Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

एसएसपी नोएडा केस: डीजीपी बोले- वैभव कृष्ण से पूछा गया है गोपनीय दस्तावेज क्यों वायरल किया?

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि गलत तरीके से ठेके लिये जाने के मामले में एसएसपी नोएडा वैभव कृष्ण ने जो गोपनीय दस्तावेज भेजे थे, वे मीडिया में वायरल हो गये हैं।
SSP Vaibhav Krishna
Image courtesy: Amar Ujala

लखनऊ: गलत तरीके से ठेके लेने के मामले में नोएडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) द्वारा शासन को भेजे गये गोपनीय दस्तावेज कथित रूप से मीडिया में लीक होने के बीच उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओम प्रकाश सिंह ने शुक्रवार को कहा कि एसएसपी से पूछा गया है कि उन्होंने वह गुप्त जानकारी क्यों वायरल की।

डीजीपी ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में इस मामले पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि गलत तरीके से ठेके लिये जाने के मामले में एसएसपी नोएडा वैभव कृष्ण ने जो गोपनीय दस्तावेज भेजे थे, वे मीडिया में वायरल हो गये हैं।

उन्होंने कहा “हम लोगों का मानना है कि एसएसपी नोएडा ने एक अनाधिकृत संवाद किया। यह सेवा नियमों के खिलाफ है, इसीलिये हमने आईजी (पुलिस महानिरीक्षक) मेरठ से कहा है कि उनसे यह पूछा जाए कि उन्होंने गोपनीय दस्तावेज को क्यों वायरल किया या उसे किसी को दिया।”

सिंह ने कहा कि उस गोपनीय पत्र, जिसकी कॉपी आपके पास है, उसमें कई चीजों का जिक्र किया गया था। उसमें अतुल शुक्ला, सकीना, मुहम्मद जुहेब, विष्णु कुमार पांडे, अनुभव भल्ला और अमित शुक्ल समेत छह लोगों का जिक्र किया गया, जो गलत दस्तावेज के आधार पर टेंडर लेना चाहते थे।

उन्होंने बताया, “गृह विभाग ने शासन के स्तर पर जांच करवायी और उनके विरुद्ध कार्रवाई करवायी गयी। उनमें से दो को जेल भेजा गया है, जबकि दो ने अदालत से स्थगनादेश ले लिया है, जबकि बाकी फरार हैं।”

उन्होंने बताया कि गत अगस्त में नोएडा में पांच पत्रकारों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई हुई थी। पत्रकारिता की आड़ में अधिकारियों को ब्लैकमेल करने वालों पर पुलिस द्वारा एक मुकदमा दर्ज किया गया था।

मामले में जांच के लिए एडीजी मेरठ को 15 दिन का और वक्त

इस बारे में एसएसपी नोएडा ने पूरे तथ्यों की जानकारी और कुछ अन्य गोपनीय दस्तावेज यूपी सरकार, गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय को भेजे थे। इसकी जांच कर रहे मेरठ के अपर पुलिस महानिदेशक ने गत 26 दिसम्बर को जांच के लिये 15 दिन का और समय मांगा जो उन्हें दे दिया गया है।

सिंह ने बताया “इसी बीच, एक वीडियो क्लिप वायरल हुआ है, जिसके सम्बन्ध में एसएसपी नोएडा ने एक मुकदमा सेक्टर 20 थाने में दर्ज कराया है। जब हमें यह पता चला तो हमने उस मुकदमे को निष्पक्षता के लिये हापुड़ स्थानांतरित कर दिया है जो वहां के एसपी के अधीन होगा। आईजी मेरठ करीबी से उसकी निगरानी करेंगे, ताकि तथ्यों की सही जानकारी के साथ जांच हो सके।”

डीजीपी ने कहा कि मीडिया में लीक हुए उस गोपनीय दस्तावेज में कई और लोगों के नाम भी शामिल थे और अभी एजेंसियों से इस आडियो क्लिप की प्रामाणिकता जांचनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि सारी चीजों की प्रामाणिकता होनी जरूरी है। हमने साइबर क्राइम की मदद ली है और एसटीएफ की भी मदद ले रहे हैं।

इससे पहले फर्जी वीडियो मामले में हुआ था मुकदमा

आपको बता दें कि गौतम बुद्ध नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण के तीन कथित फर्जी अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर जारी करने वाले अपराधियों के खिलाफ एसएसपी ने बुधवार देर रात मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस घटना की रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच कर रही है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण ने बताया कि उक्त वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल करने वालों की जल्द ही गिरफ्तारी की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस मामले के खुलासे के लिए साइबर सेल व थाना सेक्टर 20 पुलिस की एक टीम बनाकर जांच की जा रही है। ये वीडियो सोशल मीडिया पर दो दिनों से वायरल हो रहे हैं। वीडियो जारी होने के बाद बीती रात पुलिस कप्तान ने प्रेस वार्ता आयोजित कर कहा कि उनकी छवि को खराब करने के लिए षडयंत्र रचा गया है।

उन्होंने कहा कि एक साल की पोस्टिंग के दौरान उन्होंने संगठित अपराध करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। भ्रष्टाचार में शामिल पुलिस विभाग के कई लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। अवैध उगाही में शामिल कई तथाकथित पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है। तथा उत्तर प्रदेश में व्यापक पैमाने पर चल रहे होमगार्ड वेतन घोटाले का खुलासा किया है।

एसएसपी ने बताया कि उनकी छवि को खराब करने की नीयत से ही कुछ लोगों ने उनके खिलाफ षड्यंत्र कर फर्जी अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया है। उन्होंने बताया कि एक माह पूर्व उन्होंने उत्तर प्रदेश शासन को एक गोपनीय रिपोर्ट भेजी है। जिसमें कई आईपीएस अफसरों तथा पत्रकारों व नेताओं के एक संगठित गिरोह का खुलासा किया गया है जो उत्तर प्रदेश में ठेका दिलवाने, पोस्टिंग करवाने, अपराधिक कृत्य को संरक्षण देने आदि का काम करते हैं।

उन्होंने शक जताया कि उक्त गिरोह के लोगों ने ही उनके खिलाफ षड्यंत्र रच कर फर्जी वीडियो को वायरल किया है।

योगी आदित्यनाथ ने मांगी रिपोर्ट

वहीं, यह मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री कार्यालय, अपर मुख्य सचिव (गृह) और डीजीपी से गोपनीय रिपोर्ट पर जानकारी मांगी है।

एसएसपी वैभव कृष्ण के मुताबिक, उन्होंने एसएसपी (गाजियाबाद) सुधीर कुमार सिंह, एसपी (सुलतानपुर) हिमांशु कुमार, एसएसपी (एसटीएफ) राजीव नारायण मिश्र, एसपी (बांदा) गणेश साहा और एसपी (रामपुर) डॉ. अजय पाल शर्मा के खिलाफ जांच रिपोर्ट भेजी थी।

एसएसपी ने साजिश के लिए इन्हीं अफसरों पर आरोप लगाए हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest