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तिरछी नज़र: सरकार जी का परिवार, जिसमें शामिल नहीं युवा-बेरोज़गार

वैसे सरकार जी जो मर्जी बोलें, सच तो यह है कि उनके परिवार में सारे के सारे 140 करोड़ लोग नहीं आते हैं। सरकार जी सबको रखते भी नहीं हैं।
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सरकार जी ने एक बहुत ही अच्छी बात कही है। वैसे भी सरकार जी जब भी कहते हैं, बात अच्छी ही कहते हैं। सरकार जी ने कहा है कि सारा का सारा देश, देश की 140 करोड़ जनता उनका परिवार है। और यह भी कि यह उनका सौभाग्य है। इससे पहले इतना बड़ा परिवार रखने का सौभाग्य और किसी को मिला था क्या? नेहरू को भी कहां मिला था ऐसा सौभाग्य। अगर वह चाहते तो भी नहीं मिल सकता था। अधिक से अधिक 40-50 करोड़ लोगों का परिवार पा सकते थे नेहरू। ऐसा सौभाग्य तो विश्व में पहली बार सरकार जी को ही मिला है। अब तो यह सौभाग्य चीन के राष्ट्रपति को भी नहीं मिल सकता है। हम इस मामले में चीन से आगे निकल चुके हैं।

जी हां, जनसंख्या के मामले में हम चीन को पीछे छोड़ कर नंबर एक बन चुके हैं। और किसी मामले में हो न हो, इस मामले में हम निश्चित ही विश्व गुरु हैं। और यह विश्व गुरु बनना सरकार जी के कार्यकाल में ही हुआ है। पिछले सत्तर साल में इस मामले तक में कुछ नहीं हुआ और सरकार जी ने मात्र दस वर्ष में ही हमें जनसंख्या के मामले में नम्बर एक पर पहुंचा दिया। और वह भी बिना पत्नी को साथ रखे हुए।

हां तो सरकार जी को इतना बड़ा परिवार मिला है। यह अपने आप में ऐतिहासिक है। विश्व रिकॉर्ड भी है। सरकार जी जो भी करते हैं, ऐतिहासिक ही करते हैं और विश्व रिकॉर्ड भी बनाते हैं। जब दस बारह दिन पहले उन्होंने यह बताया था कि उनका परिवार 140 करोड़ लोगों का है। तब से तो इस परिवार में कुछ लाख लोग और बढ़ ही गए होंगे। अनुमान है कि पिछले दस दिनों में पचास हजार प्रति दिन के हिसाब से सरकार जी के परिवार में पांच लाख लोग जरूर बढ़ गए होंगे। मतलब आज अगर सरकार जी अपने परिवार की बात करें तो फिर से एक नया विश्व रिकार्ड बनाएंगे। अपना ही बनाया गया विश्व रिकॉर्ड तोड़ेंगे।

अब यह तो सरकार जी की मर्जी है कि किसको अपने परिवार में रखें और किस को नहीं। लोग पत्नी को परिवार में रखते हैं। बल्कि परिवार ही पत्नी से शुरू करते हैं। परिवार चले और बढ़े इस लिए पत्नी को साथ रखते हैं, पत्नी के साथ रहते हैं। पर सरकार जी ने पत्नी को साथ नहीं रखा, साथ नहीं रहे। पता नहीं, अभी भी सरकार जी जो 140 करोड़ लोगों के परिवार की बात करते हैं, उसमें जसोदा बेन भी शामिल हैं या नहीं।

वैसे सरकार जी जो मर्जी बोलें, सच तो यह है कि उनके परिवार में सारे के सारे 140 करोड़ लोग नहीं आते हैं। सरकार जी सबको रखते भी नहीं हैं। अब देखो, कठुआ जम्मू की उस बेटी को तो सरकार जी ने परिवार में हरगिज़ ही नहीं रखा होगा जिसका बलात्कार हुआ था। पर वे लोग जरूर परिवार में होंगे जिन्होंने बलात्कार किया था। ऐसे ही उन्नाव की बिटिया सरकार जी के परिवार में नहीं होगी और न ही होगी हाथरस की बेटी। पर हां, उनका बलात्कार करने वाले, उनके परिवार को सड़क दुर्घटना में मारने वाले, और लाश को रात दो बजे चुपचाप जला देने वाले जरूर सरकार जी के परिवार में हैं।

सरकार जी के परिवार में वे महिला पहलवान भी नहीं हैं जिनका यौन शोषण हुआ। जो इसके विरोध में जंतर मंतर पर बैठीं। जिन पर लाठियां बरसाईं गईं। पर वह सांसद जरूर है जिसने उनका शोषण किया था। वह तो परिवार का ऐसा सम्मानित सदस्य है जिसे बचाने पूरा परिवार कूद पड़ा।  

सरकार जी का परिवार बहुत ही बड़ा है। 140 करोड़ लोगों का है सरकार जी का परिवार। पर सरकार जी का परिवार इतना भी बड़ा नहीं है कि उसमें मणिपुर के लोग समा सकें। मणिपुर की महिलाएं उस परिवार में आ सकें। वे महिलाएं सरकार जी के परिवार में समा सकें जिन्हें मणिपुर में सड़कों पर नग्न घुमाया गया था। पर सरकार जी का परिवार इतना बड़ा जरूर है कि वे लोग उसमें शामिल हो जाएं जिन्होंने उन महिलाओं को नग्न घुमाया था। 

सरकार जी के परिवार में तो किसान भी नहीं आते हैं। सरकार जी तो उनको अपने घर परिवार में क्या, प्रदेश तक में न घुसने दें। मीलों दूर रोक दें। कैसे भी रोक दें। दुश्मन सेना को रोकने के लिए जो कुछ किया जाता है, वह सब कुछ कर के किसानों को रोक दें। चीन और पाकिस्तान की सीमा पर जो नहीं किया, वह किसानों को रोकने के लिए दिल्ली बॉर्डर पर कर दिया। सडकें खोद दीं। कीलें ठोक दीं। बैरिकेड और वाटर कैनन लगा दीं। ड्रोन उड़ा दिए। तो सरकार जी कितना भी कहें, किसान सरकार जी के परिवार में नहीं ही हैं।

सरकार जी के परिवार में युवा भी नहीं हैं। उनके लिए शिक्षा नहीं है। उनके लिए नौकरियां नहीं हैं। नौकरियों के नाम पर कुछ है तो पेपर लीक है। और पेपर लीक के बहाने नौकरी न देना है। नौकरी मांगते, पेपर लीक का विरोध करते युवाओं के लिए पुलिस की लाठी है, पानी की बौछार है। इसी तरह से सरकार जी के परिवार में गरीब मजदूर भी नहीं हैं। मजदूर के लिए यदि है तो बढ़ते काम के घंटे हैं, घटती मजदूरी है।

अब सरकार जी ही बताएं उनके परिवार में हैं कौन? ठीक है, कहने को तो 140 करोड़ हैं पर असलियत में कितने हैं? न महिलाएं हैं, न किसान हैं, न युवा और न मजदूर हैं। परिवार में हैं कुछ बड़े बड़े उद्योगपति हैं, ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई के डर से शामिल हुए राजनेता हैं, बात बात पर गाली देने वाली ट्रोल आर्मी के सदस्य हैं। वास्तव में तो बस इतना ही बड़ा है सरकार जी का परिवार।

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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