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प्रसिद्ध पर्यावरणविद और चिपको नेता सुंदरलाल बहुगुणा का कोरोना संक्रमण से निधन

नौ जनवरी, 1927 को टिहरी जिले में जन्मे बहुगुणा को चिपको आंदोलन का प्रणेता माना जाता है। उन्होंने सत्तर के दशक में गौरा देवी तथा कई अन्य लोगों के साथ मिलकर जंगल बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरूआत की थी।
सुंदरलाल बहुगुणा

देहरादून: प्रसिद्ध पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन नेता सुंदरलाल बहुगुणा का शुक्रवार को एम्स, ऋषिकेश में कोविड-19 से निधन हो गया ।

वह 94 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी विमला, दो पुत्र और एक पुत्री है।

एम्स प्रशासन ने बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद आठ मई को बहुगुणा को एम्स में भर्ती कराया गया था। ऑक्सीजन स्तर कम होने के कारण उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी। चिकित्सकों की पूरी कोशिश के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका।

नौ जनवरी, 1927 को टिहरी जिले में जन्मे बहुगुणा को चिपको आंदोलन का प्रणेता माना जाता है। उन्होंने सत्तर के दशक में गौरा देवी तथा कई अन्य लोगों के साथ मिलकर जंगल बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरूआत की थी।

पद्मविभूषण तथा कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित बहुगुणा ने टिहरी बांध निर्माण का भी बढ़-चढ़ कर विरोध किया और 84 दिन लंबा अनशन भी रखा था। एक बार उन्होंने विरोध स्वरूप अपना सिर भी मुंडवा लिया था।

टिहरी बांध के निर्माण के आखिरी चरण तक उनका विरोध जारी रहा। उनका अपना घर भी टिहरी बांध के जलाशय में डूब गया। टिहरी राजशाही का भी उन्होंने कडा विरोध किया जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। वह हिमालय में होटलों के बनने और लक्जरी टूरिज्म के भी मुखर विरोधी थे ।

महात्मा गांधी के अनुयायी रहे बहुगुणा ने हिमालय और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए कई बार पदयात्राएं कीं। वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कट्टर विरोधी थे।

राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति ने शोक प्रकट किया

नयी दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पर्यावरणविद एवं चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर शोक प्रकट किया और कहा कि बहुगुणा का निधन संरक्षण के क्षेत्र में एक गौरवशाली अध्याय का अंत है।

राष्ट्रपति भवन ने रामनाथ कोविंद के हवाले से ट्वीट किया, ‘‘ सुंदरलाल बहुगुणा का निधन संरक्षण के क्षेत्र में एक गौरवशाली अध्याय का अंत है। ‘पद्म विभूषण’ पुरस्कार से सम्मानित वह (बहुगुणा) मूल रूप से एक गांधीवादी थे।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि अपने आप में एक किंवदंती, बहुगुणा ने संरक्षण को एक जन आंदोलन बना दिया। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शोक व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने की दिशा में किए गए उनके प्रयासों को हमेशा याद रखा जाएगा।

नायडू ने ट्वीट कर कहा, ‘‘वयोवृद्ध पर्यावरण संरक्षक, हिमालय के पर्यावरण की रक्षा के लिए चिपको आंदोलन के प्रणेता, सुंदरलाल बहुगुणा जी के निधन से एक युग का अंत हो गया। उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। पुण्यात्मा को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि! उनके परिजनों और सहयोगियों के प्रति हार्दिक संवेदना! ओम शांति।’’

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘बहुगुणा जी से पर्यावरणविदों की पीढ़ियों ने प्रेरणा ली। उनका महान कृतित्व भविष्य में भी समाज को मार्ग दिखाता रहेगा। उनका मानना रहा कि पर्यावरण ही हमारी अर्थव्यस्था को स्थायित्व देता है। यही हमारी भावी प्रगति का मंत्र होना चाहिए।’’

सुंदरलाल बहुगुणा का निधन ‘बहुत बड़ा’ नुकसान: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर शोक जताया और इसे देश के लिए ‘‘बहुत बड़ा नुकसान’’ बताया।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘‘सुंदरलाल बहुगुणाजी का निधन हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा नुकसान है। प्रकृति के साथ तालमेल कर रहने की हमारे सदियों पुराने लोकाचार का उन्होंने प्रकटीकरण किया। उनकी सदाशयता और जज्बे की भावना को कभी भूला नहीं जा सकता। मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ है।’’

किसान महासभा ने भी श्रद्धांजलि दी

अखिल भारतीय किसान महासभा ने प्रख्यात पर्यावरणविद और आंदोलनकारी सुंदर लाल बहुगुणा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है!

किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि चिपको आंदोलन और टिहरी बांध के खिलाफ दशकों तक चले किसान आंदोलनों में उनकी नेतृत्वकारी भूमिका ने उन्हें पूरी दुनिया में ख्याति दिलाई।

उन्होंने कहा सुंदरलाल बहुगुणा का जाना उत्तराखण्ड और पूरी दुनिया में जन आंदोलनों के लिए एक बड़ी क्षति है। किसानों ने अपना एक सच्चा साथी खो दिया है।

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