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सीलबंद लिफ़ाफ़े में रिपोर्ट से प्राकृतिक न्याय और मुक्त न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन: न्यायालय

न्यायालय ने सुझाव दिया कि जिन मामलों में सरकार अपनी खुफिया रिपोर्ट की सामग्री का खुलासा करने में हिचकिचाती है, वहां जनहित में छूट की कार्यवाही अपनाई जानी चाहिए।
Supreme Court
PTI

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अदालतों में सीलबंद लिफाफों में रिपोर्ट दाखिल करने की प्रथा की आलोचना की और कहा कि यह प्राकृतिक न्याय और मुक्त न्याय दोनों सिद्धांतों का उल्लंघन करती है।

न्यायालय ने सुझाव दिया कि जिन मामलों में सरकार अपनी खुफिया रिपोर्ट की सामग्री का खुलासा करने में हिचकिचाती है, वहां जनहित में छूट की कार्यवाही अपनाई जानी चाहिए।

न्यायालय की यह टिप्पणी तब आई जब न्यायालय, केरल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मलयालम समाचार चैनल ‘मीडियावन’ की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने सुरक्षा आधार पर इसके प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा था।

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि जांच एजेंसियों की रिपोर्ट व्यक्तियों और संस्थाओं के जीवन, स्वतंत्रता और पेशे पर निर्णयों को प्रभावित करती हैं, और ऐसी रिपोर्टों को प्रकटीकरण से पूर्ण छूट देना एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली के विपरीत है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य के लिए यह अनिवार्य है कि वह ठोस सबूत पेश कर यह साबित करे कि खुलासा न करना राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में है।

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