनुमोदन के बिना ऑनलाइन प्रारूप में कार्यक्रमों को पेश करने की अनुमति दी जा सकती है।

मंत्री ने बताया कि उच्च शिक्षण संस्थान (एचईआई) तकनीकी रखरखाव, पठन पाठन संबंधी प्लेटफार्म, विज्ञापन और विपणन आदि के उद्देश्य से शैक्षणिक प्रौद्योगिकी फर्मों की सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि शैक्षिक प्रौद्योगिकी फर्मों की सहायता से या इसके बिना ऑनलाइन कार्यक्रम को पेश करने की पूरी जिम्मेदारी हालांकि एचईआई की होगी। ऐसे कार्यक्रमों के संबंध में कोई भी विज्ञापन या विपणन गतिविधि सिर्फ और स्पष्ट रूप से उच्चतर शिक्षण संस्थान के नाम पर होगी।

प्रधान ने बताया कि विभिन्न पक्षकारों से सुझाव प्राप्त करने के लिये प्रस्तावित संशोधन को यूजीसी की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।

भाजपा सांसद ने पश्चिम बंगाल में अनुच्छेद 355 लागू करने की मांग की

पश्चिम बंगाल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद सौमित्र खान ने पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था नहीं होने और राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पर ‘‘हमला होने’’ का आरोप लगाते हुए राज्य में अनुच्छेद 355 को लागू करने की मांग की।

शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए खान ने कहा कि उन्होंने अपने सात साल के संसदीय कार्यकाल में कभी संसद में किसी सदस्य पर हमला होते नहीं देखा, लेकिन ‘‘आज पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पर हमला किया गया’’।

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र नहीं है और ‘‘मैं राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मांग करता हूं कि राज्य में अनुच्छेद 355 लागू करना चाहिए’’।

अनुच्छेद 355 केंद्र को किसी राज्य को बाह्य आक्रमण और आंतरिक अशांति से बचाने के लिए हस्तक्षेप करने का अधिकार देता है।

मेरे खिलाफ एक भी मामला हो तो राजनीति से संन्यास ले लूंगा: अजय मिश्रा

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि अगर उनके खिलाफ एक भी मामला दर्ज हो तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे।

उन्होंने सदन में ‘दंड प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022’ पेश किए जाने के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की एक टिप्पणी के जवाब में यह बात कही।

मिश्रा जब विधेयक से जुड़े बिंदुओं को सदन में रख रहे थे तो अधीर रंजन चौधरी ने कुछ टिप्पणी की।

चौधरी का आशय संभवत: पिछले साल उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में घटी हिंसक घटना से था जिसमें कुछ किसानों की मौत हो गई थी। इस मामले में मिश्रा के पुत्र आरोपी हैं।

कांग्रेस नेता की टिप्पणी का प्रतिवाद करते हुए मिश्रा ने कहा, ‘‘मैं अधीर रंजन चौधरी जी को बताना चाहता हूं कि मैंने 2019 में नामांकन पत्र भरा था। अगर मेरे खिलाफ एक भी मामला हो, अगर मैं एक भी मिनट के लिए जेल गया हूं, तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा।’’

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