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COVID-19 को लेकर सरकार के कुप्रबंधन के ख़िलाफ़ सर्बिया में विरोध प्रदर्शन

इस महीने संक्रमण में दूसरी बार तेज़ी के बाद सर्बियाई सरकार लॉकडाउन को फिर से लागू करने की कोशिश कर रही है।
covid-19

कोरोनावायरस महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने में सरकार की पूरी तरह से विफलता को लेकर और 10 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के तुरंत बाद इस फैसले का विरोध करने के लिए गुरुवार 9 जुलाई को हज़ारों सर्बियावासी राजधानी बेलग्रेड की सड़कों पर उतर गए। गुरुवार का विरोध प्रदर्शन पिछले दो दिनों से जारी सरकार-विरोधी प्रदर्शनों का हिस्सा था।

राष्ट्रपति अलेक्जेंडर व्यूसिक की अगुवाई वाली सरकार द्वारा मई में हटाए गए अन्य प्रतिबंधों में से विकेंड और रात के कर्फ्यू की फिर से घोषणा करने के बाद मंगलवार को पहली बार विरोध प्रदर्शन किया गया था।

सर्बिया में पहला कोरोनावायरस मामला फरवरी महीने में सामने आया था। सरकार ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करते हुए 15 मार्च को सबसे सख्त लॉकडाउन लागू किया था। इस लॉकडाउन में विकेंड और रात का कर्फ्यू शामिल था।

हालांकि, वायरस को रोकने में सफलता का दावा करते हुए सरकार ने अप्रैल के अंत में लॉकडाउन को ढीला करना शुरू कर दिया था और 6 मई तक इसे पूरी तरह हटा दिया गया। आलोचकों ने कहा है कि 21 जून को संसदीय चुनाव कराने के इरादे से सर्बियाई सरकार ने अपने COVID-19 निवारक उपायों की सफलता की झूठी तस्वीर पेश करने की कोशिश की और हज़ारों लोगों की मौजूदगी वाले बड़े खेल आयोजनों की भी अनुमति दे दी। 21 जून को महामारी के बीच आयोजित यूरोप के पहले चुनावों में राष्ट्रपति व्यूसिक की सर्बियाई प्रोग्रेसिव पार्टी ने जीत हासिल की।

हालांकि, इन चुनावों के बाद COVID -19 संक्रमितों की संख्या फिर से बढ़ने लगी है और रोज़ाना मृत्यु दर अप्रैल महीने में हुई इसकी चरम संख्या के बराबर पहुंच चुका है।

लगभग 70 लाख लोगों वाले देश सर्बिया में वर्तमान में COVID-19 संक्रमण के 17,342 से अधिक मामले हैं वहीं इसके संक्रमण से अब तक 352 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। 25 जून के बाद से रोज़ाना नए मामले औसतन 250 से अधिक पहुंच गए हैं।

मंगलवार 7 जुलाई को व्यूसिक ने लॉकडाउन को फिर से लागू करने की घोषणा की जिसके कारण बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। इन विरोध प्रदर्शनों को कुचलने के लिए पुलिस ने भारी बल का प्रयोग किया। इन विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए पुलिस और आतंक-रोधी दस्ते तैनात किए गए थे। सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की गिरफ़्तारी और कई के घायल होने के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी है। पुलिस की बर्बरता के कई वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद से यह तेज़ हो गया। मौजूदा सरकार में भ्रष्टाचार, निजीकरण और सुरक्षा बलों को अत्यधिक शक्ति देने को लेकर भी ये प्रदर्शनकारी मुखर रहे हैं।

गुरुवार को सरकार ने बिना किसी कर्फ्यू के लॉकडाउन में ढील देने की घोषणा की है। हालांकि, इस घोषणा में सार्वजनिक स्थानों पर इकट्ठा होने की संख्या को सीमित कर दिया है और सभी व्यवसायों के लिए समय सीमा निर्धारित कर दी है।

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