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आरटीआई से खुलासा: संकट में भी काम नहीं आ रही प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना

“बड़ी संख्या में मृतकों के नॉमिनी और परिवार वालों को यह जानकारी ही नहीं है कि मृतक PMJJBY में शामिल था या नहीं और बीमा योजना के लिए प्रतिवर्ष प्रीमियम की राशि का भुगतान किया था या नहीं”।
आरटीआई से खुलासा: संकट में भी काम नहीं आ रही प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना
Image courtesy : Financial Express 

कोरोना संक्रमण की त्रासदी में हमने पूरे देश में 3.5 लाख से अधिक लोगों को खो दिया है, जिसमें से बड़ी संख्या उन लोगों की हैं जिनके ऊपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी, जिसके कारण उनके चले जाने से बहुत से परिवारों पर बड़ा आर्थिक संकट छा गया है।

कोरोना के शुरुआत से ही तमाम लोग कोरोना संक्रमण के कारण हो रही मौतों के लिए मुआवज़े की मांग कर रहे हैं जो कि आजतक पूरी नहीं हो पाई। इसके साथ ही जिन लोगों ने सरकारी बीमा PMJJBY की पॉलिसी ली थी उनके परिवारों को क्लेम ना के बराबर ही मिल रहा है। हमारे द्वारा RTI में पूछे गए सवाल का जबाब देते हुए IRDAI ने बताया है कि 30 मार्च 2021 तक मात्र 1,163 लोगों को ही कोरोना से सम्बंधित मौत होने का क्लेम मिला जिसके तहत 23.26 करोड़ रुपये भुगतान किया गया है। क्लेम की यह संख्या कोरोना हुई मौतों के सामने बहुत ही कम है। 

बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI- Insurance Regulatory and Development Authority of India) जो कि भारत सरकार का एक प्राधिकरण (एजेंसी) है, ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत भेजे गए सवाल के जवाब में बताया कि 31 मार्च 2021 तक प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) के अंतर्गत कवर कुल लोगों की संख्या 4.94 करोड़ है, वहीं वित्त मंत्रालय का डिपार्टमेंटल ऑफ़ फाइनेंसियल सर्विसेस बीमा योजना के अंदर शामिल लोगों की संख्या दस करोड़ से अधिक बताता है। IRDAI और वित्त मंत्रालय के आंकड़ों में जो अंतर नजर आ रहा हैं, वो इसलिए हैं क्योंकि केंद्र सरकार ने वाहवाही बटोरने के लिए नामांकन की कुल संख्या में से उन लोगों को हटाया ही नहीं जिन्होंने बीमा पालिसी का नवीनीकरण किया ही नहीं हैं, इसलिए वित्त मंत्रालय के आंकड़े वास्तविक संख्या से कही अधिक नजर आते हैं। 

RTI में प्राप्त आंकड़े जो कि यहां सारणी में दिए गए हैं, उसमें हम देख सकते हैं कि वर्ष 2015-16 में PMJJBY की शुरुआत होने पर 2.73 करोड़ लोगों ने बीमा पॉलिसी को लिया था परन्तु उनमें से अगले साल 2016-17 में 2.25 करोड़ लोगों ने ही नवीनीकरण करवाया और 48.5 लाख लोगों ने नवीनीकरण कराया ही नहीं, और इसी साल 28.7 लाख नए लोगों ने बीमा पालिसी खरीदी जिसके चलते 2016-17 में कुल नामांकित लोगों की संख्या पिछले साल से घटकर 2.53 करोड़ हो गयी। इसी प्रक्रिया के चलते 2017-18 में भी कुल नामांकन 2.53 करोड़ ही रहे, और 2018-19 में 2.98 करोड़, 2019-20 में 3.76 करोड़ और 2020-21 में नामांकन की संख्या बढ़कर 4.94 करोड़ हो गयी।

2020-21 में PMJJBY में नामांकित करीब 5 करोड़ लोग देश की वर्तमान जनसंख्या का छोटा हिस्सा हैं, पिछले छह सालों का तथाकथित ‘विकास’ किसी भी रूप से देश के आमजन, विशेषकर गरीब और वंचितों के लिए सर्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली तैयार करने के उद्देश्य में कारगार साबित नहीं हुआ है। 

वर्षवार कुल नामांकन, प्रीमियम और क्लेम का विवरण 


स्रोत: प्रस्तुत सारिणी IRDAI ने RTI के अंतर्गत उपलब्ध कराई है। 

इसके साथ ही हम सारणी  में देख सकते हैं कि योजना की शुरुआत से अभी तक, 2020-21 में सबसे अधिक 1.83 करोड़  लोगों ने कोरोना संक्रमण के चलते PMJJBY में शामिल होने का निर्णय लिया हैं, जिसके लिए प्रीमियम के रूप में अभी तक का सबसे अधिक भुगतान किया गया जो 1309 करोड़ रुपये है।

वर्ष 2020-21 में लोगों का इतनी बड़ी संख्या में योजना में शामिल होना यह दर्शाता है कि लोग भविष्य में आने वाले जोखिम के लिए सुरक्षा चाहते हैं।

इसके साथ ही 2020-21 में ही सबसे अधिक 65,322 लोगों ने क्लेम के लिए आवेदन किया। जिसमें से 60,908 लोगों को 1218 करोड़ रुपये क्लेम के रूप में दिए जा चुके हैं। इस साल क्लेम के केस बढ़ने का मुख्य कारण सम्भवतया कोरोना हो सकता है। परन्तु RTI में यह बताया गया है कुल क्लेम में से मात्र 1,163 ही कोरोना से मृत्यु के क्लेम हैं, जिनको 23.26 करोड़ रुपये के क्लेम मिले हैं।

साथ ही आपको बताते चले कि PMJJBY में योजना की शुरुआत से 31 मार्च 2021 तक कुल 2.83 लाख लोगों ने क्लेम के लिए आवेदन किया था जिसमें से 2.70 लोगों को 5,396 करोड़ रुपयों का क्लेम दिया जा चुका है और 13 हजार लोग ऐसे हैं जिनको आवेदन करने के बाद क्लेम नहीं मिला हैं जिसमें से सबसे अधिक 4,414 लोग 2020-21 में कोरोना काल की अवधि के हैं।

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) क्या है 

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) की शुरुआत 9 मई 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गयी थी। PMJJBY टर्म इंश्योरेंस प्लान है। इसका फायदा बीमा कराने वाले की मृत्यु हो जाने पर उसके नॉमनी को मिलता है। यह एक साल का लाइफ इंश्योरेंस प्लान है। इसे प्रति वर्ष रिन्यूअल किया जा सकता है। इस बीमा योजना के अंतर्गत दो लाख रुपये का बीमा कवर मिलता है। PMJJBY के लिए न्यूनतम उम्र 18 साल और अधिकतम उम्र 50 साल है और इस बीमा योजना के लिए सालाना प्रीमियम 330 रुपये है। यह रकम सीधे बैंक खाते से काट ली जाती है। 

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) को आम आदमी, विशेषकर गरीब और वंचितों के लिए सर्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली तैयार करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, परन्तु इस बीमा योजना का दायरा आम आदमी तक बहुत ही धीमी गति से पहुंच रहा है। वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ फाइनेंसियल सर्विसेस ने RTI के जवाब में बताया है कि 31 मार्च 2021 तक देश में कुल नामांकन 10.27 करोड़ हैं जोकि देश की वर्तमान अनुमानित जनसंख्या का मात्र करीब आठ फ़ीसदी हैं, ऐसे में योजना की शुरुआत में केंद्र सरकार द्वारा गरीबों और वंचितों के लिए सर्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली तैयार करने का वादा बस जुमला ही साबित होता नजर आता हैं क्योंकि पिछले छह सालों में जनसंख्या के बहुत ही सीमित हिस्से तक इसकी पहुंच हुईं हैं । इसके साथ ही बीमा योजना के नामांकन के दावों में आंकड़ों को इस तरह से पेश किया जा रहा है जिससे यह लगता है कि बहुत बड़ी संख्या में लोग इस बीमा योजना में शामिल हैं, परन्तु वास्तविकता इसके विपरीत हैं।

केंद्र सरकार द्वारा जारी नामांकन के आंकड़ों में उन लोगों की संख्या भी शामिल हैं जिन्होंने PMJJBY का नवीनीकरण किया ही नहीं है। केंद्र सरकार को चाहिए कि अभी तक के कुल लाभार्थियों के आंकड़े बताने के साथ-साथ उन लोगों का भी विवरण दे जिन्होंने नवीनीकरण किया ही नहीं, और आंकड़ों में हेर-फेर करने की बजाय इस पर ध्यान दे कि अधिकांश पॉलिसी होल्डर प्रतिवर्ष फिर से पॉलिसी का नवीनीकरण करायें और बड़ी संख्या में नए लोग जुड़ें, ताकि देश की जनता का बड़ा हिस्सा योजना का लाभ उठा सके। 

PMJJBY के क्लेम के आंकड़ों में वित्त मंत्रालय और वित्त मंत्री के आंकड़ों में भी भारी अंतर

दिनांक 5 जून को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विभिन्न बीमा कंपनियों के अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए PMJJBY के अंतर्गत क्लेम की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कहा और साथ ही यह बताया कि PMJJBY में शुरुआत से अभी तक कुल 4.65 लाख क्लेम दिए गए जिसके लिए कुल 9,307 करोड़ रुपयों का भुगतान हुआ है, वहीं इसके विपरीत PMJJBY योजना के आधिकारिक पोर्टल https://jansuraksha.gov.in/Performance.aspx पर दिए गए साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार 26 मई 2021 तक कुल 2.60 लाख लोगों ने क्लेम किए जिसमें से 2.44 लाख लोगों को क्लेम दे दिए गए हैं।

इसके आलावा वित्त मंत्री बताती हैं कि कोरोनाकाल के दौरान 1 अप्रैल 2020 से 05 जून 2021 तक कुल 2403 करोड़ रुपयों के 1.2 लाख क्लेम दिए गए हैं जबकि वही दूसरी और समयावधि के लिए IRDAI के RTI में जवाब के आंकड़े बताते हैं कि कोरोनाकाल में वर्ष 2020-21 में 31 मार्च 2021 तक कुल 65,322 लोगों ने क्लेम किया जिसमें से 60,908 क्लेम का भुगतान किया है जोकि 1218.16 करोड़ रुपयों के हैं।

“The Finance Minister further observed that under PMJJBY, a total of 4.65 lakh claims have been paid of value Rs. 9,307 crore and since the beginning of the pandemic i.e., 1st April 2020 onwards till date, 1.2 lakh claims have been paid amounting to Rs. 2,403 crore, at a disposal rate of 99%.”   -05 JUN 2021 4:51PM by PIB Delhi

डिपार्टमेंट ऑफ़ फाइनेंसियल सर्विसेस की PMJJBY की साप्ताहिक परफॉरमेंस रिपोर्ट - 26 मई  


स्रोत: https://jansuraksha.gov.in/PDFDocument.aspx, डिपार्टमेंट ऑफ़ फाइनेंसियल सर्विसेस, वित्त मंत्रालय 

इसके आलावा IRDAI ने RTI में कुल क्लेम की संख्या के बारे में जवाब दिया है कि 2015-16 से 31 मार्च 2021 कुल 2.82 लाख लोगों ने आवेदन किये हैं जिसमें से 2.69 लोगों को क्लेम मिला है। डिपार्टमेंट ऑफ़ फाइनेंसियल सर्विसेस के क्लेम के आंकड़े IRDAI से भिन्न हैं, IRDAI और वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ फाइनेंसियल सर्विसेज के बीमा योजना के पोर्टल साप्ताहिक परफॉरमेंस की रिपोर्ट में क्लेम के आंकड़ों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं दिखाई देता है, और जो अंतर है वो बैंक से आंकड़े मिलने के समयांतराल के कारण हो सकता है, परन्तु वित्त मंत्री द्वारा बताये आंकड़े तो वास्तविक आंकड़ों से दुगने हैं। अब यह आंकड़ों बाजीगरी है या कुछ और इसको तो स्वयं वित्त मंत्री या वित्त मंत्रालय ही समझा सकता है। 

कोरोना संक्रमण के क्लेम की संख्या बहुत कम 

RTI में प्राप्त इन आकंड़ों में सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि करीब 5 करोड़ के नामांकन में से महज 1163 लोगों को ही कोरोना संक्रमण से होने होने वाली मौतों के लिए क्लेम दिया गया है, इसके अलावा कुल क्लेम जोकि 60 हजार है वो भी इस साल हुईं मौतों के मुकाबले बहुत कम है। हालाकिं इसमें यह संभव है कि जो अन्य क्लेम किये गए है उनमे भी कोरोना से सम्बंधित क्लेम हो क्योंकि क्लेम के लिए प्रस्तुत होने वाले दस्तावेज में मृत्य प्रमाण पत्र भी ऐसा नहीं दर्ज किया जाता है कि यह मृत्यु कोरोना के कारण हुई है।

इस सन्दर्भ में राजस्थान स्थित सामाजिक कार्यकर्त्ता दपिंदर सिंह जिन्होंने इस योजना में लोगों को क्लेम दिलाने में विशेष प्रयास भी किये हैं, वो कहते है कि योजना के आरम्भ होने के दौरान जिस गति से और विभिन्न माध्यमों के द्वारा योजना में सम्मिलित होने के लिए प्रचार-प्रसार किया गया था, परन्तु अब देश में कोरोना के कारण बड़ी संख्या में मौते हुई हैं तब उस तरह का कोई प्रचार नजर नहीं आता हैं अगर ऐसा होता तो प्रस्तुत दावों के आवेदनों की संख्या में ख़ासा इजाफा होता।

वे बताते हैं कि जिन्होंने PMJJBY की पॉलिसी को लिया था और उनकी मृत्यु हो गयी है तो बड़ी संख्या में मृतकों के नॉमिनी और परिवार वालों को यह जानकारी ही नहीं है कि मृतक PMJJBY में शामिल था या नहीं और बीमा योजना के लिए प्रतिवर्ष प्रीमियम की राशि का भुगतान किया था या नहीं।

इस सम्बन्ध में अर्थशास्त्री और बजट अध्ययन एवं अनुसंधान केन्द्र के निदेशक नेसार अहमद कहते हैं कि PMJJBY में कोई पॉलिसी डॉक्यूमेंट या कोई अन्य दस्तावेज नहीं दिया जाता है, जिसके कारण उनको पता ही नहीं चल पाता है कि ऐसी पॉलिसी  है जिसमें उन्हें क्लेम मिल सकता है। और लोगों में इस बात को लेकर इतनी जागरुकता नहीं होती कि वह पूरे साल का बैंक स्टेटमेंट देखकर पता लगाया करें कि जिनकी मृत्यु हुई हैं उन्होंने PMJJBY के अंतर्गत नामांकन किया हुआ था कि नहीं, और इस कारण से बहुत लोग क्लेम करने से वंचित हो जा रहे हैं। PMJJBY में मुख्य क्रियान्वयन एजेंसी बैंक है, क्योंकि बैंक के द्वारा ही खाते से प्रीमियम के पैसे काटे जाते हैं, परन्तु बैंकों इस मसलें पर प्राथमिकता नहीं दिखाई देती है और उनके पास अपने काम होते हैं अपनी स्वंय की बीमा योजनाएं होती हैं जिस कारण इस बीमा योजना पर ख़ास ध्यान नहीं देते हैं, और ऐसा कोई मॉनिटरिंग सिस्टम भी नहीं है जो लगातार इस बीमा योजना के क्लेम के ऊपर नजर रखे, इसके लिए जरुरी है कि केंद्र सरकार एक ऐसी व्यवस्था बनाये जोकि सरल हो और मृतक के परिवार को आसानी ने क्लेम का भुगतान मिल सके। 

क्लेम लेने के लिए आमजन को करना पड़ रहा परेशानियों सामना 

PMJJBY के क्लेम करने की प्रक्रिया के  नियम में कहा गया है कि पॉलिसी सब्सक्राइबर की मृत्यु होने के 30 दिनों के भीतर क्लेम आवेदन करे तो बेहतर होगा। इस बारे सामाजिक कार्यकर्त्ता दपिंदर सिंह बताते है कि बैंक इसी नियम को आधार बनाकर नॉमिनी से क्लेम का आवेदन लें ही नहीं रहे हैं, इस नियम के कारण परेशनियों को लेकर उन्होंने अपने दो साथियों रविंद्र शर्मा और संजीव विकल के साथ मिलकर  राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा हैं,  जिसका जवाब उनको अभी तक नहीं मिला है।

हमने भी इस विषय पर डिपार्टमेंट फाइनेंसियल सर्विसेस में सम्पर्क किया तो वहां से जवाब मिला कि नियम में “Preferably” शब्द जुड़ा हुआ हैं, साथ विभागीय  अधिकारियों ने बताया कि मौत होने के 30 दिन के अंदर क्लेम न करने कारण बैंक आवेदन लेने से नहीं रोक सकते हैं।

इस विषय पर चंडीगढ़ स्थित लॉ की पढाई कर रहे और सामाजिक कार्यकर्त्ता संजीव विकल कहते है कि धरातल की वास्तविकता ऐसी नहीं हैं। बैंक इसी नियम को ही आधार बनाकर क्लेम देने से मना कर दे रहे हैं। केंद्र सरकार को अपनी नियमावली में स्पष्ट रूप से लिखना चाहिए कि 30 दिन के अंदर आवेदन की कोई समयसीमा नहीं हैं और आवेदक जल्द से जल्द क्लेम करे।

क्लेम में मिलने वाली 2 लाख की राशि पर संजीव विकल कहते हैं कि क्लेम की यह धनराशि बहुत कम हैं, जिसकी मृत्य होती हैं और वो व्यक्ति परिवार में अकेला ही कमाने वाला हैं और उसके चले जाने से परिवार पर बहुत बड़ा आर्थिक संकट छा जायेगा, ऐसे में 2 लाख रुपये बहुत ही कम राशि है। वो आगे कहते हैं कि होना यह चाहिए कि उस व्यक्ति जिसकी मृत्यु हुई है उसकी वार्षिक आय अथवा न्यूनतम वेतन का कम से कम चार गुना धनराशि क्लेम के रूप में मिलनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर यदि एक महीने का न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये है तो उसके हिसाब से वार्षिक आय 2.16 लाख रुपये होगी और इसका चार गुना 8.64 लाख रुपये होगा। इसके साथ ही वे कहते हैं कि गांव-देहात का व्यक्ति अपने गांव के सेक्रेटरी के पास जाकर आसानी से काम नहीं करवा सकता है ऐसे हम उनसे यह कैसे अपेक्षा कर सकते हैं कि मृत्यु प्रमाण बनवाकर, हॉस्पिटल से डिस्चार्ज स्लिप लेकर, बैंक स्टेटमेंट में प्रीमियम कटने का पता करके एक निश्चित समय में आवेदन सकता है। इस प्रक्रिया को पूरा करने में काफी समय लगता है। इसके आलावा हमारे देश में बड़ी संख्या में ऐसे खाते हैं जिनमें नॉमिनी नहीं जुड़ा होता है अब ऐसे में यदि बैंक खातों में नॉमिनी का नाम ना दर्ज तो उसके लिए अलग से एक लम्बी क़ानूनी प्रक्रिया से गुजरना होता है जिसके कारण और अधिक समय लगता है, इसलिए ज़रूरी है कि क्लेम को सरल बनाया जाए और क्लेम की राशि में बढ़ोत्तरी की जाए ताकि नॉमिनी और परिवार को कुछ तात्कालिक मदद मिल सके। 

PMJJBY तभी मृतकों के परिवार वालों के लिए मदगार साबित हो सकती जब इसका क्रियान्वयन ठीक से होगा, जिसके लिए जरूरत है की केंद्र सरकार योजना को ठीक तरीके से लागू करने के लिए ऐसी व्यवस्था कायम और ऐसा तंत्र विकसित करे जो योजना के सुचारु क्रियान्वयन पर नजर रख सके और इस पर बढ़ावा दे कि अधिकांश लोगों इस बीमा योजना में नामांकन करवाएं और इसके अलावा केंद्र सरकार को क्लेम में मिलने वाली धनराशि को बढ़ाने के बारे में विचार करना चाहिए, क्योंकि दो लाख की राशि बहुत कम हैं और इससे परिवार ख़ास मदद नहीं होगी। इसके साथ ही पॉलिसी सब्सक्राइबर को कोई ऐसा डॉक्यूमेंट दिया जाना चाहिए जिससे मृतक के परिवार के लोगों को पता रहे हैं कि पॉलिसी ली हुई है। इसके साथ ही मुसीबत की इस घड़ी उन लोगों को भी शामिल किया जाए जिन्होंने बीमा पॉलिसी नहीं ली है। 

जो लोग बीमा योजना में शामिल नहीं हैं, क्या उनको भी मुआवज़ा मिलेगा 

देश में अब तक कोविड महामारी से मरने वालों की तादाद 3.5 लाख से अधिक है, लेकिन देश में कोविड से मरने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा देने का कोई स्पष्ट नियम नहीं है और न ही अभी तक किसी राज्य ने इसके लिए कोई पॉलिसी तैयार की है, और जो सरकारी बीमा योजना है उनमें बहुत ही कम संख्या में क्लेम मिल रहे हैं। देश में लगातार कोरोना से बढ़ रही मौतों के बीच लगातार ये सवाल पैदा हो रहा है कि इससे मरने वालों के परिवारों को सरकार की तरफ से मुआवजा दिया जाना चाहिए। एडवोकेट गौरव बंसल जिन्होंने कोरोना के कारण हुई मौतों के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है वो कहते हैं कि यदि किसी नोटिफाइड डिजास्टर के अंतर्गत मौत होती है तो हमारे संसद में पास कानून के हिसाब से उसे एक ex-gratia अमाउंट मिलता था, और यह ex-gratia धनराशि 14 जून 2020 से पहले 4 लाख रुपये थी, जिसकी नीति केंद्र सरकार ने बदल दी है और कहा है कि अब कोई ex-gratia अमाउंट नहीं मिलेगा। कोरोना काल में जिसमें विशेषकर दूसरी लहर में एक बड़ा तबका जोकि गरीब और वंचित हैं और जिसमें बड़ी संख्या के असंगठित क्षेत्र के मजदूर भी शामिल हैं, समाज के इन तबकों से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है, इस चीज को देखते हुए यह बहुत जरुरी था कि इनको ex-gratia अमाउंट मिले। परन्तु केंद्र सरकार के द्वारा नीति में बदलाव किये जाने से एक बड़ा तबका मिलने वाली मदद से बाहर हो गया है। अब ऐसे में उन परिवारों का क्या होगा जिन्होंने अपने परिवार का वो सदस्य खो दिया जोकि रोज़ी-रोटी कमाने वाला था। कोरोना से होने वाली मौतों पर मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि डेथ सर्टिफिकेट पर कोविड का जिक्र ही नहीं हो रहा है, ऐसे में आप कैसे पहचानेंगे कि किस परिवार को मुआवजा मिलना चाहिए? ऐसे कई सवालों को लेकर केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखने को कहा है। इस मामले में 11 जून को सुनवाई हुई, जिसमें सरकार ने जवाब के लिए कोर्ट से समय मांगा, जिसपर कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 21 जून की तारीख़ तय की है। 

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