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साफ पानी विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आरओ कंपनियां 10 दिन में सरकार के सामने रखें अपनी बात

आरओ के इस्तेमाल पर रोक लगाने संबंधी एनजीटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे  आरओ निर्माताओं को राहत नहीं मिली है।
SC on RO

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आरओ निर्माताओं के संगठन से कहा कि पानी में टीडीएस की मात्रा 500 एमजी प्रति लीटर से कम होने की स्थिति में आरओ के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश से राहत के लिये उन्हें अधिकरण के पास ही जाना होगा।

शीर्ष अदालत आरओ निर्माताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली वाटर क्वालिटी इंडिया एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस संगठन ने हरित अधिकरण के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें सरकार को वाटर प्यूरीफायर्स के इस्तेमाल को नियंत्रित करने और पानी में खनिज की मात्रा खत्म होने के दुष्प्रभावों के बारे में जनता को अवगत कराने का निर्देश दिया गया था।

न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की पीठ ने कहा कि एसोसिएशन दस दिन के भीतर इस मामले में सारे तथ्यों के साथ संबंधित मंत्रालय से संपर्क कर सकती है और सरकार हरित अधिकरण के निर्देश के अनुरूप कोई अधिसूचना जारी करने से पहले उस पर विचार करेगी।

इस मामले में सुनवाई के दौरान एसोसिएशन के वकील ने देश के विभिन्न शहरों में पानी के मानकों के बारे में बीएसआई की हाल की रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि दिल्ली के भूजल में भारी धातु की मौजूदगी के संकेत इस रिपोर्ट में दिये गये हैं।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने मई महीने में सरकार को उन स्थानों पर आरओ प्यूरीफायर्स प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया था जहां पानी में टीडीएस की मात्रा प्रति लीटर 500 एमजी से कम है। अधिकरण ने इसके साथ ही जनता को इस संबंध में संवेदनशील बनाने का भी निर्देश दिया था।

अधिकरण ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया था कि जिन स्थानों पर आरओ प्यूरीफायर्स की अनुमति दी गयी है वहां 60 फीसदी से अधिक जल संग्रहित करना अनिवार्य किया जाये।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्ययन के अनुसार प्रति लीटर 300 एमजी से कम टीडीएस की मौजूदगी वाले जल को बहुत उत्तम माना जाता है जबकि 900 एमजी प्रति लीटर टीडीएस को निम्न स्तर का और 1200 एमजी प्रति लीटर से ऊपर टीडीएस वाले जल को अस्वीकार्य बताया था।

अधिकरण ने यह आदेश उस समिति की रिपोर्ट के अवलोकन के बाद दिया था जिसका उसने गठन किया था और इस संबंध मे पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भी निर्देश दिया था।

समिति ने अपनी रिपेार्ट में कहा था कि यदि प्रति लीटर जल में टीडीएस की उपस्थिति 500 एमजी से कम है तो आरओ प्रणाली उपयोगी नहीं होगी और इसकी वजह से महत्वपूर्ण खनिज इससे बाहर निकल जायेंगे और इससे जल की अनावश्यक बर्बादी होगी।

पानी के मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं करना चाहता : केजरीवाल

उधर, दिल्ली में पानी को लेकर चल रहे विवाद पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को कहा कि पानी के मुद्दे पर वह कोई राजनीति नहीं करना चाहते हैं।

दरअसल, कुछ दिन पहले भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि शहर का पानी गुणवत्ता जांच में खरा नहीं उतर पाया है।

मुख्यमंत्री ने यहां पत्रकारों से कहा कि उनकी सरकार की प्राथमिकता दिल्ली में लोगों को साफ पेयजल उपलब्ध कराना है।

उन्होंने कहा, ‘‘पानी के मुद्दे पर मैं राजनीति नहीं करना चाहता। उनका (भाजपा एवं केंद्र का) शहर के पानी से कोई लेना देना नहीं है और वे सिर्फ ओछी राजनीति कर रहे हैं।’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं आपके (मीडिया के) माध्यम से यह अनुरोध करना चाहता हूं कि अगर कहीं भी गंदे पानी की आपूर्ति किये जाने की शिकायत आती है तो दिल्ली सरकार उसका समाधान करेगी।’’

गौरतलब है कि केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने 16 नवंबर को बीआईएस रिपोर्ट जारी की थी, जिसके बाद केंद्र एवं दिल्ली सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया। रिपोर्ट में कहा गया था कि शहर में 11 जगहों से लिये गये पानी के नमूने गुणवत्ता परीक्षण में खरा नहीं उतर पाये।

केजरीवाल ने कहा कि 2015 में आप सरकार ने जब कार्यभार संभाला, उस वक्त करीब 2,300 जगहों पर पानी की गुणवत्ता से संबंधित मुद्दे थे लेकिन अब यह संख्या घटकर 125 रह गयी है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर किसी भी कॉलोनी में गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है तो हमलोग निश्चित रूप से इसका समाधान करेंगे।’’

दिल्ली में पानी के नमूने एकत्रित करने की प्रक्रिया में अनियमितता को लेकर मीडिया में आयी खबरों पर केजरीवाल ने बुधवार को पासवान पर ‘‘इस मुद्दे पर झूठ बोलने और लोगों को भ्रमित करने’’ का आरोप लगाया था।

वहीं, बृहस्पतिवार को दिल्ली जल बोर्ड ने आरोप लगाया कि पासवान ने ‘‘गैरजिम्मेदाराना’’ तरीके से कार्य किया और राष्ट्रीय राजधानी में पानी की गुणवत्ता के बारे में संसद में ‘‘गलत रिपोर्ट’’ पेश की। आम आदमी पार्टी ने केंद्रीय मंत्री के इस्तीफे की भी मांग की।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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