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मत कहो, अंधेरा घना है... संसद में सच कहना मना है

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, यानी बोलने की आज़ादी, लिखने की आज़ादी, ख़ुद को व्यक्त करने की आज़ादी हमारा संवैधानिक और मौलिक अधिकार है, लेकिन 'अघोषित आपातकाल' में सबसे पहले इसी पर हमला होता है। आज ‘सारे सुख़न हमारे’ के इस एपिसोड में हम बात कर रहे हैं इसी बोलने की आज़ादी के बारे में।

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