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राजस्थान: रामदेव के नफ़रती बयान का क्या मतलब निकाला जाए!

एक सभा को संबोधित करते हुए रामदेव ने मुसलमानों पर ख़ूब अभद्र टिप्पणियां कीं, हैरानी की बात ये है कि अभी तक उनके ख़िलाफ़ कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है।
Ramdev

रामदेव... जो ख़ुद को योग गुरु कहते हैं, और लोग इनका नाम लेने से पहले बाबा लगाते हैं। लेकिन माना जाता है कि असल में ये हैं बिजनेसमैन। जिन्हें मार्केट के रेट की तो परख है ही, साथ में नफरत किस हिसाब से बांटनी है इसका भी खूब अंदाजा है।

और यही काम रामदेव राजस्थान के बाड़मेर में कर रहे थे, या ऐसे कह लीजिए कि वो भाजपा को खोई हुई राजनीतिक ज़मीन को फिर से हथियाने के लिए माहौल तैयार कर रहे थे।

लेकिन रामदेव का चुपके-चुपके भाजपा के लिए बैटिंग करने का मकसद महज़ चुनाव ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ हैं। जिसे विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे।

पहले ये देखते हैं कि रामदेव आखिर कह क्या रहे हैं? और इसके पीछे क्या मकसद हो सकता है?

रामदेव राजस्थान के एक कार्यक्रम में पहुंचे थे, जहां उन्होंने मुसलमानों के धर्म, टोपी, दाढ़ी-मूंछ किसी को भी नहीं छोड़ा। एक-एक कर अपने मन के पूर्वाग्रह उगलते चले गए। कहने लगे कि मुसलमान सुबह की नमाज पढ़ते हैं। उसके बाद उनसे पूछो कि तुम्हारा धर्म क्या कहता है? तो वह कहेगा कि बस पांच बार नमाज पढ़ो, उसके बाद मन में जो आए वो करो। हिंदुओं की लड़कियों को उठाओ और जो भी पाप करना है, वो करो।

मुस्लिम समाज के बहुत से लोग ऐसा करते हैं, लेकिन नमाज जरूर पढ़ते हैं। आतंकवादी और अपराधी बनकर खड़े हो जाते हैं, लेकिन नमाज जरूर पढ़ते हैं। वो इस्लाम का मतलब ही नमाज समझते हैं। यही सिखाया जाता है, लेकिन हिंदू धर्म में ऐसा नहीं है।

रामदेव इसके बाद ईसाई धर्म पर बोले। उन्होंने कहा- चर्च में जाओ और दिन में भी मोमबत्ती जलाकर ईसा मसीह के सामने खड़े हो जाओ। सारे पाप साफ हो जाते हैं। ईसाई समाज यही सिखाता है, लेकिन हिंदू धर्म में ऐसा नहीं है।

रामदेव ने कहा कि उनके स्वर्ग यानी जन्नत का मतलब है कि टखने के ऊपर पायजामा पहनो,  मूंछ कटवा लो और टोपी पहन लो... ऐसा कुरान कहता है या इस्लाम कहता है?  यह मैं नहीं कह रहा। फिर भी यह लोग ऐसा कर रहे हैं। फिर कहते हैं हमारी जन्नत में जगह पक्की हो गई। जन्नत में हूरें मिलेंगी। ऐसी जन्नत तो जहन्नुम से भी बेकार है। बस पागलपन है। सारी जमात को इस्लाम में तब्दील करना है, इसी चक्कर में पड़े हुए हैं।

रामदेव के मुसलमानों के प्रति नफरत भरे बयान को अहमद कबीर नाम के एक ट्वीटर हैंडल से भी ट्वीट किया गया है।

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ऐसे नफरत भरे बयान सुनकर शायद ही कोई रामदेव को बाबा की उपाधि देना चाहेगा, क्योंकि किसी भी धर्म में ये नहीं कहते कि आप दूसरे धर्म के पहनावे, शिक्षा या उनकी संस्कृति पर सवाल खड़े करें।

रामदेव की इस टिप्पणी के बाद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद शफीकुर्रहमान ने आपत्ति जताई, उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव फर्जी बातें कर रहे हैं उनको इस्लाम के बारे में कुछ पता नहीं है, बाबा रामदेव को कुरान शरीफ पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान देकर बाबा रामदेव भाजपा को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। वे लोगों को धोखे में लाकर भाजपा की मदद कर रहे हैं और 2024 चुनाव में जीत दिलाने चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मजहब और राजनीति अलग है मजहब के रास्ते में सियासत को लाना ठीक नहीं है। सियासत और मजहब अलग-अलग हैं।

उम्मीद की जा सकती है कि रामदेव को शफीकुर्रहमान की बात समझ में आई होगी। लेकिन हैरानी वाली बात ये भी है कि अभी तक रामदेव के ख़िलाफ किसी भी तरह की कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है, न ही राज्य की या केंद्र की सत्ता के किसी प्रवक्ता या नेता ने इसे ग़लत ठहराया है।

लेकिन ये कहने में गुरेज नहीं कि रामदेव का ये बयान सीधे तौर पर दंगे भड़काने वाला था। जिसमें कुछ भी हो सकता था। दूसरी तरफ शफीकुर्रहमान के शब्दों में कहें तो ये भाजपा के लिए सोची-समझी स्पीच दी गई थी।

क्योंकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में तो भाजपा ने 80 बनाम 20 वाला नारा दे ही दिया था, बाद में पार्टी के किसी भी बड़े पद पर एक भी मुसलमान नहीं होना ये साबित करता है कि सीधे तौर पर भाजपा सिर्फ हिंदुओं के वोट बटोरने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा इस साल के आख़िर तक राजस्थान के चुनाव भी होने हैं, जहां फिलहाल कांग्रेस सत्ता में है। इसके अलावा राज्य में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और गहलोत के कामों को देखते हुए भाजपा परेशान भी है, साथ ही जिस तरह से राजस्थान भाजपा में कई खेमें बंट चुके हैं, वो भी एक परेशानी का सबब बन सकता है।

लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भाजपा सिर्फ विधानसभा के लिए 200 सीटों की तैयारी ही नहीं कर रही बल्कि अगले साल होने वाले लोकसभा की 25 सीटें जीतने की जुगत में भी होगी।

आपको याद होगा पिछले दिनों राज्य के उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या के बाद कितना विवाद हुआ था, पूरे देश में मुस्लिमों पर एकतरफा तीखे वार किए गए थे, अब इसी का फायदा एक बार फिर भाजपा उठाना चाह रही है, जिसके लिए इस बार वो सीधे तौर पर कथित धार्मिक व्यक्तियों का सहारा ले रही है।

रामदेव वही शख्स हैं जिन्होंने साल 2014 में भाजपा की सरकार केंद्र में आने से पहले जनता से कहा था कि आपको पेट्रोल 80 रुपये में चाहिए या 40 रुपये में। लेकिन अब जब 100 के पार है तो बाबा के मुंह पर टेप चिपक चुका है, और अब उसे जिताने के लिए एक धर्म विशेष को लेकर अनर्गल बोल रहे हैं।

सिर्फ़ वोट ही मक़सद नहीं   

अगर रामदेव के बयान से सिर्फ ये समझा जाए कि इसका मकसद महज वोट लेकर चुनाव जीतना है, तो ये गलत होगा। क्योंकि अगले ही साल संघ के 100 बरस भी पूरे हो रहे हैं। ऐसे में हिंदू धर्म सभाओं का आयोजन और एक विशेष धर्म के खिलाफ ज़हर उगलना उसकी तगड़ी शुरुआत हो सकती है।

रामदेव के बयान को हम संघ से इसलिए जोड़ रहे हैं, क्योंकि संघ के सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबेल भी राजस्थान में ही डटे हुए हैं और वो भी मुसलमानों को धर्म बदलकर सनातन अपनाने की सलाह दे रहे हैं।

होसबोले जयपुर में आयोजित एक सभा में शामिल हुए थे और कहा था-‘‘भारत में रहने वाले सभी हिन्दू हैं, क्योंकि उनके पूर्वज हिन्दू थे, उनकी पूजा पद्धति अलग हो सकती है, लेकिन उन सभी का डीएनए एक है।”

उन्होंने कहा कि सभी के सामूहिक प्रयास से ही भारत विश्व गुरु बनकर दुनिया का नेतृत्व करेगा। संघ भारत के सभी मतों और संप्रदायों को एक मानता है। होसबोले ने कहा कि “संघ न तो दक्षिणपंथी है और न ही वामपंथी है, बल्कि वह राष्ट्रवादी है।”

चौंकाने वाली बात तो ये है कि संघ के इस कार्यक्रम में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेश चंद्र शर्मा, और मौजूदा नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया भी मौजूद थे।

भाजपा के इन बड़े नेताओं की मौजूदगी से ये समझा जा सकता है कि पार्टी को जिताने के लिए मौहाल तो तैयार हो ही रहा है, साथ में आने वाले वक्त के लिए संघ जो हिंदू राष्ट्र का सपना देख रहा है, उसे पूरा करने की भी भरपूर कोशिश की जा रही है।

यहां ये कहना भी ग़लत नहीं होगा कि संघ का ये तथाकथित सपना तभी पूरा हो सकता है जब केंद्र में भाजपा की ही सरकार हो। यही कारण है कि संघ पूरी तरह से भाजपा को जिताने की जुगत में जुट गया है।

सीपीआई-एम राज्य सचिव अमराराम से जब हमने इस विषय पर बात की, तो उन्होंने रामदेव के इस बयान को सीधे तौर पर भाजपा के पक्ष में ही बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास न एक भी सांसद न एक भी विधायक मुसलमान है, न ही किसी को टिकट देते हैं, यही दर्शाता है कि ये लोग देश में क्या करना चाहते हैं।

जब हमने अमराराम से दत्तात्रेय होसबोले के बयानों और हिंदू राष्ट्र के बारे में बात की, तो उन्होंने बताया कि देश में कभी कोई मुसलमान प्रधानमंत्री नहीं हुआ, और हिंदू या मुसलमान इंसान जन्म से होता है। इसलिए भाजपा सिर्फ एजेंडा करती है।

आपको बता दें कि पिछले दिनों जब धर्म संसदों को लगा-लगाकर स्वतंत्रता सेनानियों और दूसरे धर्म के लिए अपशब्द कहे जा रहे थे, तब कोर्ट ने इसपर रोक लगाई थी, इसके बावजूद ये ऐसी कार्यक्रमों के जरिए खुलेआम नफरत का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। दूसरी ओर इसके ख़िलाफ किसी भी तरह का कोई एक्शन भी नहीं लिया जाता।

वैसे खुद को बाबा की संज्ञा देने वाले रामदेव ने पहली बार ऐसे बयान नहीं दिए हैं, कुछ दिनों पहले उन्होंने महाराष्ट्र में एक सभा में महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसमें बड़ी बात ये थी कि रामदेव के मंच पर ही बालासाहेबची शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे,  मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे और भाजपा के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस और अन्य प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं।

यानी सीधा सी बात है कि ऐसे बाबाओं के नफरती बयान और भाजपा के बीच गहरा संबंध है? जिसकी जवाबदेही से ऐसे बाबाओं के साथ भाजपा भी बच नहीं सकती।

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