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दिल्ली में गूंजा छात्रों का नारा— हिजाब हो या न हो, शिक्षा हमारा अधिकार है!

हिजाब विवाद की गूंज अब कर्नाटक के साथ यूपी और राजस्थान में भी सुनाई देने लगी है। दिल्ली में भी इसे लेकर प्रदर्शन किया गया। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने आश्वस्त किया है कि सभी के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा होगी और उचित समय पर हस्तक्षेप किया जाएगा।
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Hijab Or Not, Education Is Our Right! : मुस्लिम महिलाओं से भेदवाव के ख़िलाफ़ दिल्ली में एसएफआई ने कर्नाटक भवन के सामने प्रदर्शन किया। 

नयी दिल्ली: हिजाब विवाद की गूंज अब कर्नाटक के साथ यूपी और राजस्थान में भी सुनाई देने लगी है। दिल्ली में भी इसे लेकर प्रदर्शन किया गया। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा और कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर ‘‘उचित समय’’ पर विचार करेगा, जिसमें विद्यार्थियों से शैक्षणिक संस्थानों में किसी प्रकार के धार्मिक कपड़े नहीं पहनने के लिए कहा गया है। न्यायालय ने इस मुद्दे को ‘‘राष्ट्रीय स्तर पर नहीं फैलने’’ पर भी जोर दिया। 
       
प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ को छात्रों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश ने ‘‘संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार को निलंबित कर दिया है।’’ उन्होंने याचिका सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध भी किया।
       
याचिका 14 फरवरी के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध अस्वीकार करते हुए शीर्ष अदालत ने इस मामले में जारी सुनवाई का हवाला दिया और कहा कि हम प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेंगे और मामले पर ‘‘उचित समय’’ पर सुनवाई की जाएगी।
       
कामत ने इसके बाद कहा, ‘‘ मैं उच्च न्यायालय द्वारा कल हिजाब के मुद्दे पर दिए अंतरिम आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर कर रहा हूं। मैं कहूंगा कि उच्च न्यायालय का यह कहना अजीब है कि किसी भी छात्र को स्कूल और कॉलेज जाने पर अपनी धार्मिक पहचान का खुलासा नहीं करना चाहिए। न केवल मुस्लिम समुदाय के लिए बल्कि अन्य धर्मों के लिए भी इसके दूरगामी प्रभाव होंगे।’’
       
उन्होंने सिखों के पगड़ी पहनने का जिक्र किया और कहा कि उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में सभी छात्रों को निर्देश दिया है कि वे अपनी धार्मिक पहचान बताए बिना शिक्षण संस्थानों में जाएं।
       
कामत ने कहा, ‘‘ हमारा सम्मानजनक निवेदन यह है कि जहां तक हमारे मुवक्किल की बात है, यह अनुच्छेद 25 (धर्म को मानने और प्रचार करने की स्वतंत्रता) के पूर्ण निलंबन के बराबर है। इसलिए कृपया अंतरिम व्यवस्था के तौर पर इस पर सुनवाई करें।’’
       
कर्नाटक सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश अभी तक नहीं आया है और इस तथ्य पर ध्यान देना चाहिए।
       
पीठ ने कहा, ‘‘ उच्च न्यायालय मामले पर त्वरित सुनवाई कर रहा है। हमें नहीं पता कि क्या आदेश सुनाया जाएगा...इसलिए इंतजार करें। हम देखते हैं कि क्या आदेश आता है।’’
       
याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि सभी स्कूल और कॉलेज बंद हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ यह अदालत जो भी अंतरिम व्यवस्था तय करेगी वह हम सभी को स्वीकार्य होगी।’’
       
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं कुछ नहीं कहना चाहता। इन चीजों को व्यापक स्तर पर ना फैलाएं। हम बस यही कहना चाहते हैं, कामत जी, हम भी सब देख रहे हैं। हमें भी पता है कि राज्य में क्या हो रहा है और सुनवाई में क्या कहा जा रहा है...और आप भी इस बारे में विचार करें कि क्या इन चीजों को दिल्ली के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर फैलाना सही है?’’
       
उच्च न्यायालय के आदेश में कानूनी सवाल उठने की दलील पर पीठ ने कहा कि अगर कुछ गलत हुआ होगा, तो उस पर गौर किया जाएगा।
       
पीठ ने कहा, ‘‘ यकीनन हम इस पर गौर करेंगे। निश्चित रूप से, अगर कुछ गलत होता है तो हम उसे सही करेंगे। हमें सभी के संवैधानिक अधिकार की रक्षा करनी है...इस समय उसके गुण-दोष पर बात ना करें। देखते हैं क्या होता है। हम उचित समय पर इसमें हस्तक्षेप करेंगे। हम उचित समय पर मामले पर सुनवाई करेंगे।’’
       
हिजाब के मुद्दे पर सुनवाई कर रही कर्नाटक उच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने बृहस्पतिवार को मामले का निपटारा होने तक छात्रों से शैक्षणिक संस्थानों के परिसर में धार्मिक कपड़े पहनने पर जोर नहीं देने के लिए कहा था। इसके निर्देश के खिलाफ ही उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई है।
       
एक छात्र द्वारा दायर याचिका में उच्च न्यायालय के निर्देश के साथ ही तीन न्यायधीशों की पीठ के समक्ष चल रही सुनवाई पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया कि उच्च न्यायालय ने मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देकर उनके मौलिक अधिकार कम करने की कोशिश की।
       
गौरतलब है कि उडुपी के एक सरकारी ‘प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज’ में कुछ छात्राओं के निर्धारित ‘ड्रेस कोड’ का उल्लंघन करते हुए हिजाब पहनकर कक्षाओं में आने पर, उन्हें परिसर से बाहर जाने को कहा गया, जिससे एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया और राज्य भर में प्रदर्शन हुए। इसके जवाब में हिंदू छात्र भी भगवा शॉल ओढ़कर विरोध करने लगे।

हिजाब विवाद पर एसएफआई ने कर्नाटक भवन के समक्ष प्रदर्शन किया

नयी दिल्ली: कर्नाटक में हिजाब विवाद के बीच स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने शुक्रवार को यहां कर्नाटक भवन के बाहर मुस्लिम महिलाओं के साथ एकजुटता प्रकट करने के लिए विरोध प्रदर्शन किया।
      
एसएफआई सचिव याशिता सिंह ने कहा कि उन्हें कई अन्य कार्यकर्ताओं के साथ विरोध के दौरान हिरासत में लिया गया था।
      
सिंह ने कहा, ‘‘हम शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने हमें हिरासत में ले लिया। कई अन्य लोगों को विरोध स्थल पर जाने के दौरान पकड़ लिया गया ।’’

उन्होंने कहा कि हिजाब पहनने के मामले में मुस्लिम महिलाओं के साथ ‘‘भेदभाव’’ के खिलाफ यह विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था।
      
उन्होंने कहा, ‘‘हम इसे शिक्षा के मौलिक अधिकार और किसी के धर्म का पालन करने के अधिकार पर हमले के रूप में देख रहे हैं। लड़कियों की शिक्षा तक पहुंच से वंचित करने के लिए राज्य की मंजूरी के साथ धर्म के आधार पर यह भेदभाव किया जा रहा है।’’
      
छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में एक गर्ल्स हॉस्टल के लिए निर्धारित जमीन पर 'गौशाला' के निर्माण का भी विरोध कर रहे थे।
      
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने ट्वीट किया, ‘‘राष्ट्रीय विरोध दिवस पर, हमने आज कर्नाटक भवन, दिल्ली के पास विरोध प्रदर्शन किया। नफरत फैलाने वालों के खिलाफ एकजुट हों ।’’

हिजाब विवाद: उच्च शिक्षा विश्वविद्यालय और कॉलेज 16 फरवरी तक बंद रहेंगे

बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार को कहा कि हिजाब विवाद के मद्देनजर राज्य में उच्च शिक्षा विश्वविद्यालय और कॉलेजों में छुट्टियों की घोषणा बढ़ाकर 16 फरवरी तक के लिये कर दी गई है।

राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री सी एन अश्वथ नारायण ने एक बयान में कहा कि परीक्षाएं हालांकि निर्धारित समय पर होंगी और ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने का निर्देश दिया गया है।

इससे पहले दिन में, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी सी नागेश और गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र दोनों ने संकेत दिया था कि प्री-यूनिवर्सिटी और डिग्री (उच्च शिक्षा) कॉलेजों को फिर से खोलने के संबंध में निर्णय 14 फरवरी को लिया जाएगा।

नारायण ने कहा कि हिजाब विवाद को देखते हुए कॉलेजिएट एवं तकनीकी शिक्षा विभाग (डीसीटीई) ने नौ फरवरी से 11 फरवरी तक संस्थानों को बंद रखने की घोषणा की थी, लेकिन अब एहतियात के तौर पर इसे बढ़ा दिया गया है।

उन्होंने कहा कि यह बंद सरकारी, सहायता प्राप्त, गैर सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों, डिप्लोमा और इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए लागू है।

सरकार ने बृहस्पतिवार को कक्षा 10 तक के हाईस्कूल छात्रों के लिए 14 फरवरी से और प्री-यूनिवर्सिटी एवं डिग्री कॉलेजों के लिए इसके बाद कक्षाएं फिर से शुरू करने का फैसला किया था।

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में हिजाब से संबंधित सभी याचिकाओं पर पहले राज्य सरकार से शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोलने को कहा था और सभी छात्रों को भगवा शॉल, स्कार्फ, हिजाब और किसी भी धार्मिक ध्वज के साथ कक्षा के भीतर जाने से रोक दिया था।

राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिजाब के खिलाफ विरोध तेज होने के कारण सरकार ने नौ फरवरी से राज्य के सभी हाई स्कूलों और कॉलेजों में तीन दिन का अवकाश घोषित कर दिया था।

इससे पहले कर्नाटक सरकार ने स्कूल फिर से खोले जाने के मद्देनजर शुक्रवार को जिला प्रशासन को कई निर्देश जारी किए, जिससे कि शांति कायम रखी जा सके और यह सुनिश्चित हो सके कि उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन नहीं हो।

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मंत्रियों के साथ-साथ सभी जिलों के उपायुक्तों (डीसी), पुलिस अधीक्षक (एसपी), लोक निर्देश के उप निदेशक (डीडीपीआई) और सभी जिलों के जिला पंचायतों के सीईओ के साथ जमीनी स्थिति की समीक्षा के लिए बैठक की।

गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘सोमवार से राज्य में 10वीं कक्षा तक हाई स्कूल की कक्षाएं फिर से शुरू होंगी। इसके मद्देनजर निर्देश जारी किए गए हैं कि कोई अप्रिय घटना न हो। संवेदनशील क्षेत्रों में डीसी और एसपी को शैक्षणिक परिसर का दौरा करना है और वहां के अधिकारियों और शिक्षण कर्मचारियों को निर्देश देना है ताकि यह सुनिश्चित की जा सके कि कोई अप्रिय घटना न हो।’’

ज्ञानेंद्र ने आगे कहा कि स्थानीय प्रशासन को ऊपर से आदेश की प्रतीक्षा करने के बजाय स्थिति के अनुसार कार्य करने और तत्काल उपाय करने का अधिकार दिया गया है।    

इस बीच, सोमवार से स्कूल खोले जाने के मद्देनजर उडुपी में पुलिस प्रशासन ने फ्लैग मार्च किया।

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राजस्थान: छात्राओं के बुर्का पहनने को लेकर कॉलेज प्रशासन की आपत्ति पर विवाद

जयपुर: जयपुर के चाकसू थाना क्षेत्र में शुक्रवार को एक निजी कॉलेज में कुछ मुस्लिम छात्राओं और उनके परिजनों ने छात्राओं को कॉलेज में ड्रेस की जगह बुर्का पहनने की इजाजत नहीं देने पर प्रदर्शन किया।

कॉलेज प्रशासन ने कहा कि बुर्का पहनने से ना केवल कॉलेज में पिछले 6-7 साल से जारी ड्रेस कोड का उल्लंघन होता है बल्कि कॉलेज के अन्य छात्रों को भी बिना ड्रेस (यूनिफॉर्म) के कॉलेज आने के लिये प्रोत्साहन मिलता है। पुलिस ने कॉलेज परिसर पहुंचकर मामले में हस्तक्षेप किया।
   
चाकसू के कस्तूरी देवी कॉलेज के सहायक निदेशक सुमित शर्मा ने बताया कि ‘‘कुछ लड़कियां पिछले 3-4 दिनों से बुर्का पहनकर कॉलेज आ रही थीं। उन्हें देखकर बृहस्पतिवार को अन्य छात्र भी बिना ड्रेस के कॉलेज में आ गए और हमें लगभग 50 छात्रों को बिना ड्रेस के कॉलेज में अनुमति देनी पड़ी।
       
उन्होंने कहा कि हमने उन्हें कॉलेज उचित ड्रेस में आने को कहा। शुक्रवार को फिर चार पांच लडकियां बुर्के में आ गई। जब हमने उन्हें अनुमति नहीं दी तो उन्होंने अपने रिश्तेदारों को बुला लिया। उन्होंने कॉलेज के बाहर एकत्र होकर प्रदर्शन किया।
       
उन्होंने कहा कि प्रदर्शन करने वालो में से 10-15 लोगो ने कॉलेज में घुसकर हम पर लड़कियों को बुर्का पहन कर कॉलेज में आने की अनुमति देने का दबाव बनाया। शर्मा ने दावा किया कि पिछले 3-4 दिनों से लड़कियां बुर्का पहनकर आ रही थीं और इससे पहले वो ड्रेस में आती थीं।
       
उन्होंने कहा कि उन पर जो हिजाब की अनुमति नहीं देने के आरोप लगाए जा रहे थे, वो गलत हैं। कुछ छात्राएं अक्सर हिजाब पहनकर ड्रेस के साथ कॉलेज आती थीं। उन्होंने कहा कि हमें हिजाब से कभी कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन ड्रेस की जगह बुर्का पहनना एक अलग बात है।
       
कॉलेज के बाहर प्रदर्शन की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और लोगों को शांत करवाया। पुलिस ने शुरू में कहा था कि छात्राओं के परिजनों ने आरोप लगाया था कि कॉलेज प्रशासन ने उन्हें हिजाब पहनने की इजाजत नहीं दी। 
       
चाकसू थाने के उपनिरीक्षक जितेन्द्र कुमार ने कहा कि बीए प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष की 10-12 मुस्लिम लडकियां बुर्का पहन कर कॉलेज पहुंचीं तो कॉलेज प्रशासन ने उन्हें कॉलेज में प्रवेश नहीं करने दिया। उन्होंने कहा कि इसके बाद उनके परिजनों ने कॉलेज पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया।
 
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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