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किसान आंदोलन के समर्थन में दिल्ली में महिला, छात्र, मज़दूर संगठनों का हल्ला बोल

“हम किसानों के साथ दिल्ली बॉर्डर पर भी प्रदर्शन कर रहे है और यहां उस दिल्ली में भी प्रदर्शन कर रहे हैं, जहां सरकार ने किसानों को आने की अनुमति नहीं दी।”
प्रदर्शन

किसानों के आंदोलन के समर्थन में कई संगठनों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में दिल्ली के नागरिकों सहित श्रमिकों, महिलाओं, छात्रों, युवाओं, बुद्धिजीवियों और अन्य लोगों ने किसानों के साथ एकजुटता के साथ विरोध प्रदर्शन किया है, जिसमें मांग की गई है कि सरकार को किसानो की मांगों और दुर्दशा पर ध्यान देना चाहिए, और तीन कृषि कानूनों रद्द करना चाहिए।

जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि कोरोना महामारी का उपयोग करते हुए केंद्र सरकार तीन कृषि विधेयकों को पास करा लिया जो अब क़ानून बन गए है। जिनमें कृषि व्यापार और वाणिज्य अधिनियम, किसान मूल्य आश्वासन अधिनियम और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम शामिल हैं। इन तीनों कानूनों का देशभर का किसान विरोध कर रहा है और इसे कॉरपोरेट हितैषी और गरीब और किसान विरोधी बता रहा है।

अखिल भारतीय खेत मज़दूर यूनियन के राष्ट्रीय सह सचिव विक्रम सिंह जो इस आंदोलन के सहभागी थे। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा आज का प्रदर्शन किसानों के समर्थन में है। ये बताने के लिए है कि दिल्ली किसानों के साथ है। अगर सरकार नहीं मानी तो आने वाले दिनों में दिल्ली के हर इलाक़े मे फार्मर फॉर इंडिया के बैनर तले विरोध प्रदर्शन होगा।

उन्होंने साफ़ किया यह आंदोलन तभी ख़त्म होगा जब सरकार ये तीनों कृषि बिल वापस लेगी उससे कम कुछ भी नहीं।

विक्रम ने यह भी कहा सरकार घंटों की बातचीत कर किसानों का संयम चेक कर रही है लेकिन शायद पांच तारीख़  तक अगर सरकार नहीं मानी तो निर्णायक लड़ाई होगी। अब यह युद्ध बन गया है एक तरफ सरकार और पूंजीपति है जबकि दूसरी तरफ मज़दूर किसान हैं।

प्रगतिशील महिला संगठन की नेता पूनम कौशिक ने कहा कि किसानों के ख़िलाफ़ जिस तरह से सरकार का रवैया है वो निंदनीय है। अब यह संघर्ष सिर्फ़ किसानों का नहीं बल्कि हर जनमानस का है।

छात्र संगठन स्टूडेंट फेडेशन ऑफ़ इंडिया के  महासचिव मयूख विश्वास ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि ये सरकार लगातर देश को पूंजीपतियों के हाथों में बेच रही है। रेल से लेकर हवाई अड्डे सब उन्होंने बेच दिया। ये सरकार और उसकी नीति सिर्फ़ किसान नहीं बल्कि छात्र और नौजवान विरोधी हैं पिछले काफी समय से उन्होंने हमारी छात्रवृत्ति रोकी हुई है जबकि दूसरी तरफ़ पूंजीपतियों को पैकज दिए जा रहे है। हमारी मांग साफ़ है कि सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाकर इन काले कानूनों को वापस ले वरना किसानों के साथ मिलकर छात्र पूरे देश में प्रदर्शन करेगा।

महिला संगठन एडवा दिल्ली की सचिव मौमुना ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा हम किसानों के साथ दिल्ली बॉर्डर पर भी प्रदर्शन कर रहे है और यहां उस दिल्ली में भी प्रदर्शन कर रहे हैं। जहां सरकार ने किसानों को आने की अनुमति नहीं दी।

आपको बता दें कि प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि इन अधिनियमों का उद्देश्य खेती और जमीनों को बेवजह भूखे कॉरपोरेटों की सेवा में सौंपना है और संघर्षरत किसानों को बड़े संकट में छोड़ना है, यह संकट ऐसे समय में बढ़ जाता है जब हमारी अर्थव्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है।

पूरे देश में लाखों किसान विरोध कर रहे हैं और दिल्ली की सीमाओं पर दमन और पुलिस की हिंसा, जैसे कि इस भीषण ठंड में वॉटर कैनन, आंसू गैस से किसानों पर हमला किया गया। इसकी निंदा करते हुए सैकड़ों की संख्या में लोगों ने जंतर मंतर पर अपना विरोध जताया।

 अभी तक किसानों से सरकार की चार दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन हल कोई नहीं निकला है। अभी एक और दौर की बातचीत 5 दिंसबर को प्रस्तावित है। परन्तु उससे पहले 40 किसान संगठनों की आज 4 दिसंबर को बैठक हो रही है जिसमे वो आगे की रणनीति पर चर्चा कर रहे हैं।

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