राजस्थान हाईकोर्ट ने पहलू खान और उनके बेटों पर दर्ज एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया
राजस्थान के चर्चित पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने यानी 30 अक्टूबर 2019 एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है जिसने एक बार फिर राजस्थान पुलिस की मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। बुधवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने मृतक पहलू खान, उसके दोनों बेटों इरशाद और आरिफ के साथ ही ट्रक चालक खान मोहम्मद के खिलाफ अलवर के बहरोड़ थाने में दर्ज एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) और दायर चार्जशीट रद्द करने के आदेश दिए हैं।
आपको बता दें कि पहलू खान, उसके दोनों बेटों और खान मोहम्मद के खिलाफ राजस्थान पुलिस ने गोतस्करी को लेकर अप्रैल, 2017 में राजस्थान बोवाइन एनिमल (प्रोहिबिशन ऑफ स्लॉटर एंड रेगुलेशन ऑफ टेम्परेरी माइग्रेशन एक्सपोर्ट) एक्ट-1995 की धारा 5, 8 और 9 के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया था जिसके संबंध में विगत 30 दिसंबर 2018 को ही पुलिस ने चार्जशीट भी तैयार कर ली थी। पुलिस ने फिर इस मामले में इस साल 29 मई को अलवर के बहरोड़ स्थित अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोप पत्र पेश किया था जिसमें पहलू खान को मरणोपरांत आरोपी बनाया गया था।
जस्टिस पंकज भंडारी की एकलपीठ ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए प्राथमिकी और आरोप पत्र रद्द करने के आदेश दिए हैं जिसके बाद पहलू ख़ान और उसके बेटों पर गौ तस्करी का आरोप लगभग समाप्त हो गया है।
अपने ख़िलाफ़ पुलिस द्वारा दर्ज गौ तस्करी के आरोप की इस एफआईआर को रद्द करने को लेकर इरशाद, आरिफ और ट्रक मालिक ख़ान मोहम्मद ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें कल कोर्ट ने पुलिस द्वारा अलवर के बहरोड़ थाने में दर्ज प्राथमिकी संख्या 252/17 और इसके संबंध में दायर चार्जशीट को रद्द करने के आदेश दिए और प्राथमिकी संख्या 253/17 मामले में भी पहलू के परिवार की तरफ़ से रिट लगी हुई है जिसमें फ़ैसला आना बाक़ी है।
प्राथमिकी संख्या 252/17 में पहलू ख़ान, इरशाद, आरिफ़ और ख़ान मोहम्मद आरोपी थे जिसे बुधवार कोर्ट ने रद्द करने के आदेश दिए हैं और प्राथमिकी संख्या 253 /17 में अज़मत और रफ़ीक़ आरोपी हैं जिसके संबंध में भी अपील की जा चुकी है।
कोर्ट ने बुधवार अपने फैसले में माना कि पहलू खान, उसके दोनों बेटों और ट्रक चालक के पास से बरामद की गई गायें दुधारू थी और इन गायों के साथ दो बछड़े भी थे। पहलू खान के पास जयपुर के पशु हटवाड़ा से गाय खरीदने की रसीद (रवन्ना) भी थी जिसकी संख्या 89875 है । इन गायों को हरियाणा के नूंह स्थित डेयरी में ले जाने के प्रमाण भी मिले हैं।
कोर्ट में पहलू ख़ान परिवार के वकील कपिल गुप्ता ने दावा किया कि पशु चिकित्सा विशेषज्ञों ने साबित किया था कि गायें दुधारू थीं और उनके बछड़े केवल एक महीने के थे जिसे कोर्ट ने माना भी है और हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दस्तावेजों से साफ-साफ पता चलता है कि पहलू खान ने मवेशियों को डेयरी और दुग्ध उत्पादन के लिए खरीदा था न कि उनकी हत्या के लिए उन्हें ले जाया जा रहा था।
वकील कपिल गुप्ता के मुताबिक़ राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि उनके (पहलू और उसके परिवार के) खिलाफ दर्ज एफआईआर और आरोपपत्र कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन था। कोर्ट ने कहा कि पुलिस चारों के खिलाफ गोतस्करी का मामला साबित नहीं कर सकी है। पहलू खान की मौत होने के कारण उसके खिलाफ तो मामला स्वत: ही समाप्त हो गया है।
ग़ौर तलब रहे कि पहलू खान और उसके बेटों के ख़िलाफ़ गौ तस्करी के मामले में राजस्थान पुलिस द्वारा चार्जशीट दायर किये जाने पर जब हर तरफ़ राजस्थान की कांग्रेसी सरकार की आलोचना शुरू हुई तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उस समय कहा था कि मामले की जांच 2017-18 में भाजपा सरकार के अंतर्गत हुई थी और आरिफ, इरशाद और खान मोहम्मद का नाम दिसंबर 2018 में चार्जशीट दाखिल करते वक्त नहीं था।
लेकिन अब हमारी सरकार देखेगी कि इस मामले में जांच पूर्व निधारित इरादे से तो नहीं की गई और मामले की दोबारा से जांच की जायेगी। अपने मृत पिता और परिवार के अन्य लोगों के विरुद्ध गौ तस्करी के मामले में आरोप पत्र दाख़िल किये जाने के बाद पहलू खान के 25 वर्षीय बड़े बेटे इरशाद ने एक निजी टीवी चैनल से बात करते हुए कहा था के कथित गोरक्षकों के हमले में हमने पहले तो अपने पिता को खो दिया और अब हम पर गो-तस्करी का आरोप लगाया गया है।
हमें उम्मीद थी कि राजस्थान में नई कांग्रेस सरकार मामलों की समीक्षा करेगी और उन्हें वापस लेगी लेकिन अब हमारे खिलाफ ही आरोप-पत्र दाखिल किया गया है। सरकार बदलने के बाद हमें न्याय की उम्मीद थी जो पूरी नहीं हुई, इससे तो अच्छा था सरकार हमें मार ही देती।
पहलू ख़ान की हत्या के मामले में 14 अगस्त 2019 को इस निर्मम हत्याकांड के 6 आरोपियों विपिन यादव, रविंद्र कुमार, कालूराम, दयानंद, योगेश कुमार और भीम राठी को राजस्थान के अलवर के अपर जिला और सत्र न्यायालय नंबर-1 की जज डॉ.सरिता स्वामी ने संदेह का लाभ के आधार पर फैसला सुनाते हुए बरी कर दिया है। नाबालिग आरोपियों की सुनवाई जुवेनाइल कोर्ट में चल रही है।
इन 6 आरोपियों की रिहाई एवं पुलिस द्वारा प्रारम्भिक जांच में ही क्लीन चिट दिए गए पहलू ख़ान के डायिंग डिक्लियरेशन में नामज़द आरोपियों के ख़िलाफ़ भी पहलू के परिवार की तरफ़ से 8 अक्टूबर को एडवोकेट नूरुद्दीन और मानवाधिकार कार्यकर्ता असद हयात की मॉनटरिंग में राजस्थान हाई कोर्ट मे अपील की गयी है जिसके संबंध में अभी कोई पेशरफ़्त नहीं हुई है।
बुधवार आये फ़ैसले के बाद जब हमने पहलु ख़ान के बेटे इरशाद से बात की (जो ख़ुद भी इस चार्जशीट में एक आरोपी हैं जिन्हे कोर्ट ने रद्द करने के आदेश दिए हैं) तो उन्होंने कहा कि हमें राजस्थान उच्च न्यायालय से ही उम्मीद है और इस फ़ैसले के बाद हमारी उम्मीद और बढ़ी है। कोर्ट हमारे साथ ज़रूर इन्साफ़ करेगा।
जब हमने पूछा की क्या आप लोगों पर गौ तस्करी का आरोप लगाने वाले पुलिस वालों के ख़िलाफ़ भी कोई एक्शन लेंगे तो उन्होंने बताया कि अभी हमें पहले फ़ैसले को कॉपी कोर्ट से मिल जाए तो उसके बाद हम अपने वकीलों और हमारे साथ लड़ाई में शरीक लोगों से मशवरा कर के इस संबंध में कोई निर्णय लेंगे।
एडवोकेट नूरुद्दीन बताते हैं कि ये जो आदेश है वो दर्ज प्राथमिकी संख्या 252/17 के संबंध में है और प्राथमिकी संख्या 253/17 मामले में जिसमें अज़मत और रफ़ीक़ आरोपी हैं उसस्के संबंध में भी पहलू के परिवार की तरफ़ से याचिका लगी हुई है जिसमें फ़ैसला आना बाक़ी है और इस फ़ैसले के आधार पर उस संबंध में भी कोई ऐसा ही निर्णय आएगा ऐसी हमें उम्मीद है।
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