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राजस्थान: फ़सल बीमा क्लेम समेत 22 सूत्रीय मांगों को लेकर किसानों ने किया कलेक्ट्रेट का घेराव!

राजस्थान के चुरू ज़िले के हज़ारों किसानों ने फसल बीमा, नहर, बिजली आदि मुद्दों को लेकर कलेक्ट्रेट ऑफिस के सामने 2 जून से अनिश्चितकालीन घेराव डाल दिया है।
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राजस्थान के चुरू ज़िले के हज़ारों किसानों ने फसल बीमा, नहर, बिजली आदि मुद्दों को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट ऑफिस के सामने 2 जून से अनिश्चितकालीन घेराव डाल दिया है। इससे पहले अलग-अलग तहसीलों से ये किसान कम से कम 100 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर के  शुक्रवार को चूरू कलेक्ट्रेट ऑफिस पहुंचे। इन किसानों में राज्य और केंद्र की सरकार को लेकर काफ़ी गुस्सा है। ये किसान फसल बीमा के सवाल को लेकर पिछले डेढ़ साल से सड़कों पर है। अपनी मांगों को लेकर किसान सभा के नेतृत्व में किसान 28 मई को चुरू साहवा (तारानगर) से पैदल मार्च करते हुए चुरू कलेक्ट्रेट पहुंचे और ऐलान किया कि मांगें नहीं माने जाने तक वहीं डेरा डालेंगे। किसानों ने इस पैदल मार्च को किसान लॉन्ग मार्च का नाम दिया। आपको याद होगा महाराष्ट्र के किसान अपनी मांगों को लेकर कम से कम तीन लॉन्ग मार्च निकाल चुके हैं जिसके बाद सरकार को इनकी मांगों को मानना पड़ा था। इसी से प्रेरणा लेकर राजस्थान के किसानों ने कांग्रेस की गहलोत सरकार के ख़िलाफ़ मार्च निकाला।

किसान सभा के ज़िला महासचिव निर्मल कुमार ने साफतौर पर कहा कि, "इस बार सरकार जब तक उनकी 22 सूत्री मांगों को पूरा नहीं करेगी तब तक ये घेराव जारी रहेगा।" हालांकि 2 जून को किसानों के कलेक्ट्रेट पर पहुंचते ही प्रशासन ने उनसे वार्ता की और कुछ मांगों पर सहमति भी जताई लेकिन किसानों का कहना है कि ये संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक किसानों को फसल बीमा का पूरा क्लेम नहीं मिल जाता है।

किसानों की सबसे बड़ी मांग में से एक क्रॉप कटिंग रिपोर्ट के आधार पर बीमा क्लेम देने की है। इस सवाल को लेकर राज्य सरकार ने शुक्रवार को भारत सरकार को पत्र लिखा लेकिन किसानों ने साफ़तौर पर कहा कि इस बार वे किसी बहकावे में नहीं आएंगे।

आपको बता दें, जब हज़ारों की संख्या में किसान शुक्रवार दोपहर को चूरू कलेक्ट्रेट के दरवाज़े से अंदर जाने का प्रयास किया तो इस दौरान RAC के जवान व पुलिस अधिकारियों ने उन्हें रोकने की पूरी कोशिश की लेकिन किसान बैरिकेट तोड़ कर आगे बढ़ने को तैयार थे। कुछ समय के लिए किसान और पुलिस बल के बीच टकराव देखने को मिला। हालांकि इसके बाद किसान नेताओं ने अपने लोगों को समझाया और कहा कि हम अपना आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से सरकारी कार्यालय के बाहर ही चलाएंगे जिसके बाद भीड़ पीछे हटी और सभी लोग सभा स्थल पर चले गए। वहां से सभा का संचालन हुआ और किसानों ने उसी जगह पर दिन-रात धरना लगा दिया है। किसानों ने कहा कि उन्होंने अपना डेरा डाल दिया है जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती तब तक ये आंदोलन ऐसे ही जारी रहेगा।

निर्मल कुमार ने बताया कि "बकाया फसल बीमा क्लेम, क्रॉप कटिंग के आधार पर बीमा, किसानों को 6 घंटे बिजली, मनरेगा में छह सौ रुपए का भुगतान समेत 22 सूत्री मांगों को लेकर यह प्रदर्शन किया जा रहा है।" इसके अलावा उन्होंने केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार और राज्य की कांग्रेस सरकार पर किसानों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया और कहा कि किसानों की लंबे समय से चली आ रही वाजिब मांगों को नहीं माना जा रहा है।

उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, "अब भी अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानेगी तो हमें चक्का जाम करना पड़ेगा, जिसकी ज़िम्मेदारी पूरी तरह से ज़िला प्रशासन व सरकार की होगी।”

ये किसान पिछले छह दिनों से विपरीत मौसम में भी पैदल चलते आए हैं। कभी इन्हें भीषण गर्मी तो कभी बरसात का सामना करना पड़ा। इस दौरान ये किसान अपने साथ अपनी गाड़ियों में खाना बनाने के लिए अनाज लेकर भी चले थे और ये अपना खाना खुद बनाते थे। हालांकि इनके पैदल मार्च को ग्रामीणों का पूरा समर्थन मिल रहा था। वे भी इनका सहयोग कर रहे थे।

आपको बता दें, किसानों ने अपनी मांगों को लेकर इस साल जनवरी में भी चूरू ज़िले के एसडीएम कार्यालय तारानगर में और 18 जनवरी को राजगढ़ में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। किसान अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठ गए थे और उस समय पर भी किसान हर तहसील की फसल कटाई की रिपोर्ट के आधार पर फसल बीमा की मांग कर रहे थे।

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