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पुलिस vs वकील : विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा!

सेवानिवृत्त अधिकारियों ने एलजी और दिल्ली पुलिस प्रमुख को पत्र लिखकर कहा है कि वकीलों के साथ टकराव की हालिया घटना के बाद पुलिस के मनोबल को बढ़ाया जाना चाहिए।
police and lawyer dispute
Image Courtesy:The Logical Indian

दिल्ली पुलिस के सेवानिवृत्त अधिकारियों ने एलजी (उपराज्यपाल) अनिल बैजल और दिल्ली पुलिस प्रमुख अमूल्य पटनायक को पत्र लिखकर कहा है कि वकीलों के साथ टकराव की हालिया घटना के बाद पुलिस के मनोबल को बढ़ाया जाना चाहिए।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस सेवानिवृत्त राजपत्रित अधिकारी संघ (डीपीआरजीओए) ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि वह दिल्ली की ज़िला अदालतों में वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच हिंसक झड़प की घटनाओं को लेकर ‘‘बेहद चिंतित’’ है।

पत्र में कहा गया है, ‘‘जांच पूरी होने तक किसी भी वकील के ख़िलाफ़ कोई कठोर कार्रवाई नहीं किये जाने के निर्देश में संशोधन की आवश्यकता है। पुलिस अधिकारियों के निलंबन और तबादले को चुनौती दी जानी चाहिए क्योंकि दोषी वकीलों के ख़िलाफ़ किसी तरह की कार्रवाई का आदेश नहीं दिया गया है।’’

डीपीआरजीओए के अध्यक्ष और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी करनाल सिंह ने कहा कि संगठन के वरिष्ठ अधिकारी उचित सहायता और भरोसे का आश्वासन देकर पुलिसकर्मियों का मनोबल बढ़ा सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अपनी शिकायतों से वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराने के लिये पुलिस मुख्यालय पर अपने परिवार के साथ जमा होकर मौन प्रदर्शन करने वाले पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की जा सकती है। उन्हें सहानुभूति देने की आवश्यकता है।’’

विरोध प्रदर्शन करने वाले पुलिस के ख़िलाफ़ याचिका

दिल्ली उच्च न्यायालय में गुरुवार को एक याचिका दायर कर तीस हजारी अदालत परिसर में दो नवंबर की झड़प के मद्देनजर सार्वजनिक प्रदर्शन करने और ‘धरना’ करने वाले पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई का अनुरोध किया गया है।

वकीलों और पुलिस के बीच हुई झड़प से संबंधित मामला अदालत के विचाराधीन होने के बावजूद सोशल मीडिया में बयान जारी करने वाले पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिये दायर जनहित याचिका को शुक्रवार को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया गया है।

यह याचिका वकील राकेश कुमार लकड़ा ने दायर की है। इसमें केन्द्र के साथ ही दिल्ली पुलिस, इसके आयुक्त अमूल्य पटनायक, अरुणाचल प्रदेश के पुलिस उपमहानिरीक्षक मधुर वर्मा, दिल्ली पुलिस के उपायुक्त असलम खान, एनआईए की पुलिस अधीक्षक संयुक्ता पराशर को पक्षकार बनाया गया है।

वकील अब भी कामकाज से दूर

साकेत ज़िला अदालत परिसर के प्रवेश द्वार पर बृहस्पतिवार को वकीलों ने मुकदमा लड़ने वाले लोगों का फूल देकर स्वागत किया और खुद लगातार चौथे दिन काम से दूर रहे। बता दें कि तीस हजारी अदालत में दो नवंबर को पुलिस के साथ झड़प के विरोध में वकील प्रदर्शन कर रहे हैं।

सभी छह ज़िला अदालतों तीस हजारी, साकेत, कड़कड़डूमा, रोहिणी, पटियाला हाउस और द्वारका में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। हालांकि आज वादियों और पुलिस को अदालत परिसर के अंदर आने दिया जा रहा है।

ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशन की समन्वय समिति के महासचिव अधिवक्ता डी.एस. कसाना ने बताया कि साकेत अदालत में वकीलों और आम लोगों के बीच टकराव के बाद वादियों को अपने अपने मामलों की सुनवाई संबंध में अदालत कक्ष में जाने दिया जा रहा है और मामलों में तारीख़ लेने के लिये वकीलों की जगह कोई और व्यक्ति उपस्थित हो रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने वकीलों और मुवक्किलों समेत करीब 1,000 लोगों के लिए भोजन की भी व्यवस्था की है। हमलोग शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। बार के निजी सुरक्षा गार्ड आज सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहे हैं।’’

नई दिल्ली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आर.के. वाधवा ने कहा कि पटियाला कोर्ट में मुकदमा लड़ने वालों को भीतर आने दिया जा रहा है और वकीलों की जगह कोई और उपस्थित हो रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमलोग पुलिस को अदालत परिसर में घुसने और उन्हें अपनी ड्यूटी करने से नहीं रोक रहे हैं। वे अपने कारण से नहीं आ रहे हैं।’’

तीस हजारी अदालत में दिल्ली बार एसोसिएशन के सचिव जयवीर सिंह चौहान ने कहा कि बार अदालत परिसर में सुरक्षा का जिम्मा देख रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘वकील अदालत में आने वाले लोगों की सुरक्षा जांच कर रहे हैं। सभी का स्वागत है। स्थिति यहां शांतिपूर्ण है।’’

रोहिणी अदालत में प्रदर्शन का हिस्सा रहे वकील संजीव कुमार ओझा ने कहा कि मुकदमा लड़ने वाले आ रहे हैं लेकिन उनकी तादाद कम है।

( समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

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