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‘भारत बचाओ...’ : 9 अगस्त को देश भर में मज़दूरों का 'जेल भरो' आंदोलन

केंद्रीय ट्रेड यूनियन के राष्ट्रीय मंच ने एक साझा बयान में कहा कि 9 अगस्त को देश भर में ‘भारत बचाओ दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। 9 अगस्त को देश भर में जेल भरो आंदोलन किया जाएगा और इसके साथ मज़दूर संगठनों ने 18 अगस्त को कोयला क्षेत्र की हड़ताल का भी समर्थन किया।
भारत बचाओ
फाइल फोटो

दस सेंट्रल ट्रेड यूनियन केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ 9 अगस्त को देश भर में जेल भरो आंदोलन करने जा रही हैं। इसके साथ केंद्रीय मज़दूर संगठनों ने 18 अगस्त को कोयला क्षेत्र की हड़ताल का भी समर्थन किया। बुधवार को केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों, क्षेत्रवार फेडरेशन और एसोसिएशनों के राष्ट्रीय मंच ने एक साझा बयान में कहा कि 9 अगस्त का दिन देश भर में प्रदर्शन कर ‘भारत बचाओ दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।

इस विरोध प्रदर्शन के लिए 9 अगस्त के दिन को इसीलिए चुना गया है क्योंकि इसी दिन 1942 में अंग्रेज़ों के खिलाफ ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की शुरुवात हुई थी। मज़दूर नेताओं का कहना है कि ये आंदोलन देश भर में हर ज़िले में किया जायेगा। हर ज़िले में बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां दी जाएंगी। दरअसल ये पिछले कुछ समय से किसानों और मज़दूरों के आंदोलनों की कड़ी में एक और विरोध प्रदर्शन है।

इससे पहले 3 जुलाई को भी देशभर में मज़दूरों ने प्रदर्शन किया था, जिसमे सभी कार्यस्थलों और केंद्रों में एक बड़ी सफलता थी। यह कर्मचारी-विरोधी, किसान-विरोधी, जन-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों के लिए असहयोग और अवहेलना का एकजुट संघर्ष था। देश में लगभग एक लाख जगहों पर कार्य स्थानों, श्रम संघ कार्यालयों, जुलूसों, साइकिल और मोटरबाइक रैलियों, सार्वजनिक सभाओं के रूप में कार्यक्रम आयोजित किए गए थे।

केंद्रीय मज़दूर संगठनों, स्वतंत्र क्षेत्रवार फेडरेशन और एसोसिएशनों के संयुक्त मंच ने कोयला श्रमिकों को भी उनकी सफल हड़ताल के लिए बधाई दी, जिन्होंने 2-3 जुलाई 2020 को तीन दिनों के लिए सफलतापूर्वक हड़ताल की। इस हड़ताल की वजह से एससीसीएल और कोल इंडिया की कोयला खदानों और प्रतिष्ठानों में काम पूर्ण रूप से ठप्प हो गया था। इस हड़ताल का आह्वान कोयले के अनियमित वाणिज्यिक खनन और विदेशी संस्थाओं सहित निजी क्षेत्र द्वारा कोयले के व्यापार के माध्यम से कोयला क्षेत्र का पूरी तरह से निजीकरण करने के सरकार के फैसले के विरोध में किया गया था, जो राष्ट्रीय हितों और आत्मनिर्भरता के लिए नुकसानदायक है।

इसके आलावा इस लॉकडाउन के दौरान अलग अलग ट्रेड यूनियनो और फेडरशनों ने अपने अपने स्तर पर भी कई अंदोलन किए है। अपने अंदोलन को मज़बूत करने के लिए अब इन्होने एक संयुक्त साझा कार्यक्रम जारी किया है।

इस संयुक्त मंच में देश में 12 केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठन में से दस शामिल हैं। जो इस प्रकार है इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एक्टू, एलपीएफ और यूटीयूसी।

लॉकडाउन के बाद खुली कई औद्योगिक इकाइयां अपने श्रमिकों को वापस नहीं ले रही हैं। वह अपने कार्यबल का एक छोटा प्रतिशत है जिन्हें वापस काम पर रख रही है और उनको भी कम मज़दूरी दे रही है। इसके साथ ही लॉकडाउन अवधि का वेतन नहीं दिया जा रहा है। केंद्रीय मज़दूर संगठनों ने अपनी बैठक में संज्ञान लिया गया और कहा कि रोज़गार और मजदूरी में कमी की इस चुनौती का सामना हमें एकजुट संघर्ष के माध्यम से करना होगा।

एयर इण्डिया द्वारा 20,000 कर्मचारियों को छह महीने तक बिना वेतन के छुट्टी पर जाने का नोटिस देने, जिसमें बिना वेतन के अनिवार्य (जबरन) छुट्टी का प्रावधान शामिल है, जिसे 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसकी भी निंदा की और इसे मौजूदा क़ानूनों का घोर उल्लंघन बताया।

मज़दूर संगठन ने लॉकडाउन के कारण बढ़ी बेरोजगारी को लेकर भी चिंता ज़ाहिर की उन्होंने कहा कि 14 करोड़ से अधिक लोग बेरोज़गार हैं और यदि हम दैनिक वेतन / अनुबंध / आकस्मिक मज़दूरों को जोड़ते हैं, तो लगभग 24 करोड़ से अधिक लोग वर्तमान में आजीविका से बाहर हुए हैं।

एमएसएमई स्वयं अपनी रिपोर्ट में कह रहा है कि 30% से 35% इकाइयों के लिए अपनी गतिविधियों पुनः शुरू करना मुश्किल हो सकता है। बेरोज़गारी की दर अधिक है। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (आईएलओ) ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 40 करोड़ से अधिक लोगों गहरी गरीबी में जाने की संभावना है।

जाने माने वैज्ञानिकों और चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि कुपोषण बढ़ेगा, भूख से मौतें रोज़ाना की हकीक़त बन जाएंगी, और अवसाद के कारण मज़दूरों द्वारा आत्महत्या का खतरा उत्पन्न होगा। इन सभी मुद्दों पर मज़दूर गुस्से में हैं।

मज़दूर नेताओ ने आरोप लगाया कि सरकार न केवल महामारी को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने में विफल रही बल्कि इसने अचानक अनियोजित लॉकडाउन लागू किया, जिससे लोगों विशेष रूप से प्रवासी मज़दूरों को गंभीर यातनाएं सहनी पड़ीं।

मज़दूर नेताओं ने साफ कहा कि सरकार इन सभी मुद्दों पर ध्यान देने के बजाए थोक के भाव सरकारी कंपनियों का निजीकरण कर रही है। सरकार ने लाखों श्रमिकों, किसानों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों को भारी कष्ट पहुँचाया है और वह केवल कॉर्पोरेट्स और बड़े व्यवसायों के साथ खड़ी हुई है।

उन्होंने कहा कि सरकार भारतीय और विदेशी ब्रांडों के कॉरपोरेट्स के पक्ष में सरकार के कदम देश के प्राकृतिक संसाधनों और व्यापार को बर्बाद करने के लिए हैं। आत्मनिर्भर भारत का नारा एक ढकोसला है।

मज़दूर संगठनों के बयान में कहा गया है, "केंद्रीय श्रमिक संघों एवं महासंघों अथवा एसोसिएशन के साझा मंच ने, निरंतरता कायम रखने के साथ क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर सरकार की जनविरोधी, श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष को आगे बढ़ाने का आह्वान किया है।" मज़दूरों संगठनों ने अपने भविष्य के आंदोलन को दिशा देने के लिए तय किया है कि

*9 अगस्त-“भारत छोड़ो दिवस” को “देश बचाओ दिवस” के रूप में मनाया जाए और सभी कार्यस्थलों / औद्योगिक केंद्रों / जिला मुख्यालयों और ग्रामीण क्षेत्रों आदि में देशव्यापी सत्याग्रह / जेल भरो-या किसी अन्य प्रकार के आंदोलन का आयोजन किया जाए।

*18 अगस्त 2020 को कोयला श्रमिकों की हड़ताल के दिन, जहां भी संभव हो सभी कार्यस्थलों और विशेष रूप से सार्वजनिक उपक्रमों में जुझारू एकजुटता प्रदर्शन की कार्रवाई तथा हड़ताल करने की संभावना को खोजा जाना चाहिये।

*रक्षा क्षेत्र के संघों और महासंघों ने संयुक्त रूप से 99 प्रतिशत से अधिक श्रमिकों द्वारा अनुमोदित हड़ताल प्रस्ताव के आधार पर साझा रूप से हड़ताल के लिए नोटिस देने की योजना बना रहे है। वे सितंबर 2020 के मध्य में किसी समय हड़ताल की कार्रवाई कर सकते हैं।

*स्कीम वर्कर्स यूनियनों और महासंघों (जिसमें आंगनवाड़ी, आशा, मध्याह्न भोजन या मिड डे मील आदि के कर्मचारी शामिल हैं) ने संयुक्त रूप से सात और आठ अगस्त को दो दिन की हड़ताल पर जाने का फैसला किया है जो नौ अगस्त को देशव्यापी आंदोलन के साथ जुड़ेगा।

*रेलवे क्षेत्र के साथ यूनियनों / महासंघों के समन्वय में रेलवे के निजीकरण की सरकार की पहल के खिलाफ देशव्यापी प्रचार अभियान जारी रखने का भी निर्णय लिया गया है। रेलवे के कर्मचारी महासंघों ने बताया है कि वे भी उचित समय पर अपनी प्रतिक्रिया / कार्रवाई की योजना बना रहे हैं और इसके लिए तैयारी कर रहे हैं।

*यह सहमति व्यक्त की गई कि एक अभियान के रूप में भारत के राष्ट्रपति के नाम एक याचिका को change.org अभियान के रूप में शुरू किया जाएगा।

जारी बयान में केंद्रीय मज़दूर संगठनों की सभी राज्य इकाइयों से अपील की है कि वे अगले चरण के आंदोलन की योजना बनाने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर यूनियनों की बैठकें आयोजित करें और जिलों और फैक्ट्री स्तर पर कार्य योजना तैयार करें।

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