अविश्वास प्रस्ताव पर 8 अगस्त को लोकसभा में चर्चा शुरू होगी
लोकसभा में विपक्ष द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा 8 से 10 अगस्त तक होगी और चर्चा के अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जवाब देने की संभावना है।
इस आशय का निर्णय लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में लिया गया। इसका विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने बहिष्कार किया। इन विपक्षी दलों की मांग है कि प्रस्ताव पर तत्काल चर्चा शुरू हो। विपक्षी दलों के सदस्य इस दौरान सरकार द्वारा विधायी एजेंडा को आगे बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं।
Lok Sabha to take up discussion on no-confidence motion from August 8 to 10; PM Modi to reply on Aug 10
— Press Trust of India (@PTI_News) August 1, 2023
वहीं, सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि ऐसा कोई नियम या परंपरा नहीं है जो अविश्वास प्रस्ताव को सदन में तत्काल चर्चा के लिए लेने को अनिवार्य बनाता हो।
सरकार का कहना है कि नियमानुसार प्रस्ताव लाये जाने के 10 कामकाजी दिवस में उसे चर्चा के लिए लिया जाना चाहिए।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 26 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार किया था। उन्होंने उस दिन कहा था कि सभी दलों के नेताओं से बात करके और नियमों पर विचार करके प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख तय करेंगे।
संसद में जारी गतिरोध के बीच गत बुधवार को लोकसभा में मणिपुर हिंसा पर सरकार के खिलाफ कांग्रेस द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी।
बता दें कि सदन में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई द्वारा पेश इस प्रस्ताव को लोकसभा ने चर्चा के लिए स्वीकृति प्रदान की थी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करके इस पर चर्चा की तिथि के बारे में अवगत कराएंगे।
लोकसभा में शून्यकाल के दौरान बिरला ने कहा था कि ‘‘मुझे सदन को सूचित करना है कि गौरव गोगोई से नियम 198 के तहत मंत्रिपरिषद में अविश्वास प्रस्ताव का अनुरोध प्राप्त हुआ है...कृपया आप (गोगोई) सदन की अनुमति प्राप्त करें।’’
इसके बाद गोगोई ने कहा था कि ‘‘मैं निम्नलिखित प्रस्ताव के लिए सदन की अनुमति चाहता हूं-यह सभा मंत्रिपरिषद में विश्वास का अभाव प्रकट करती है।’’
ज्ञात हो कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों की गत मंगलवार को हुई बैठक में केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के बारे में फैसला हुआ था।
कांग्रेस ने अपने सदस्यों को व्हिप जारी करके कहा था कि वे बुधवार को सुबह साढ़े दस बजे संसद भवन स्थित पार्टी संसदीय दल के कार्यालय में मौजूद रहें।
लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक मणिकम टैगोर ने कहा था कि ‘‘यह विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' का विचार है। हमारा मानना है कि सरकार के अहंकार को तोड़ने और मणिपुर के मुद्दे पर बोलने को विवश करने के लिए (अविश्वास प्रस्ताव नोटिस को) आखिरी हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाए।’’
कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की लगातार मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र में दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित हो रही है।
बता दें कि मणिपुर में दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न का वीडियो 19 जुलाई को सामने आया था जिसके बाद देश भर में आक्रोश फैल गया और विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी हुए। अधिकारियों ने बताया था कि यह वीडियो चार मई का है।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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