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तंगदिली छोड़, देश में मुसलमानों के प्रति भरोसा बढ़ाने की जरूरत: प्रो. मनोज कुमार झा

देश में पिछले कुछ सालों में मुस्लिमों के प्रति बढ़ती तंगदिली और नफरत को लेकर आरजेडी सांसद प्रो. मनोज झा जमकर बरसे। उन्होंने भरोसा बहाल करने के लिए मुसलमानों के प्रति नजरिया बदलने की जरूरत बताते हुए कहा कि देश में मुसलमानों के बीच एक झिझक और संकोच की भावना बढ़ रही है जिसे समग्रता की दृष्टि से देखने और समझने की जरूरत है। राज्यसभा में बोलते हुए आरजेडी नेता प्रोफेसर मनोज झा ने बुलडोजर संस्कृति को मानवता विरोधी बताते हुए इसपर रोक लगाने की मांग की।
manoj jha

प्रो मनोज झा, मुस्लिमों के उत्थान के लिए सच्चर समिति की रिपोर्ट और मुसलमानों के शैक्षिक और सामाजिक पिछड़ेपन पर चर्चा करने वाली रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्टों की सिफारिशों को लागू करने को लेकर आईयूएमएल के नेता अब्दुल वहाब द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि.... 

राज्य सभा सांसद मनोज झा शुक्रवार को अपने भाषण में टीवी चैनलों पर शाम को होने वाली डिबेट पर भी जमकर बरसे, उन्होंने कहा, "इन टेलीविजन चैनल्स को कहां से ये शह मिल रही है  कि शाम से लेकर देर रात तक नफरत और घृणा की नुमाइश करते हैं।" देश में अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिम समुदाय के बारे में बोलते हुए वह केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर बरसे।

बहस में भाग लेते हुए बीजेपी के राकेश सिन्हा ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार में सबका साथ सबका विकास चल रहा है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के प्रति कोई भेदभाव नहीं है और देश के हर हिस्से में बिजली, पानी और अन्य सुविधाएं पहुंच रही हैं।

आरजेडी के मनोज कुमार झा ने आरोप लगाया कि ध्रुवीकरण, मॉब लिंचिंग और घृणा अपराध बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज के ध्रुवीकरण से किसी का भला नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि चीजों को धर्म के नजरिए से नहीं बल्कि मानवाधिकार के नजरिए से देखा जाना चाहिए।

मनोज झा ने अपने भाषण में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर नाम लिए बिना हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार का एक मंत्री बार-बार लोगों से कहता रहता है कि पाकिस्तान चले जाओ। अगर सब पाकिस्तान चले जाएंगे तो वो किसके लिए मंत्री होंगे?. राज्यसभा सांसद ने देश के कई राज्यों में जारी बुलडोज़र एक्शन पर भी नाराज़गी जताई।

प्रोफेसर मनोज झा ने 20% आबादी के प्रति अपनाए जा रहे हैं दृष्टिकोण पर भी सवाल उठाए और कहा कि अगर हम अगर हमारा 20% आबादी के प्रति दृष्टिकोण सही नहीं है तो फिर भले ही हम चाहे 45 मिलियन या 45 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बन जाएं लेकिन एक मूल के तौर पर हम तन्हाई महसूस करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि समाज में ध्रुवीकरण है इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है लेकिन दूर ही सही, गलत समाज ध्रुवीकरण से अंदर ही अंदर दीमक की तरह खोखला हो जाता है।

प्रोफेसर झा ने कहा गांधी जी का हवाला देते हुए कहा कि जिस सभ्यता में अल्पसंख्यकों के लिए जगह नहीं होगी उसे समग्र नहीं कहा जा सकता है। आज मुसलमानों में एक अजीब सी झिझक संकोच और अनिच्छा की भावना घर कर रही है जो सही नहीं है। हालात यह हैं कि आज हम जुबान, भाषा, परिधान से एक खास समुदाय की पहचान कर रहे हैं। मुस्लिमों के प्रति शोषण नहीं, भरोसा बहाल करने की जरूरत है।

प्रोफेसर मनोज झा ने हाल में हुई घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि आज टीवी चैनल शाम होते ही हिंदू मुस्लिम, भारत पाकिस्तान का जहर उगलना शुरू कर देते हैं जिससे पूरी हवाई और  जहरी ली भरी होती है। हमें याद रखना होगा की हवा सरहद और धर्मों को नहीं देखती है, इससे पूरा माहौल ही जहरीला बनता जा रहा है और लोगों में डर और खौफ बढ़ रहा है।

प्रोफेसर झा ने कहा कि प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट तक इस खतरे के प्रति देश को आगाह कर चुके हैं लेकिन उसके बावजूद पता नहीं ये टीवी चैनल टीवी चैनल किसकी शह पर दिन-रात जहर उगलते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे कुछ लोगों को बलि का बकरा बना दिया जा रहा है यह बात हम नहीं, सुप्रीम कोर्ट के ऑब्जरवेशन में मैं भी निकल कर आई है। अपने एक छात्र मीरान हैदर का उदाहरण देते हुए प्रोफेसर मनोज झा ने कहा कि मीरान 4 साल जेल में रहे और उसके बाद बरी हुए हैं, कुछ लोग 8 साल जेल में रहकर बरी हो रहे हैं लेकिन सवाल इससे कहीं आगे का है कि इन 8 साल के लौट आने का कोई प्रावधान, कोई हिसाब या कोई विधा भी हमारे पास है? 

बजट पर अल्पसंख्यकों के लिए आवंटित धनराशि में 90% पैसा खर्च ना होने की बात कहते हुए प्रोफेसर मनोज झा ने कहा कि हमें एक खास समुदाय को लेकर तंग नजरिया छोड़ना होगा उन्होंने बुलडोजर संस्कृति को लेकर भी चेताया।

प्रोफेसर मनोज मनोज झा ने उपरोक्त और से बिना नाम लिए भाजपा नेताओं पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि एक नेताजी ने तो अपने नाम के आगे ही बुलडोजर बाबा रखवा लिया है। पता नहीं वह बुलडोजर बाबा के नाम से कैसे सहज रह पाते होंगे। उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि बिहार में एक नेता हैं जो सुबह से शाम तक लोगों को पाकिस्तान भेजते रहते हैं। पिछले दिनों उन्होंने सीमांचल का दौरा किया और वहां पर पलायन का सवाल उठा दिया जबकि उनकी खुद की पार्टी के लोग ऐसा नहीं मानते। लेकिन उन्हें कैराना मॉडल बनाना चाहते थे एक नेत्री जिसको अभी तक प्रधानमंत्री से माफी तक नहीं मिली है वह अभी भी चाकू तेज करने की बात पर नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। प्रोफेसर झा अंत में राही मासूम रजा की पंक्तियों के साथ अपना संबोधन खत्म करते हैं। 

प्रोफेसर मनोज झा का पूरा वीडियो यहां देख सकते हैं। 

साभार : सबरंग 

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