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प्रेस की आज़ादी हमला जारी, न्यायालय की ओर से और सक्रिय भूमिका निभाई जानी चाहिए : पूर्व न्यायाधीश

पूर्व न्यायाधीश ने रेखांकित किया कि भारत में प्रेस की आज़ादी पर हमला जारी है और कई मौक़े पर नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के मामले आ रहे हैं।
Madan Lokur
फ़ोटो साभार: ट्विटर

उच्चतम न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश मदन बी लोकुर ने शुक्रवार को रेखांकित किया कि भारत में प्रेस की आजादी पर हमला जारी है और कई मौके पर नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के मामले आ रहे हैं।उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय को ऐसे मामलों के प्रति सजग रहना चाहिए।

हाल की घटनाओं का संदर्भ देते हुए न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) लोकुर ने यह भी रेखांकित किया कि कुछ लोगों के लिए जमानत पर जेल से रिहा होना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत आजादी का जब मुद्दा आए तो उच्चतम न्यायालय की ओर से ‘और अधिक सक्रिय’ भूमिका निभानी चाहिए।

न्यायमूर्ति लोकुर ने यह बात पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रतिष्ठित आईपीआई पुरस्कार वितरित करने के लिए आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कही।

पूर्व प्रधान न्यायाधीश यू यू ललित और न्यायमूर्ति लोकुर पुरस्कार देने वाले निर्णायक मंडल के अध्यक्ष थे और उन्होंने न्यूज पोर्टल ‘द प्रिंट’ और एनडीटीवी के पत्रकार सौरभ शुक्ला को यह पुरस्कार प्रदान किया। प्रिंट की ओर से पोर्टल के प्रधान संपादक शेखर गुप्ता ने सम्मान ग्रहण किया।

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