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SKM की मांग: ‘हिमाचल में आई बाढ़ और भूस्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित करे केंद्र सरकार’

SKM ने मांग की कि फ़सल नुक़सान के लिए प्रति एकड़ 50,000 रुपये, प्रति गोजातीय मवेशी के लिए 1 लाख रुपये और प्रति छोटे जुगाली करने वाले जानवर के लिए 1 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाए।
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फ़ोटो : PTI

दिल्ली: SKM यानी संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने उत्तर भारत समेत पूरे देश में भारी बारिश से प्रभावित लोगों के प्रति दुःख व्यक्त किया। SKM की ओर से कहा गया कि, भारी बारिश के कारण भू-स्खलन, जल जमाव और बाढ़ जैसे हालात हुए जिससे अब तक 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हिमाचल प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित राज्य है और यहां 80 लोग पहले ही अपनी जान गंवा चुके हैं। सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति और मवेशियों का नुकसान हो चुका है। SKM ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भू-स्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित करे और हिमाचल प्रदेश के लोगों को तुरंत राहत भेजे।

SKM की राष्ट्रीय समन्वय समिति ने 12 जुलाई, 2023 को एक बैठक की जिसमें समिति ने जम्मू और कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और असम समेत अभूतपूर्व प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहे सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र सरकार द्वारा तत्काल और प्रभावी राहत कार्य की मांग की। SKM लगातार बाढ़ और भारी बारिश के कारण पीड़ित लोगों के प्रति केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित कर रहा है जिसमें किसान सबसे अधिक प्रभावित हैं। किसानों ने अपनी फसल और मवेशियों को खो दिया है।

SKM ने मांग की कि "केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारें उन परिवारों को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा दें, जिन्होंने अपने परिजनों को खो दिया है। इसके अलावा फसल के नुकसान के लिए प्रति एकड़ 50,000 रुपये, प्रति गोजातीय मवेशी के लिए 1 लाख रुपये और प्रति छोटे जुगाली करने वाले जानवर के लिए 1 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाए।" SKM ने कहा कि "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई प्रभावित राज्यों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की विफलता के कारण कृषि और पशुपालन क्षेत्र के लिए कोई प्रभावी बीमा कवरेज नहीं है। प्रशासन को तत्काल और प्रभावी राहत कार्य सुनिश्चित करना चाहिए।"

बता दें कि SKM ने प्रभावित राज्यों में अपने सभी घटक संगठनों से अपील की है कि उनके कार्यकर्ता राहत कार्य में भाग लें और सभी पीड़ितों की मदद करें।

वहीं SKMका कहना है कि "वह बुरहानपुर जिले में 15000 एकड़ जंगल को लूटने वालों का विरोध करने पर निर्दोष आदिवासी परिवारों पर दमन की निंदा करता है और साथ ही जागृत आदिवासी दलित संगठन की नेता माधुरी को बुरहानपुर जिले में प्रवेश करने से रोकने के लिए एक साल के लिए निष्कासन का अजीब और गैरकानूनी आदेश जारी करने के लिए मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार की भी निंदा करता है। इस तरह के सत्तावादी और अलोकतांत्रिक उपाय अत्यधिक निंदनीय हैं और SKM मांग करता है कि मुख्यमंत्री यह शर्मनाक आदेश को तुरंत वापस ले लें।"

SKM ने वन संरक्षण (संशोधन) विधेयक में किए गए संशोधनों को जन विरोधी बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया। बता दें कि इस विधेयक को संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाना है। SKM का कहना है कि विधेयक का उद्देश्य मुनाफाखोरी के लिए वन संसाधनों पर कॉर्पोरेट कब्ज़ा करने की सुविधा प्रदान करना और स्थानीय समुदायों विशेषकर आदिवासियों को वन और वन संसाधनों पर अधिकारों से वंचित करना है। SKM ने मांग की कि सांसद इस विधेयक को लागू न होने दें।

इसके अलावा SKM का कहना है कि "वह मुंडका पुलिस स्टेशन की एफआईआर 534/2021 के मामले में किसानों को नोटिस भेजकर उनके खिलाफ सभी मामले वापस लेने के ऐतिहासिक किसान संघर्ष के दौरान किए गए समझौते के उल्लंघन के लिए दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार की निंदा करता है।"

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