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राजस्थान: राजस्व सेवा परिषद के अधिकारी-कर्मचारियों का सामूहिक अवकाश, गहलोत सरकार की बढ़ीं मुश्किलें

इस प्रदर्शन में राजस्थान राजस्व सेवा परिषद के तीनों घटक यानी राजस्थान तहसीलदार सेवा परिषद, राजस्थान कानूनगो संघ और राजस्थान पटवार संघ शामिल हैं।
Rajasthan

राजस्थान में चुनावी समर के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। प्रदेश में काम-काज ठप कर एक के बाद एक कर्मचारी संघों का प्रदर्शन रोज़ नई चुनौती पेश कर रहा है। ताजा मामला राजस्थान राजस्व सेवा परिषद के अधिकारी-कर्मचारियों का है,जो बीते कई दिनों से अपनी लंबित मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे और अब कलमबंद कर सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं। इस प्रदर्शन में राजस्थान राजस्व सेवा परिषद के तीनों घटक यानी राजस्थान तहसीलदार सेवा परिषद, राजस्थान कानूनगो संघ और राजस्थान पटवार संघ शामिल हैं।

ध्यान रहे कि इन प्रदर्शकारियों की ओर से केडर रिव्यू किए जाने और रिव्यू के हिसाब से पद बढ़ाए जाने, वेतन विसंगतियां दूर किए जाने सहित अन्य मांगें सरकार के सामने रखी गई हैं। इसको लेकर पूर्व में सरकार के साथ समझौता भी हो चुका है मगर अभी तक क्रियान्वयन नहीं होने पर अब फिर से सभी कर्मचारी धरने पर बैठने को मजबूर हैं। इन प्रदर्शकारियों ने सरकार को चेतावनी भी दी है कि अगर जल्द ही इनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये सभी अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ जाएंगे।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक बीते कई दिनों से राजस्थान के अलग-अलग जिलों, तहसीलों और प्रखंडों में ये सभी कर्मचारी धरना प्रदर्शन कर रहे थे। सभी जिला मुख्यालयों पर डीएम, एसडीएम को मुख्यमंत्री के ज्ञापन भी सौपें गए। बावजूद इसके जब सरकार की ओर से इन्हें कोई सकारात्मक पहल नहीं दिखाई दी तो इन सभी ने मिलकर गुरुवार 20 अप्रैल से दो दिन का सामूहिक अवकाश ले लिया और अपने प्रदर्शन को और तेज करते हुए प्रदेशभर में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

इन प्रदर्शनकारियों ने न्यूज़क्लिक को बताया कि राजस्थान राजस्व सेवा परिषद और राज्य सरकार के मध्य दिनांक 4 अक्टूबर 2021 को मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री की उपस्थिति में एक लिखित समझौता हुआ था। तब सरकार ने जल्द ही कार्यान्वयन का आश्वासन दिया था। लेकिन आज डेढ़ साल बीत जाने के बावजूद एक भी मांग पूरी नहीं हुई है। जिसे लेकर कर्मचारी सड़कों पर हैं और तहसील परिसरों में इस गर्मी के बीच धरने पर बैठने को मजबूर हैं।

सरकार को आगाह करते हुए राजस्व सेवा परिषद की समस्त कार्यकारिणी के सदस्यों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं होती तो मजबूरन उनके द्वारा 24 अप्रैल से सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रशासन गांवों व शहरों के संग अभियान का बहिष्कार किया जाएगा। जिसकी समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।

क्या है राजस्व सेवा परिषद की मांगें?

  • नायब तहसीलदार का पद शत प्रतिशत पदोन्नत पद घोषित करना।
  • सीधी भर्ती के आर.टी.एस. को सीधे तहसीलदार पद पर संस्थित करना।
  • तहसीलदार सेवा के पद 50 प्रतिशत पदोन्नति से एवं 50 प्रतिशत सीधी भर्ती से भरना।
  • पटवारी, भू अभिलेख निरीक्षक, नायब तहसीलदार व तहसीलदार का कैडर पुनर्गठन कर आवश्यकतानुसार नवीन पद सृजित किया जाना।
  • RAS कैडर का रिव्यू करवाए जाने तथा तहसीलदार से RAS के जूनियर स्केल में रिक्त पदों को डी.पी.सी/ तदर्थ पदोन्नति से भरे जाना।
  • पटवारी व भू अभिलेख निरीक्षक के लिए स्थाई स्पष्ट स्थानान्तरण नीति बनाये जाने का निर्णय।
  • पटवारी, भू-अभिलेख निरीक्षक, नायब तहसीलदार व तहसीलदार के वेतनमान का पूर्वनिर्धारण।

कानूनगो संघ के जिलाध्यक्ष महेंद्र पाराशर ने मीडिया को बताया कि राजस्व परिषद और राज्य सरकार के बीच साल 2021 में हुए लिखित समझौते के अनुसार पदोन्नति, ट्रांसफर पॉलिसी और वेतन विसंगतियों को दूर करने की मांगों पर सहमति बनी थी, लेकिन इसके बावजूद डेढ़ साल का समय गुजर जाने के बाद भी सरकार ने समझौते की पालन नहीं किया है। इससे अधिकारी-कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है।

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उन्होंने बताया कि दो दिवसीय धरना प्रदर्शन के बाद भी मांगों को पूरा नहीं किए जाने पर सोमवार से अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया जाएगा और आगामी 24 अप्रैल से शुरू होने वाले प्रशासन गांव- शहरों के संग अभियान का बहिष्कार किया जाएगा।

गौरतलब है कि राजस्थान में बीते दिनों कई धरना-प्रदर्शन और तालाबंदी देखने को मिली है। बिजली और जेल कर्मचारियों से लेकर राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ और सरपंचों तक मिड डे मिल वर्कर्स से लेकर शहीदों की विधवाओं तक हर कोई गहलोत सरकार को इस चुनावी समर के बीच उनके पुराने वादे याद दिला रहा है। ऐसे में खुद भ्रष्टाचार और घोटालों को लेकर उनके अपने नेता सचिन पायलट भी धरने पर बैठ चुके हैं। ये सारे प्रदर्शन निश्चित तौर पर अशोक गहलोत की कुर्सी की लड़ाई और कठिन बना रहे हैं।

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