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तिरछी नज़र: ...मेरा भारत जो महान है

हम इसीलिए तो महान हैं क्योंकि हम शर्मिंदा होने वाली बातों पर भी गर्व कर सकते हैं।
तिरछी नज़र: ...मेरा भारत जो महान है

मेरा भारत महान है। मेरा भारत फिर से महान है। पहले कभी महान होता था, अब फिर महान बन गया है। पहले कभी विश्वगुरु होता था, अब फिर विश्वगुरु बन गया है। वैसे सरकार जी कहते हैं, 2047 तक महान बनाएंगे, विश्वगुरु बनाएंगे। पर यह तो सरकार जी की सदाशयता है, विनम्रता है, कि वे हमारे देश को विश्वगुरु बना चुके हैं परन्तु फिर भी स्वीकार नहीं कर रहे हैं। कह रहे हैं, अभी और महान बनाएंगे, पूरे का पूरा विश्वगुरु बनाएंगे। जैसे कि महान बनने में, विश्वगुरु बनने में अभी भी कोई कसर बाकी रह गई हो।

मेरा भारत महान है। मेरा देश महान इसलिए है क्योंकि विश्व में सबसे अधिक हिन्दू यहीं रहते हैं। और हिन्दू धर्म विश्व का सबसे महान धर्म है। वैसे तो सभी धर्म महान हैं पर हिन्दू अपने को सबसे महान मानते हैं। अब क्योंकि हिन्दू धर्म महान है और हिन्दू ही अपने हिन्दू होने पर गर्व कर सकता है इसीलिए हिन्दू बहुल देश भारत भी महान देश है।

हिन्दुओं में बहुत सारी जातियां होती हैं जिनमें ब्राह्मण भी होते हैं। और ब्राह्मण संस्कारी ही होते हैं। ब्राह्मण इतने संस्कारी होते हैं कि बलात्कार भी कर लेते हैं और हत्याएं भी, और फिर भी संस्कारी ही रहते हैं। बलात्कार भी गर्भवती स्त्री से और वह भी सामूहिक। और हत्या भी एक नहीं, कई कई। यहां तक कि तीन वर्ष की बच्ची की भी। पत्थरों से कुचल कर। 

तिरछी नज़र: ...मेरा भारत जो महान है

मेरा भारत महान है क्योंकि ऐसे संस्कारी ब्राह्मणों को वह सज़ा तो देता है पर सज़ा पूरी होने से पहले ही रिहा कर देता है। उनके आचरण को अच्छा मान छोड़ देता है। वैसे भी सदाचारी, संस्कारी ब्राह्मणों को अधिक दिनों तक जेल में कैद क्यों रखना? अगर ब्राह्मणों को जेल में रखेंगे तो महानता कम नहीं हो जाएगी क्या? थोड़ी बहुत कम तो होगी ही ना। हम देश की महानता में थोड़ी सी भी कमी बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। तो हमने उन ब्राह्मणों को रिहा कर दिया। समय से पहले रिहा कर दिया। सज़ा पूरी किए बिना ही रिहा कर दिया। देश को महान जो बनाना है।

चलो, यह हो गया तो हो गया। जिन्होंने रिहा किया, उन्होंने रिहा कर दिया। उन ब्राह्मणों को रिहा करने वाली उस समिति के सदस्यों में जो महानता है वह तो है ही। परन्तु उससे भी अधिक महान तो वे हैं जो बलात्कार और हत्या के अपराधियों को समय से पहले रिहा करने पर भी मौन धारण किए रहे। क्या सरकार जी, क्या उप सरकार जी, क्या उप के भी उप सरकार जी, सभी मौन धारण किए रहे। उनका मौन उनकी स्वीकृति ही तो है। 'मौनम् स्वीकृति लक्षणम्'। उनका यह मौन, उनकी यह स्वीकृति, देश को और अधिक महानता प्रदान करती है। उनके इस कृत्य से हमारा देश और अधिक महान हो जाता है।

और हम इतने पर ही नहीं रुकते हैं। जेल से बाहर आए अपराधियों का हम स्वागत करते हैं। उनका सम्मान करते हैं। उन्हें फूल मालाएं पहनाते हैं। मिठाईयां बांटते हैं। और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। लिंचिंग करने वालों का सम्मान हम पहले से ही करते रहे हैं। उन्हें मंच पर बुला माला पहनाते रहे हैं। दंगा कराने के अपराधियों को तो सम्माननीय पार्षद से लेकर एमएलए, एमपी और मंत्री तक बनाते रहे हैं। हम अपराधियों को रिवार्ड देते हैं क्योंकि हम महान जो हैं।

मेरा भारत महान है। मेरा भारत महान इसलिए है क्योंकि यहां वर्ण व्यवस्था है। वैसे ऐसी चीजें और देशों में भी हैं परन्तु एक तो वे चीजें हमारे यहां जैसी नहीं हैं और हमारे यहां जितनी भी नहीं हैं। और दूसरे, वे लोग उस भेदभाव पर इतना नहीं इतराते हैं जितना हम इतराते हैं। हम तो वर्ण व्यवस्था जैसी पक्षपात वाली चीजों पर भी गर्व कर सकते हैं। हम इसीलिए तो महान हैं क्योंकि हम शर्मिंदा होने वाली बातों पर भी गर्व कर सकते हैं।

देश इसलिए महान है क्योंकि हमारे यहां कोई दलित सवर्ण के सामने घोड़ी पर नहीं चढ़ सकता है, कुर्सी पर नहीं बैठ सकता है। ऐसा करने पर उसके साथ कुछ भी हो सकता है, कुछ भी। यहां तक कि उसकी हत्या तक भी की जा सकती है। अब देखो, एक दलित आदिवासी छात्र को इसलिए ही मार दिया गया क्योंकि बताया जा रहा है कि उसने स्कूल में सवर्णों के लिए रखे घड़े को छू लिया था। हमने तो मिट्टी के घड़े की, उसमें भरे पानी की भी जाति बना दी है। हम महान जो हैं। हमारा देश महान जो है।

बड़े बड़े लोगन की जेलें अजीब हैं,

जाएं और निकल आएं झट से।

हम लोगन की जेलें पुरानी सुरानी,

फंस जाएं तो सड़ जाएं खट से।।

खट से।

बड़े बड़े लोगन का घड़ा अलग है,

और फ्रिज में पानी अलग से।

हम लोग छू लें जो उनका पानी,

मार पड़े हमको झट से।।

झट से।

(इस व्यंग्य स्तंभ तिरछी नज़र के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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