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पंजाब के पूर्व विधायकों की पेंशन में कटौती, जानें हर राज्य के विधायकों की पेंशन

आपके आसपास सरकार भले ही काम न करे, लेकिन चुने हुए विधायकों के आराम की पूरी व्यवस्था की जाती है, उनके रिटायर होने पर भी उनका पूरा ख़याल रखा जाता है। हालांकि पंजाब सरकार ने इसमें कटौती का फ़ैसला लिया है।
Bhagwant Mann

हिंदुस्तान की राजनीतिक धुरी में अब आम आदमी पार्टी ने भी ख़ुद को मज़बूती से स्थापित कर लिया है। जिसका एक नज़राना आम आदमी पार्टी ने पंजाब से कांग्रेस को हटाकर और ख़ुद की सरकार बनाकर पेश किया। दिल्ली से चलकर पंजाब पहुंची आम आदमी पार्टी ने सरकार बनाते ही एक के बाद कई ऐसे फैसले कर दिए, जिसके बारे में भाजपा और कांग्रेस विचार ही करती रह गईं। इसमें सबसे बड़ा फैसला सत्ता में बैठे और पूर्व विधायकों को मिलने वाली सुविधाओं में कटौती रहा। चुनावों से पहले जिस भगवंत मान का दूसरी पार्टियां माखौल बना रही थीं, मुख्यमंत्री बनने के बाद उसी भगवंत मान के इस फैसला का सभी राजनीतिक दलों को न चाहते हुए स्वागत करना पड़ा।

पूर्व विधायकों की पेंशन में कटौती

दरअसल पंजाब में अब पूर्व विधायकों को सिर्फ एक टर्म की ही पेंशन मिलेगी। यानी कोई नेता कितनी बार भी विधायक रहा हो उसे पैसा और सुविधाएं एक ही कार्यकाल के हिसाब से दिया जाएगा। इतना ही नहीं पूर्व विधायकों को जो फैमिली भत्ते मिलते है उनमें भी कटौती की जाएगी। किसी भी पार्टी का उम्मीदवार चाहे कितनी भी बार का विधायक रहा हो उसे एक ही पेंशन मिलेगी। इसी अनुपात में फैमिली पेंशन भी कम होगी।

इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक वीडियो जारी कर दी थी। उन्होंने इस वीडियो में कहा था कि अधिकारियों को इसे लेकर उचित कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इस फैसले से सरकारी खजाने पर बोझ कम होगा, जो पैसा बचेगा उसे लोगों के कल्याण में लगाया जाएगा।

भगवंत मान ने पूर्व विधायकों की पेंशन की बात को बेरोज़गारी के साथ जोड़ा, उन्होंने कहा बेरोजगारी बहुत बड़ा मुद्दा है। युवा डिग्रियां ले रहे हैं, लेकिन नौकरी मांगने पर उन्हें लाठियां मिलती हैं। सड़कों पर युवाओं की पगड़ी उतरती है, फिर भी नौकरी नहीं मिलती। अगर मिलती है तो अच्छा वेतन नहीं मिलता। अब युवाओं को लेकर सरकार फैसले लेगी जिनसे उनको रोजगार के साथ साथ अच्छा वेतन मिले। बेरोजगारी को खत्म करने के लिए ऐसी घोषणाएं जरूरी है।

कांग्रेस, शिअद ने किया स्वागत

दिलचस्प बात है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने पेंशन न लेने के लिए स्पीकर को पत्र लिखा था। बादल 11 बार विधायक और पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। बादल ने इच्छा जताई थी कि उनकी पेंशन को शिक्षा के लिए खर्च किया जाए। अगर किसी जरूरतमंद की पढ़ाई पर खर्च हो तो ये ज्यादा बेहतर होगा। शिरोमणि अकाली दल ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। इसके अलावा कांग्रेस के पूर्व मंत्री परगट सिंह ने भी फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे खजाने पर वित्तीय बोझ कम होगा। उन्होंने कहा कि प्रमुख विपक्षी पार्टी के तौर पर हम साकारात्मक भूमिका अदा करेंगे।

अब एक बार इसे आंकड़ों के ज़रिए समझ लेते हैं कि पंजाब में हर महीने विधायकों को कितना खर्च मिलता है:

  • वेतन 25 हजार रुपये
  • अनुपूरक भत्ता 5000 रुपये
  • विधानसभा क्षेत्र भत्ता 25 हजार रुपये
  • प्रति महीना आफिस भत्ता 10 हजार रुपये
  • आतिथ्य भत्ता 3000 रुपये
  • पानी और बिजली भत्ता 1000 रुपये
  • टेलीफोन भत्ता 15 हजार रुपये
  • यात्रा भत्ता 15 रुपये प्रति किलोमीटर
  • मीटिंगों में शामिल होने पर रोजाना भत्ता 1500 रुपये
  • निशुल्क ट्रैवल सुविधा
  • तीन लाख रुपये प्रति वर्ष ट्रैवलिंग भत्ता
  • रेलवे में फर्स्ट क्लास का टिकट, अपनी गाड़ी से 15 रुपये प्रति किलोमीटर
  • मेडिकल अलाउंस इलाज का सारा खर्च सरकार की ओर से वहन किया जाता है
  • कर्ज की सुविधा मकान बनाने या खरीदने के लिए पचास लाख रुपये विधायक रहते हुए निधन होने पर परिवार को पांच लाख रुपये की एक्स ग्रेशिया ग्रांट

विधायकों को मिलने वाली पेंशन और भत्ते को दो और बिंदुओं से समझा जा सकता है:

* 26 अक्टूबर 2016 में पंजाब में पूर्व विधायकों को मिलने वाली पेंशन में संशोधन किया गया था। इसके तहत पूर्व विधायकों को उनके पहले कार्यकाल के लिए पेंशन के रूप में 15 हजार रुपये और इसके बाद अगले हर कार्यकाल के लिए 10  हजार रुपये देने का प्रावधान किया गया।

* इस रकम में पहले 50 फीसदी DA मर्ज होगा और उसके बाद बनने वाली कुल रकम में फिर से 234% महंगाई भत्ता जुड़ जाएगा। इस तरह पूर्व विधायकों को काफी फायदा हुआ, क्योंकि इससे 15000 पेंशन में 50% DA यानी 7500 रुपये जुड़ने से 22,500 रुपये बने। अब 22,500  में 234 फीसदी DA यानी 52,650  रुपये और जुड़ने से कुल पेंशन 75,150 रुपये बन जाती है।

* इन्ही नियमों के चलते कई नेताओं को 5 लाख रुपये तक की पेंशन मिलती थी। जिसमें से 11 बार विधायक रहे अकाली दल प्रमुख प्रकाश सिंह बादल को ही 5.76 लाख रुपये पेंशन मिलती थी। हालांकि हारने के बाद उन्होंने इसे लेने से इन्कार कर दिया था।

पंजाब के बाद अब आइए मध्यप्रदेश.... यहां पहले कार्यकाल में तय हुई पेंशन हर कार्यकाल में 9600 रुपये बढ़ जाती है। जिसे ऐसे समझे:

  • मध्य प्रदेश विधानसभा के सेक्शन 6A के तहत पूर्व विधायकों को हर महीने 20 हजार रुपये की पेंशन मिलती है।
  • ये सुविधा हर पूर्व विधायक को मिलती है, फिर चाहे उसने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया हो या नहीं। उपचुनाव जीतकर कार्यकाल पूरा न कर पाने वालों को भी 20 हजार रुपए प्रति माह की पेंशन मिलती है।
  • अगर विधायक की मौत हो जाती है तो उसके परिवार को हर महीने 18000 रुपये मिलते हैं, साथ में हर महीने में 500 रुपये बढ़ा दिए जाते हैं।
  • पूर्व विधायकों को हर महीने मेडिकल भत्ता और राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पताल में मुफ्त इलाज भी मिलता है।

राजस्थान में भी पूर्व विधायकों की चांदी

पंजाब और मध्यप्रदेश की तरह ही राजस्थान में भी पूर्व विधायकों पर खूब रुपया बरसाया जाता है। यहां पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लेने वाले विधायक को 35 हज़ार रुपये महीना दिया जाता है। वही विधायक अगर दूसरी बार चुना जाता है और अपना कार्यकाल पूरा कर लेते है तो उसे हर साल के हिसाब से 1600 रुपये और मिलेंगे। यानी दो कार्यकाल पूरा करने के बाद विधायक को 43 हज़ार रुपये मिलते हैं। राजस्थान में विधायक की पूर्व विधायक की उम्र यदि 70 साल हो जाती है तो उसकी पेंशन में 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी कर दी जाती है वहीं 80 पहुंचने पर 30 फीसदी बढ़ा दी जाती है।

अगर पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले विधायक की मौत हो जाती है तो परिवार वालों को वही पेंशन मिलेगी जो पूर्व विधायक को मिलती थी। इसके अलावा पूर्व विधायक को राजस्थान हेल्थ स्कीम यानी RGHS के तहत कैशलेस मेडिकल सुविधा मिलती है। साथ ही ट्रैवल के लिए दो पास, रेल, फ्लाइट या शिप के लिए 1 लाख रुपये दिए जाते हैं।

उत्तर प्रदेश में तो मरते दम तक यात्रा फ्री

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अभी हाल ही में संपन्न हुए हैं, यहां कुल 403 विधायक चुने जाते हैं। उनपर भी खूब पैसा बरसता ही है, साथ में पहले विधायक रह चुके नेताओं की भी ज़िंदगी बेहद आराम से कटती है। जीवन भर यात्रा मुफ्त दी जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदेश में 2000 से ज्यादा पूर्व विधायक हैं जिन्हें हर महीने 25000 रुपये दिए जाते हैं। इतना ही नहीं पांच साल पूरा कर चुके विधायकों की पेंशन में हर साल 2000 हजार रुपये की बढ़ोतरी भी की जाती है। यानी अगर किसी विधायक ने 10 साल पूरे कर लिए तो उसे 35000 रुपये पेंशन मिलती है। इसी तरह 15 साल बिता लेने वाले विधायक को 45000 रुपये पेंशन दी जाती है।

उत्तर प्रदेश में ये ध्यान रखने वाली बात है कि यहां विधानसभा और विधान परिषद से चुने गए सदस्यों की पेंशन एक ही होती है। इसके अलावा यहां विधायकों को क्या कुछ खास मिलता है इसपर भी नज़र डालते हैं:

* पूर्व विधायकों को सालाना एक लाख रुपए का रेल कूपन मिलता है, जिसमें से 50 हजार रुपए निजी वाहन के डीजल, पेट्रोल के लिए कैश लिए जा सकते हैं।

* मुफ्त रेलवे पास और मुफ्त मेडिकल सुविधा भी मिलती है।

* 2016 में अखिलेश यादव सरकार ने प्रदेश के पूर्व विधायकों की पेंशन को 10000 रुपये प्रति महीने से बढ़ाकर 25000 किया था।

हिमाचल प्रदेश में बरसता है पैसा

इसी साल के आखिर में हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराए जाने हैं ऐसे में वहां की स्थिति भी जानना बेहद ज़रूरी है। दरअसल यहां बाकी राज्यों से थोड़ा अलग है। हिमाचल में जीत का सर्टिफिकेट मिलते ही विधायक पेंशन के हकदार हो जाते हैं। यहां विधायक को एक टर्म पूरा करने पर 36000 रुपये पेंशन दी जाती है और दूसरा टर्म पूरा करने वाले विधायक की पेंशन में 5000 रुपये बढ़ा दिए जाते हैं यानी 10 साल विधायक रहने वाले को 41 हजार रुपये पेंशन मिलती है।

वैसे तो हर राज्य में विधायकों पर खूब पैसा खर्च किया जाता है। लेकिन हम और आम मिलकर जिस प्रतिनिधि को चुनते हैं वो रिटायर होने के बाद आराम की ज़िंदगी ही काटता है, जिसमें सबसे ज्यादा सैलरी तेलंगाना के विधायक उठा रहे हैं जबकि सबसे कम त्रिपुरा के... आंकड़ों के ज़रिए समझते हैं:

अन्‍य सुविधाएं

इस सैलरी के अलावा विधायकों को कई अन्‍य सुविधाएं भी मिलती हैं। जैसे यूपी में एक विधायक को विधायक निधि के रूप में 5 साल के अन्दर 7.5 करोड़ रुपये खर्च करने के लिए मिलते हैं। विधायक को यह अधिकार भी मिला होता है कि वह अपने क्षेत्र में पानी की समस्या के समाधान के लिए 5 साल में 200 हैंडपंप भी लगवा सकता है, जबकि एक पम्प लगवाने का खर्च लगभग 50 हजार आता है। इसके अलावा रहने के लिए सरकारी आवास, मेडिकल सुविधा, यात्रा भत्‍ता, एक व्‍यक्ति के साथ ट्रेन में फ्री यात्रा और कार्यकाल ख़त्म होने के बाद पेंशन मिलती है।

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