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दिल्ली में कॉन्ट्रैक्ट स्वास्थ्य कर्मियों का सांकेतिक विरोध, बड़े आंदोलन की चेतावनी

कॉन्ट्रैक्ट स्वास्थ्य कर्मियों को नियमित किए जाने समेत दूसरी ज़रूरी मांगों को लेकर दिल्ली स्टेट कॉन्ट्रैक्ट इंप्लाइज एसोसिएशन ने इस प्रदर्शन का आह्वान किया था। यूनियन नेताओं ने साफ़तौर पर कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ग़ौर नहीं किया तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे।
Contract health workers

दिल्ली: दिल्ली सरकार के हॉस्पिटल डिस्पेंसरी में कार्यरत कॉन्ट्रैक्ट स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर बुधवार को सांकेतिक विरोध किया। इस विरोध का आह्वान दिल्ली स्टेट कॉन्ट्रैक्ट इंप्लाइज एसोसिएशन ने किया था। इस दौरान किसी भी तरह की कार्यबाधा नहीं की गई। कॉन्ट्रैक्ट स्वास्थ्य कर्मी यह नहीं चाहते थे कि ऐसे मुश्किल हालात में विरोध प्रदर्शन से किसी भी मरीज को दिक्कतों का समाना करना पड़े। इस कारण काम के दौरान काली पट्टी बांधकर सांकेतिक विरोध दर्ज कराया गया।

गौरतलब है कि देश कोरोना माहमारी से जूझ रहा है। राजधानी में लगातार हालात बिगड़ते जा रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका बड़ी हो गई है। सरकार ने उन्हें कोरोना योद्धा बताया है लेकिन हकीकत में वे अपने मूलभूत अधिकारों से भी वंचित हैं। इसमें भी कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मियों की हालत बदतर है।  

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आपको बता दें कि दिल्ली के स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ी संख्या में कॉन्ट्रैक्ट पर कर्मचारी काम कर रहे हैं। इसे यह भी कह सकते हैं कि दिल्ली के अस्पताल और डिस्पेंसरी को कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी ही चला रहे हैं। लेकिन सरकार इन्हें दोयम दर्ज का ही कर्मचारी समझती है। इसलिए न इन्हें आर्थिक सुरक्षा और न ही किसी भी तरह की समाजिक सुरक्षा मिल पाई है। कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों का कहना है कि 'वेतन में असमानता के साथ ही कई तरह के भेदभाव किया जाते हैं। साथ ही हमेशा डर बना रहता है कि कभी भी नौकरी से हटाया जा सकता है। कई जगह तो वेतन की अनियमितता की भी शिकायत रहती है।'

इसे लेकर ये कर्मचारी कई बार पत्र के माध्यम से सरकार को अपनी मांग से अवगत कराते रहे हैं लेकिन सरकार ने कभी भी इनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया। यही नहीं इस महामारी के समय भी जब सभी लोगों को घरों में रहने को कहा जा रहा है। उस समय भी ये कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जान बचा रहे हैं। स्थिति इतनी खराब है कि अगर कोई कर्मचारी काम के दौरान बीमार हो जाता है तो उसके लिए छुट्टी की व्यवस्था भी नहीं हैं। साथ ही उसके लिए इलाज के लिए मेडिकल कार्ड भी नहीं है। यही नहीं सरकार ने कोरोना योद्धाओं के मृत्यु होने पर जो एक करोड़ देने की बात कही है वो भी इन कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को नहीं मिलता हैं।

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इसके साथ ही इनकी काफी लंबे समय से मांग रही है कि इनकी नौकरी को नियमित किया जाए लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इनको स्थाई करने का आदेश दिया था। विरोध कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने सवाल किया है कि जब डॉक्टर स्थाई हो सकते है तो हम क्यों नहीं?

यह विरोध प्रदर्शन संयुक्त रूप से दिल्ली स्टेट कॉन्ट्रैक्ट इंप्लाइज एसोसिएशन, दिल्ली नर्सेज फेडरेशन, दिल्ली स्टेट पैरामेडिकल टेक्निकल एंप्लाइज फेडरेशन ने किया। विरोध के बाद संयुक्त रूप से बयान जारी करते हुए दिल्ली स्टेट कॉन्ट्रैक्ट इंप्लाइज एसोसिएशन के महासचिव गुलाब रब्बानी, उपाध्यक्ष कमल कांत शर्मा, दिल्ली नर्सेज फेडरेशन के महासचिव जयप्रकाश समेत यूनियन के अन्य नेताओं ने दिल्ली के मुख्यमंत्री से मांग की कि कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों को नियमित किया जाए। साथ ही जब तक इन कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जाता तब तक मेडिकल लीव, मेडिकल कार्ड की व्यवस्था की जाए। इसके अलावा इस दौरान अगर कर्मचारी की मृत्यु हो रही है उनको एक करोड़ रुपये दिया जाए। कर्मचारियों के लिए अलग से ओपीडी और वार्ड में बिस्तर की व्यवस्था की जाए।

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यूनियन नेताओं ने साफतौर पर कहा कि यदि सरकार ने इस दिशा में सकारात्मक पहल नहीं किया दिल्ली के कर्मचारी भविष्य में और बड़ा आंदोलन करने पर विवश होंगे। गुलाब रब्बानी ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए इस विरोध प्रदर्शन को सफल बताया और कहा कि दिल्ली के लगभग हर अस्पताल में सांकेतिक रूप से विरोध प्रदर्शन किया गया।

उन्होंने आगे कहा कि 20-20 साल से ये कर्मचारी काम कर रहे हैं लेकिन आजतक इन्हें नियमित नहीं किया गया। आज हम सबसे आगे होकर इस लड़ाई में लड़ रहे हैं लेकिन न हमारे इलाज की कोई सुविधा है और न ही हमारे परिवार की सुरक्षा है। हमारे साथी मर रहे हैं लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है। हमारा एक साथी लोगों की सेवा करते हुए मर गया है और बहुत से कर्मचारी संक्रमित हुए हैं। लेकिन फिर भी सरकार हमारी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही। इसलिए हमने सांकेतिक प्रदर्शन किया था।

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उन्होंने इसके साथ ही अस्पतालों में कर्मचारियों के कमी का भी मुद्दा उठाया और कहा कि तत्काल नए कर्मचारियों की भर्ती की जाय।

कोर्ट ने कोरोना योद्धाओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को लेकर लगाई फटकार!

राजधानी दिल्ली में कोरोना को लेकर हालात बदतर हो रहे हैं। इसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बार फिर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इसका संज्ञान लेते हुए कोरोना मरीजों के समुचित इलाज और सरकारी अस्पतालों में शवों के उचितढंग से निपटान से संबंधित मामले की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने सरकार से पूछा कि दिल्ली ने अबतक क्या किया है? इसके साथ ही स्वास्थ्य कर्मचारियों के सुरक्षा पर भी टिप्पणी करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि कृपया डॉक्टरों, नर्सों की सुरक्षा करें। वे कोरोना योद्धा हैं।

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इसके साथ ही एक डॉक्टर जिसे दिल्ली सरकार ने अस्पताल की हकीकत दिखाने की वजह से निकाल दिया था उस पर भी गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार नहीं चाहती कि सच्चाई सामने आए। ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि ऐसे किसी भी कर्मचारी पर कार्रवाई न करें। डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को धमकी न दें, उनका साथ दें। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले में दिल्ली सरकार से एक हलफनामा भी देने को कहा है। इसकी अगली सुनवाई शुक्रवार को होनी है।

दिल्ली में कोरोना के मामले 47,000 के पार

देश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। इस वायरस से पूरे देश में 3 लाख 54 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और करीब 12 हजार लोगों की अब तक जान जा चुकी है। जबकि दिल्ली में बुधवार को कोरोना के 2,414 नए मामले सामने आए। जोकि एक दिन में आने वाले मामले में सबसे अधिक हैं। इसके साथ ही दिल्ली में अब संक्रमण के मामले 47,102 पहुंच गया है। इसके साथ ही राजधानी में बीते 24 घंटों में 67 लोगों की जान गई है और मौत का आंकड़ा 1904 पहुंच गया है।

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