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केरल में शांतिपूर्वक 73 फीसदी से अधिक मतदान

ऐन मतदान के मौके पर एक बार फिर विपक्ष की और से सबरीमाला का मुद्दा छेड़ने की कोशिश की गई। इसे लेकर केरल के कानून मंत्री ए के बालन ने चुनाव आयोग से शिकायत की है।
केरल में शांतिपूर्वक 73 फीसदी से अधिक मतदान
Image courtesy : NDTV

तिरूवनंतपुरम: केरल में विधानसभा चुनाव के लिये मतदाताओं में खासा उत्साह देखने को मिला। शाम सात बजे तक 73.58 फीसदी मतदान की ख़बर है। प्रदेश में कुल दो करोड़ 74 लाख मतदाता हैं। इस दौरान पूरे राज्य में लगभग शांति बनी रही।

हां, ऐन मतदान के मौके पर एक बार फिर विपक्ष की और से सबरीमाला का मुद्दा छेड़ने की कोशिश की गई। इसे लेकर केरल के कानून मंत्री ए के बालन ने चुनाव के दिन ‘‘परंपराओं और देवताओं के नामों का अभूतपूर्व तरीके से दुरुपयोग’’ करने को लेकर विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला और नायर सर्विस सोसाइटी के प्रमुख जी. सुकुमारन नायर के खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत की।

केरल में कोविड-19 स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन करते हुये विधानसभा के लिये मंगलवार को सुबह सात बजे मतदान प्रारंभ हुआ। शाम को छह बजे से सात बजे का समय कोविड संक्रमितों एवं पृथक-वास में रहने वाले मरीजों के मतदान के लिये रखा गया था।

भारत निर्वाचन आयोग ने बताया कि 73.69 प्रतिशत पुरूष मतदाताओं, 73.48 फीसदी महिला मतदाताओं एवं 37.37 प्रतिशत ट्रांसजेंडर मतदाताओं ने प्रारंभिक आकलन के अनुसार मतदान किया है।

प्रदेश में दोपहर बाद तक मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया और मध्य केरल में बारिश के कारण इसमें कुछ कमी आयी ।

प्रदेश के 140 विधानसभा सीटों के लिये मंगलवार को मतदान कराया गया और इसके लिये राज्य भर में 40,771 मतदान केंद्र बनाये गये थे।

मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन (धर्मादम), विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला (हरिपद), वरिष्ठ कांग्रेस नेता ओमान चांडी (पुथुपल्ली), प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के सुरेंद्रन (कोन्नी एवं मंजेश्वरम) एवं मेट्रो मैन ई श्रीधरन (पलक्कड़) दोपहर से पहले मतदान करने वालों में शामिल रहे।

विजयन के अलावा उनकी कैबिनेट के 11 सहयोगी समेत चुनाव मैदान में कुल 957 उम्मीदवार हैं ।

केरल में 2016 के विधानसभा चुनाव में 77.53 प्रतिशत मतदाना हुआ जबकि 2019 में हुये लोकसभा चुनाव के दौरान 77.84 फीसदी मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।

प्रदेश में 2020 में हुये स्थानीय निकायों के चुनाव में 76.2 प्रतिशत मतदान हुआ था।

सूत्रों के अनुसार, प्रदेश के कन्नूर, कोझीकोड़, पालक्कड़ एवं त्रिशूर जैसे उत्तरी जिलों के विधानसभा क्षेत्रों में अपेक्षाकृत मतदान प्रतिशत अधिक है जबकि दक्षिणी जिलों पठनमथिट्टा और इडुक्की में मतदान प्रतिशत कम है ।

कुछ तकनीकी गड़बड़ियों एवं फर्जी मतदान की छिटपुट शिकायतों को छोड़ कर प्रदेश में शांतिपूर्ण एवं सुचारू मतदान हुआ है ।

केरल में सीधा-सीधा मुक़ाबला कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ़्रंट (UDF) और सीपीआई (M) के नेतृत्व वाले लेफ़्ट डेमोक्रेटिक फ़्रंट (LDF) के बीच है। 2016 में एलडीएफ़ ने 91 सीटें जीती थीं,जबकि यूडीएफ़ को 47 और बीजेपी को एक सीट मिली थी। सत्तारूढ़ एलडीएफ़ दो बड़े मोर्चों पर अपनी सरकार की कामयाबियों पर सवार होकर सत्ता में एक इतिहास बनाने वाली वापसी की ओर देख रहा है, इन दो कामयाबियों में एक वायरस के प्रकोप (निपा और कोविड) और दूसरी 2017 और 2018 में दो भीषण बाढ़ जैसी आपदाओं की एक श्रृंखला के दौरान व्यापक और बेहद सतर्कता से निपटने वाले राहत कार्य है।

केरल के कानून मंत्री ने चेन्निथला, एनएसएस प्रमुख के खिलाफ आयोग में शिकायत की

पलक्कड़: केरल के कानून मंत्री ए के बालन ने चुनाव के दिन ‘‘परंपराओं और देवताओं के नामों का अभूतपूर्व तरीके से दुरुपयोग’’ करने को लेकर विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला और नायर सर्विस सोसाइटी के प्रमुख जी. सुकुमारन नायर के खिलाफ मंगलवार को चुनाव आयोग से शिकायत की।

सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश का मुद्दा सत्तारूढ़ एलडीएफ के खिलाफ विपक्षी यूडीएफ और राजग के प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक है और यह मंगलवार को भी केंद्र में बना रहा।

बालन ने अपनी शिकायत में कहा, ‘‘यूडीएफ और भाजपा इस चुनाव के दौरान परंपराओं और देवताओं के नामों का अभूतपूर्व तरीके से दुरुपयोग कर रहे हैं। चुनाव आयोग को इस तरह की घटनाओं पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि एनएसएस प्रमुख ने मतदान के दिन सुबह लगभग 7.30 बजे चुनाव को आस्तिक और नास्तिक के बीच लड़ाई के तौर पर पेश किया।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके तुरंत बाद, विपक्ष के नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवान अयप्पा के प्रकोप का सामना करेंगे और आस्तिक लोग नास्तिक मुख्यमंत्री से बदला लेंगे।’’

मंत्री ने कहा कि बयान संविधान और जनप्रतिनिधि कानून के खिलाफ है और यह विपक्षी दलों द्वारा इसलिए दिये गए क्योंकि उन्हें चुनाव में ‘‘जबर्दस्त हार’’ की आशंका है।

एलडीएफ सरकार द्वारा 2018 के उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करने का निर्णय लेने के बाद केरल में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा हिंसक विरोध प्रदर्शन किये गए थे। न्यायालय ने अपने उस फैसले में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को सबरीमाला में भगवान अयप्पा के पहाड़ी मंदिर में प्रार्थना करने की अनुमति दी थी, जहां 10-50 वर्ष आयु की महिलाओं को पूजा करने पर रोक थी।

मंगलवार को हिंदू नायर समुदाय के संगठन एनएसएस के महासचिव सुकुमारन नायर ने कहा कि केरल के लोग राज्य में शासन में बदलाव चाहते हैं।

उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करने के लिए सत्तारूढ़ एलडीएफ पर परोक्ष तौर पर निशाना साधते हुए नायर ने कहा कि अयप्पा भक्तों का विरोध अभी भी बना हुआ है।

इसके जवाब में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि नायर राज्य सरकार के खिलाफ कुछ भी कहेंगे। उन्होंने कन्नूर में वहां एक स्कूल में वोट डालने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘वह एक अयप्पा भक्त हैं। अयप्पा और अन्य सभी भगवान इस सरकार के साथ हैं, जिसने सभी धर्मों के लोगों के हितों की रक्षा की है।

भगवान हमेशा उन लोगों के साथ होते हैं जो लोगों के लिए अच्छा काम करते।’’

मुख्यमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चेन्निथला ने यह जानने का प्रयास किया कि क्या नास्तिक विजयन चुनाव जीतने के लिए भगवान अयप्पा का आशीर्वाद मांग रहे हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘न तो भगवान अयप्पा और न ही उनके भक्त उनकी भावनाओं को आहत करने के लिए वाम सरकार को माफ करेंगे।’’

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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