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कराची में प्रस्तावित विध्वंस का विरोध, हज़ारों बच्चे हो सकते हैं बेघर

कराची मेट्रोपॉलिटन कॉरपोरेशन द्वारा गुर्जर नाले के पास पट्टे पर दिए गए ज़मीन पर बने मकानों को गिराने से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी भी तरह अतिक्रमण हटाना होगा।
कराची में प्रस्तावित विध्वंस का विरोध, हज़ारों बच्चे हो सकते हैं बेघर

विरोध के बावजूद सोमवार 14 जून को कराची मेट्रोपॉलिटन कॉरपोरेशन द्वारा गुर्जर नाला के पास पट्टे पर दिए गए घरों के विध्वंस पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पाकिस्तान के शीर्ष अदालत ने अधिकारियों को स्टॉर्मवाटर ड्रेन के साथ अतिक्रमण विरोधी अभियान जारी रखते हुए कहा कि अतिक्रमण को हटाने की जरूरत है।

एक दिन पहले सैकड़ों प्रभावित लोगों ने कराची में प्रेस क्लब के बाहर विरोध प्रदर्शन किया जिसमें मुख्य न्यायाधीश से शहर के गुज्जर और ओरंगी नाला क्षेत्रों में विध्वंस अभियान के खिलाफ जारी स्थगन आदेश को बरकरार रखने का अनुरोध किया गया था।

इन एक्टिविस्टों ने कहा कि अगर ये अभियान चलाया गया तो कम से कम 21,000 बच्चे प्रभावित होंगे और बेघर हो जाएंगे। प्रभावित बच्चे जिनमें से कुछ छह साल की उम्र के भी थे उन्हें देखा गया व अपने हाथों में तख्तियां लिए हुए थे जिस पर कराची में बढ़ते "मानवीय संकट" के बारे में लिखा था। एक पोस्टर में लिखा था,: “श्रीमान मुख्य न्यायाधीश, हम स्कूल गए थे तब हमारा घर नष्ट किया गया। अब हम कहां रहेंगे - हमें न्याय चाहिए?"

कराची में अगस्त 2020 की शहरी इलाके की बाढ़ के तुरंत बाद सिंध राज्य सरकार ने नालों के आसपास अवैध ढ़ांचों को हटाने की घोषणा की थी। पिछले साल शहर में आई बाढ़ ने 89 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया था और कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई थी।

हालांकि, प्रस्तावित विध्वंस क्षेत्रों के अधिकांश निवासी दिहाड़ी मजदूर हैं। स्थानीय लोगों ने शिकायत की कि सरकार ने 2005 में काउंसिल हॉल से एक प्रस्ताव के माध्यम से इन कॉलोनियों को नियमित करने को कहा था, जिसके बाद कई श्रमिकों ने अपनी मामूली बचत से इन इलाकों में अपना छोटा घर खरीदा था।

विध्वंस अभियान की घोषणा के बाद से प्रभावित लोगों और वामपंथी और प्रगतिशील वर्गों द्वारा इसके खिलाफ नियमित रूप से विरोध प्रदर्शन किया गया है। इस साल मई में कराची के स्थानीय लोगों ने गुज्जर और ओरंगी नाले में अवैध बेदखली के विरोध में एक मानव श्रृंखला बनाई। वीमेन डेमोक्रेटिक फ्रंट और प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स एंड ट्रेड यूनियन फेडरेशन ने भी एकजुटता दिखाई थी।

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