Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

हिमाचल टैक्सी यूनियनों में तनाव: “रोज़गार के सवाल को क्षेत्रवाद में तब्दील करना खेदजनक, सरकार अपना पक्ष स्पष्ट करे”

यह तनाव प्रदेश के राजस्व के लिए भी नुक़सानदेह साबित होगा। इससे शिमला शहर व प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ेगा।
himachal
फ़ोटो साभार: दैनिक ट्रिब्यून

हिमाचल में टैक्सी यूनियनों में टकराव की स्थिति पैदा हो गई। बीते शुक्रवार 16 जून को दो यूनियन में काम को लेकर झड़प हुई थी जिसके बाद से ये पूरा मामला उठा है। एक यूनियन ने सरकार के मंत्री पर पक्षपात करने का आरोप लागया। देवभूमि टैक्सी ऑपरेटर यूनियन और सिरमौर की चूड़ेश्वर यूनियन में झड़प की खबरें सामने आई थी जिसके बाद शिमला की लोकल यूनियन आज गुरुवार 22 जून को हड़ताल पर चली गई और डीसी कार्यालय के बाहर धरना दिया। इनका आरोप है कि पुलिस ने सिरमौर टैक्सी यूनियन के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। इस गतिरोध को रोकने के लिए ट्रेड यूनियन नेत्र ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवाद) यानी माकपा ने भी अपना बयान जारी कर सरकार से जल्द ही इस गतिरोध को खत्म करने की अपील की है। इसके साथ ही इस मामले ने क्षेत्रवाद का स्वरूप लिया है। इसको लेकर भी चिंता जाहिर की गई है। हालांकि सरकार के मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है की उनकी सरकार में कोई पक्षपात नहीं होगा।

वहीं पर्यटन सीजन के चलते सैलानियों को भी इस तनाव से जूझना पड़ रहा है जबकि आम लोग भी टैक्सी यूनियन के हड़ताल से दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि ये स्थिति नेताओं और यूनियनों की जरा सी नासमझी से पैदा हुई है। ये आपसी झड़प शिमला में क्षेत्रवाद का मुद्दा बन गया है। यहां पर सिरमौर की टैक्सी यूनियनों समेत सिरमौर के मुख्य धारा के लोग इस संबंध में मंत्री पर क्षेत्रवाद के आरोप लगा रहे हैं।

टैक्सी यूनियन की लडा़ई को लेकर मंत्री का कड़ा रुख

हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बुधवार को शिमला और सिरमौर जिलों के टैक्सी ऑपरेटरों के बीच हुई लड़ाई को क्षेत्रीय रंग देने की कोशिशों की निंदा की और कहा कि राज्य में क्षेत्रवाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सिरमौर टैक्सी यूनियन द्वारा ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह पर क्षेत्रीय पक्षपात करने के आरोप लगाने और उनके इस्तीफे की मांग करने के एक दिन बाद लोक निर्माण मंत्री ने यह बयान दिया।

विक्रमादित्य सिंह ने मंगलवार को कहा, ”हमारे मुख्यमंत्री और सरकार का मत स्पष्ट है कि क्षेत्रवाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राज्य में सभी क्षेत्रों की एक ही पहचान है।

उन्होंने कहा, ”हमारी सरकार राज्य के सभी क्षेत्रों के लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।”

मंत्री ने अपने दो मिनट के वीडियो में कहा कि सरकार सभी वर्ग, धर्म, जाति एवं क्षेत्र के लोगों का समर्थन करती है। उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक जल्द ही सभी लोगों को भरोसे में लेकर कोई स्वीकार्य हल जरूर निकालेंगे।

सिरमौर टैक्सी यूनियन के सदस्यों ने मंगलवार को भी उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना दिया। उन्होंने ग्रामीण विकास मंत्री पर पक्षपात करने का आरोप लगाया। मंत्री ने कहा था कि सिरमौर जिले के गाइडों को शिमला से हटाया जाएगा।

दोनों क्षेत्रों के टैक्सी यूनियन सदस्यों के बीच बीते सप्ताह किराए को लेकर झड़प हुई थी।

शिमला टैक्सी यूनियन को मनाने की कोशिश करते हुए, अनिरुद्ध ने सोमवार को कहा था कि झड़प में शामिल लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा और सिरमौर के जो गाइड शिमला में पर्यटकों से लाभ ले रहे हैं उन्हें हटाया जाएगा।

सिरमौर टैक्सी यूनियन ने मंत्री के बयान के विरोध में प्रदर्शन किया और कहा कि वे पूरे राज्य के मंत्री हैं ना कि सिर्फ शिमला के।

यूनियन ने कहा कि किसी एक जिले के लिए पक्षपात बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

इस बीच, विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर ने टैक्सी यूनियन के विरोध का समर्थन करते हुए एक बयान में कहा कि अनिरुद्ध सिंह का बयान संघीय ढांचे पर हमला है और इसका उद्देश्य राज्य को तोड़ना है।

'रोज़गार के सवाल को क्षेत्रवाद में तब्दील करना खेदजनक, सरकार अपना पक्ष स्पष्ट करे'

माकपा का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल डॉ कुलदीप सिंह तंवर के नेतृत्व में शिमला के उपायुक्त आदित्य नेगी से मिला तथा जल्द इस विवाद को सुलझाने की अपील की।

सीपीआईएम राज्य सचिवमंडल के सदस्य डॉ कुलदीप तंवर ने कहा कि दो टैक्सी यूनियनों के बीच विवाद को क्षेत्रवाद का मुद्दा बनाना अत्यंत खेदजनक है। इस मुद्दे को शीघ्र सुलझाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा क्षेत्रवाद का नहीं है बल्कि रोजगार का है। बेरोजगारी से जूझ रहे युवा रोजगार की प्रतिस्पर्धा के कारण एक दूसरे से उलझते हैं। युवाओं का आक्रोश और गुस्सा व्यवस्था के खिलाफ उठने के बजाय आपस में एक-दूसरे पर उतरता है। जिसका लाभ राजनैतिक लोग जनता को आपस में लड़ा कर उठाते हैं। ताकि लोग विकास, रोज़गार की बात करने के बजाय या उनसे सवाल पूछने के बजाय आपस में उलझे रहें। यही इस मामले में भी हुआ है। जनता को भड़का कर नेता मौन हो गए हैं और जनता आपस में लड़ रही है।

डॉ. तंवर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश एक शांतिप्रिय प्रदेश है। यहां इलाकावाद की राजनीति के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। शिमला प्रदेश की राजधानी है जहां किसी भी क्षेत्र के लोगों को रोज़गार के अवसर पाने का हक है।

डॉ. तंवर ने राजनेताओं को सलाह दी कि उन्हें विवादित बयानों से बचना चाहिए। अपने राजनीतिक लाभ और लालच के लिए प्रदेश के सौहार्द को बिगाड़ना उचित नहीं है। बल्कि शिमला के आसपास का इलाका जो सिरमौर के दुर्गम क्षेत्रों की तरह ही विकास और रोज़गार के अवसरों से वंचित रहा है और जहां रोज़गार की अपार संभावनाओं के बावजूद शिक्षा की खस्ता हालत के कारण यहां के युवाओं को उचित अवसर नहीं मिल पा रहे हैं, उसमें सुधार के लिए प्रयास करने चाहिए।

डॉ. तंवर ने इस मामले में मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप का आग्रह किया है और सरकार का पक्ष स्पष्ट करने को कहा है।

प्रतिनिधिमंडल में सत्यवान पुंडीर, गुलाब नेगी, जयशिव ठाकुर, नवीन शर्मा उपस्थित थे।

प्रशासन जल्द करे समाधान : सीटू

सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने प्रदेश सरकार व जिला शिमला प्रशासन से शिमला शहर में देवभूमि व चूड़ेश्वर टैक्सी यूनियनों के मध्य चल रहे विवाद का तुरंत समाधान करने की मांग की है। सीटू ने मांग की है कि कामकाजी जनता के आर्थिक हितों का ख्याल रखते हुए क्षेत्रवाद की राजनीति पर रोक लगाई जाए।

सीटू प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि प्रदेश सरकार व शिमला जिला प्रशासन को इस मुद्दे का तुरंत समाधान निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 21 सभी नागरिकों को रोज़ी रोटी कमाने, आर्थिक स्वतंत्रता व जीने का अधिकार देता है। देश के संविधान के तहत बने विभिन्न कानून निष्पक्षता के सिद्धांत की वकालत करते हैं व एकतरफा कार्रवाई पर रोक लगाते हैं।

उन्होंने कहा कि शिमला शहर में कानून व्यवस्था स्थापित करने लिए निष्पक्षता के पैमाने को ही आधार बनाना चाहिए तथा इस संदर्भ में राजनीतिक संरक्षण व क्षेत्रवादी राजनीति बंद होनी चाहिए। शिमला शहर ऐतिहासिक तौर पर विकसित हुआ है जहां पर शिमला की स्थानीय जनता के साथ ही देश व प्रदेश के विभिन्न प्रांतो से शिमला में कार्यरत कामकाजी जनता का अग्रणी योगदान रहा है। देश की आज़ादी के पहले व बाद में जनता के तमाम समूहों के योगदान से ही शिमला शहर की सामाजिक व आर्थिक गति सुनिश्चित हुई है। इसलिए शिमला शहर आपसी सौहार्द व भाईचारे के लिए जाना जाता है लेकिन क्षेत्रवाद का नारा उछालकर कुछ शक्तियां शिमला शहर के माहौल को खराब करने की कोशिश कर रही हैं जो सही नहीं है।

महासचिव प्रेम गौतम ने दोनों टैक्सी यूनियनों से अपील की है कि वे आपसी सौहार्द से इस मसले का समाधान करें। उन्होंने इस मामले के समाधान के लिए किए गए प्रयासों को नाकाफी व लचर बताया है। उन्होंने एसडीएम की अध्यक्षता में बनी कमेटी से इस पूरे घटनाक्रम का तुरंत समाधान करने की मांग की है क्योंकि अभी शिमला में ग्रीष्मकालीन सीज़न चल रहा है जिसके जरिए ही टैक्सी ऑपरेटर, कुली, गाइड, रेस्तरां, टूअर एंड ट्रेवल, होम स्टे व होटल संचालक अपने रोज़गार व आजीविका को ज़िंदा रखने में सक्षम होते हैं। विवाद के लंबा खिंचने से इन सबको भारी आर्थिक नुकसान होगा क्योंकि पर्यटन से जुड़े ज़्यादातर लोग बैंक से कर्ज़ लेकर अपना व्यवसाय संचालित कर रहे हैं। यह प्रदेश के राजस्व के लिए भी नुकसानदेह साबित होगा। इससे शिमला शहर व प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ेगा।

(न्यूज़ एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest