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राजस्थान : शिक्षक भर्ती परीक्षा फिर सवालों के घेरे में, कई ज़िलों में नक़ल रोकने के लिए नेट बन्द

इस पेपर के लीक होने की कई खबरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हैं, जिसका प्रशासन की ओर से खंडन किया गया है।
REET Exam

राजस्थान में शिक्षक भर्ती परीक्षा का आज यानी सोमवार 27 फरवरी को तीसरा दिन है। ऐसे में प्रशासन द्वारा जयपुर में इंटरनेट सुबह छह से शाम छह बजे तक बंद कर दिया गया है। इससे पहले बीते दो दिनों शनिवार, 25 जनवरी और रविवार 26 जनवरी को भी कई इलाकों में नेटबंदी की खबर सामने आई थी। मीडिया में आई खबरों के अनुसार इस संबंध में कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से एक पत्र के जरिए गृह मुख्य सचिव से परीक्षा में नकल और पेपर लीक को रोकने के लिए इंटरनेट बंद करने की मांग की गई थी। जिसके बाद प्रशासन का ये कदम सामने आया है। हालांकि नेटबंदी को लेकर कई आम कामकाजी लोगों को दिक्कतों का सामना तो करना हा पड़ रहा है, वहीं परीक्षार्थी भी लोकेशन तक पहुंचने और अन्य जानकारी पाने में मुश्किल महसूस कर रहे हैं।

जयपुर के निशांत न्यूज़क्लिक को बताते हैं कि नेट बंद होने से वर्क फ्रॉर्म होम वालों को ज्यादा समस्याए हैं। काम तो बंद हो ही जाता है, ऊपर से बाकी की चीजें जैसे ऑनलाइन ऑर्डर-पेमेंट या गूगल मैप सब कुछ रुक जाता है। निशांत के मुताबिक सरकार परीक्षाओं को लेकर गंभीर है, ये अच्छी बात है, लेकिन आम जन को परेशान करने से अच्छा था कि करोड़ों जो पेपरों की सुरक्षा में खर्च होते हैं, उन्हें सही से इस्तेमाल कर गड़बड़ियों को रोकने की कोशिश की जाती। क्योंकि नेटबंदी किसी समस्या का हल नहीं है, आज के समय में कई लोगों का काम सिर्फ इसी पर निर्भर है।

बता दें कि बीते राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार में बीते कुछ सालों में कई परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं, तो वहीं सरकार द्वारा आयोजित लगभग हर बड़ी परीक्षा किसी न किसी विवाद में फंसी है। हालांकि तमाम जतन के बाद इस बार भी राजस्थान एलिजिबिलिटी एग्जामिनेशन फॉर टीचर यानी रीट का पेपर बवाल से दूर नहीं रह सका। प्रशासन की ओर से रविवार को टोंक में बड़ी लापरवाही देखने को मिली, जहां परीक्षा के दौरान सेंटर पर दूसरी पारी के हिंदी के पेपर कम पड़ गए। जिसके बाद बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों का हंगामा देखने को मिला। इस दौरान भी कई शहरों में नेट बंद रहा।

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कड़ी चैकिंग और एंट्री के बाद भी उदयपुर में परीक्षा की पहली पारी में एक डमी कैंडिडेट पकड़ा गया। यानी कोई और किसी और की जगह पेपर हल कर रहा था। इसके अलावा शिक्षक भर्ती परीक्षा के पहले दिन शनिवार को जोधपुर में पुलिस ने मैरिज गार्डन से एक गिरोह को पकड़ा, जिसमें 19 लड़के और 10 लड़कियों को पेपर हल कराया जा रहा था। पुलिस ने दावा किया था कि गिरोह के पास जो प्रश्न मिले हैं, वो असली परीक्षा पेपर से मैच नहीं हो रहे। हालांकि इसके लिए 40 लाख रुपए में पेपर का सौदा किया था। इससे पहले बीकानेर में आंसर की बेचने की कोशिश की खबरें थीं। इस पेपर के लीक होने की कई खबरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हैं, जिसका प्रशासन की ओर से खंडन किया गया है, हालांकि कुछ लोगों का ये भी कहना है कि सरकार अब लीक का चांस नहीं ले सकती, इसलिए सभी गड़बड़ियों और अव्यवस्था सहित पेपर लीक की सभी खबरों को दबाने की कोशिश की जा रही है।

एक लाख नई भर्तियों की घोषणा

ध्यान रहे कि राजस्थान में इस साल चुनाव हैं और 16 फरवरी को बजट पर जवाब देते हुए सीएम अशोक गहलोत ने एक लाख पदों पर सरकारी नौकरियों की घोषणा की है। उनका कहना था कि

वर्तमान में जो भर्ती प्रक्रियाएं चल रही हैं, उनके अलावा इस साल में एक लाख नई भर्तियां की जाएंगी। ऐसे में सरकार के पास इन भर्तियों को पूरा करने के लिए महज़ 6-7 महीने का ही वक्त बचा है, क्योंकि चुनावी साल होने के कारण सितंबर-अक्टूबर में आचार संहिता लग जाएगी, ऐसे में इसके बाद कोई भी भर्ती नहीं निकाली जा सकेगी। और अभ्यर्थियों की मानें तो लगभग किसी भी भर्ती प्रक्रिया के शुरू होने से लेकर परिणाम जारी होने और नियुक्ति मिलने तक में कम से कम डेढ़ से दो ‌साल का समय लग जाता है। अब सरकार इसे कुछ महीनों में कैसे पूरा करेगी ये भी बड़ा सवाल है।

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बार-बार पेपर लीक होने से अभ्यर्थी झेल रहे हैं मानसिक प्रताड़ना

ये परीक्षा प्रदेश में 48,000 पदों के लिए करवाई जा रही है, जो राज्य के 11 जिलों में 2940 केंद्रों पर करवाई जा रही है। इसके लिए कुल नौ लाख 64 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। कई परीक्षार्थियों की गड़बड़ियों को लेकर शिकायत तो है, मगर वो चाहते हैं कि ये पेपर रद्द न हो। इसका बड़ा कारण है कि बीते साल दिसंबर के आखिर में हुए सेकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर भी लीक होने के चलते राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने रद्द कर दिया था। ऐसे में बार-बार पेपर लीक और निरस्त होने से राज्य के युवाओं को सरकारी नौकरियां पाने के लिए अंतहीन इंतज़ार करना पड़ रहा है, जो उनके लिए मानसिक प्रताड़ना का कारण बन चुका है।

रीट की परीक्षा देने वाली मधु न्यूज़क्लिक को बताती हैं कि कई सालों से छात्र इन परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, फिर अलग-अलग सेंटरों तक अपने कई हज़ार पैसे लगाकर पहुंचते हैं, ऐसे में अगर घोटाला सामने आता है और परीक्षा रद्द हो जाती है, तो सारा कुछ धरा का धरा रह जाता है। आपका समय, मेहनत, पैसा सब बर्बाद हो जाता है। दोबारा पेपर की तैयारी का मनोबल भी टूट जाता है, ऐसे में सरकार का सिर्फ आश्वासन दिखाई देता है उसकी गंभीरता नहीं।

एक लाख नई भर्ती के सवाल पर पुष्कर के अभ्यार्थी राहुल कहते हैं कि उन्हें सरकार का ये सिर्फ एक चुनावी वादा लगता है क्योंकि फिलहाल जो प्रदेश की स्थिति है, उसमें पहले से चल रही भर्तियां ही पूरी हो जाएं, वही बड़ा टास्क है। राहुल के मुताबिक राजस्थान में ये लगभग हर परीक्षा के साथ विवाद का नाम जुड़ गया है। रीट, वनरक्षक, कांस्टेबल भर्ती, लोअर डिविजन क्लर्क हर परीक्षा में लीक के सिवा छात्रों के हाथ कुछ नहीं लगता।

पेपर में गड़बड़ियां अब आम बात हो गई हैं!

राहुल कहते हैं, “पेपर लीक और गड़बड़ियों की खबर अब हैरानी वाली नहीं लगती, क्योंकि ये हर बार का हो गया है। इस बार भी परीक्षा में कुछ सवाल गलत होने की बात सामने आई है। अब तो बस यही प्रार्थना है कि प्रशासन की बात सही हो और पेपर लीक न हुआ हो, क्योंकि सब बड़ी उम्मीदों से आते हैं। पास या फेल, अच्छा-बुरा तो तभी समझ में आएगा न जब पेपर होगा, रिजल्ट सामने आएंगे। कम से कम पेपर होने से सभी की हिम्मत को बनी रहेगी, पेपर का अनुभव ते मिलेगा, दोबारा पेपर की आस तो रहेगी। क्योंकि बार-बार पेपर लीक से सब थक चुके हैं, हताश हो चुके हैं।"

गौरतलब है कि राज्य की गहलोत सरकार बार-बार परीक्षाओं को लेकर अपनी गंभीरता और प्रतिबद्धता दोहराती रही है, नकल कराने में लिप्त आपराधिक तत्वों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करने पर विचार करने की बात भी कही जा चुकी है, बावजूद इसके पेपरों में गड़बड़ी की खबरें आए दिन सुर्खियों में हैं। मुख्यमंत्री गहलोत ने खुद पेपर लीक को दुर्भाग्यपूर्ण मानते हुए दूसरे राज्यों की ओर भी देखने का इशारा किया। हालांकि ये सिर्फ राजस्थान का हाल नहीं बल्कि देश के कई अन्य हिस्सों की भी सच्चाई है। लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि युवाओं के भविष्य को लेकर बड़े-बड़े दावे और वादे करने वाली कांग्रेस और बीजेपी की सरकारें एक जैसी ही हैं। राजनीति के अलावा किसी को उन अभ्यार्थियों की नहीं पड़ी, जो सालों-साल सरकारी नौकरी के इंतजार में तैयारी कर पेपर पर पेपर देते रह जाते हैं और कुछ लोग चंद पैसों के लालच में उनकी मेहनत पर पानी फेर जाते हैं। अगर परीक्षाओं की गोपनीयता पर करोड़ों खर्च होने के बावजूद पेपर लीक हो जाता है तो ऐसे में सरकार पर सवाल उठना लाजमी है।

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