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अमेरिका ने तालिबान की भागीदारी के साथ अफगानिस्तान में अंतरिम सरकार का प्रस्ताव दिया

अमेरिका और तालिबान के बीच पिछले साल के समझौते की विफलता स्पष्ट दिख रही है क्योंकि अफगान वार्ता अभी तक किसी निश्चित दिशा में नहीं हुई है।
अमेरिका

अमेरिका ने कथित तौर पर तालिबान सहित देश के सभी गुटों के साथ अफगानिस्तान में एक साझा सरकार का प्रस्ताव किया है। ये रिपोर्ट अफगानिस्तान की टोलो न्यूज ने मंगलवार 2 मार्च को प्रकाशित किया। इस रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि ज़ाल्मे खलीलज़ाद ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और देश के अन्य शीर्ष नेताओं के साथ हाल ही में बैठकों में इस प्रस्ताव पर चर्चा की।

खलीलज़ाद काबुल में थे जहां उन्होंने जाहिर तौर पिछले साल तालिबान के साथ अमेरीकी समझौते की स्थिति पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रपति गनी और अफगानिस्तान हाई काउंसिल ऑफ नेशनल रिकॉन्सिलिएशन के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला से मुलाकात की।

इस मसौदा प्रस्ताव में दोहा में चल रही शांति वार्ता को दरकिनार करने और तालिबान की भागीदारी के साथ एक अंतरिम सरकार का खाका तैयार करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की वार्ता शुरू करना शामिल है जो अफगानिस्तान की पारंपरिक लोया जिरगा की मंजूरी दे सकती है।

दोहा में इंट्रा-अफगान शांति वार्ता पिछले साल सितंबर में तालिबान और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच हुए समझौते के बाद शुरू हुई थी जिसके अनुसार अमेरिका ने मई 2021 के अंत तक देश से अपनी सेनाओं को वापस लेने पर सहमति व्यक्त की थी। इस तरह सरकार के साथ इंट्रा-अफगान वार्ता में भाग लेने के लिए तालिबान सहमत हो गए थे। हालांकि, अमेरिका और तालिबान के बीच इस समझौते का परिणाम अभी अनिश्चित है क्योंकि जो बाइडन के चुनाव जीतने के बाद उनके प्रशासन ने अफ़गानिस्तान से अपनी सेनाओं को पूरी तरह से वापस लेने पर आपत्ति जताई है।

तालिबान ने अफ़गान सरकार के खिलाफ अपना विरोध जारी रखा है और देश के उत्तर-पूर्व और दक्षिण के एक बड़े हिस्से पर कब्जा किए हुए है। इसने शांति प्रक्रिया के साथ साथ काबुल और अन्य सरकारी नियंत्रण वाले क्षेत्रों में नागरिकों और सशस्त्र बलों पर कई हमले किए हैं।

मंगलवार 2 मार्च को भी राजधानी काबुल के पूर्व में जलालाबाद शहर में हथियारबंद आतंकवादियों द्वारा एक मीडिया संगठन में काम करने वाली तीन युवतियों को गोलियों से भून दिया था। ये युवतियां काम के बाद घर लौट रही थीं।

हालांकि राष्ट्रपति गनी के कार्यालय ने अभी तक इस प्रस्ताव पर आधिकारिक रूप से टिप्पणी नहीं की है। अतीत में वे इस तरह के प्रस्तावों को लेकर यह कहते हुए आलोचनात्मक रहे थे कि जब तक वे जीवित हैं तब तक तालिबान अफगानिस्तान में किसी भी सरकार का हिस्सा नहीं होगा।

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