Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

तिरछी नज़र: सरकार जी, आप भी तो आत्मनिर्भर बनो

सरकार जी के प्रयासों से हम लगभग हर चीज में, सरकार पर निर्भर नहीं हैं, आत्मनिर्भर हो चुके हैं। रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा, स्वच्छ पानी, प्रदूषण रहित हवा, जैसी सभी चीजों में हम आत्मनिर्भर हो गए हैं। अब ये चीजें हम सरकार जी से नहीं मांगते हैं।
modi
फ़ोटो साभार : Aaj Tak

सरकार जी तीन राज्यों में चुनाव जीत गए। चौथे का नहीं जीते क्योंकि जीतना नहीं चाहते थे। जीतना चाहते तो उनके अलावा और कोई जीत सकता था भला। चौथे राज्य में जीतना नहीं चाहा और पांचवां राज्य तो नार्थ ईस्ट में है जिसे सरकार जी भारत में मानते ही नहीं हैं। नार्थ ईस्ट को भारत में मानते तो मणिपुर न हो आते अब तक।

सरकार जी बहुत मेहनत करते हैं। और कभी करें न‌ करें पर चुनाव जीतने के लिए तो सरकार जी बहुत ही मेहनत करते हैं। यहां तक कि चुनाव के दौरान अपने प्रिय शौक, विदेश भ्रमण से भी परहेज़ रखते हैं। यह बात अलग है कि चुनाव समाप्त होते ही फिर से अपना विदेश भ्रमण का शौक पूरा करने में लग जाते हैं।

अपने अन्य शौक सरकार जी चुनाव‌ के दौरान भी पूरे करते रहते हैं। अन्य शौक जैसे बार बार कपड़े बदलना। उसके लिए तो चुनाव से मुफीद और कुछ हो ही नहीं सकता है। जितनी जन‌ सभाएं हों उतनी ही बार कपड़े बदल सकते हैं। छः हों तो छः बार और दस हों तो दस बार। एक अन्य शौक जैसे बड़े से बड़ा झूठ बोलना, वह शौक तो सरकार जी चुनावी रैली में भी पूरा करते हैं। तक्षशिला को बिहार में बताना, सिकंदर को बिहार तक पहुंचाना, किसी भी कांग्रेसी का भगत सिंह से जेल में मिलने न जाना और जनरल करिअप्पा जैसे सारे झूठ चुनावी सभाओं में ही तो बोले गए थे।

सरकार जी का एक और शौक है जो वे चुनाव में पूरा करते हैं। वह शौक है जुमले फेंकने का।‌ ब्लैक मनी का वापस आना और सबके खाते में पंद्रह लाख आने को तो सरकार जी के खासमखास ही जुमला बता चुके हैं। दो करोड़ नौकरियां भी जुमला ही था और किसानों की दुगनी आय का वायदा भी। और इस बार दी गई 'सरकार जी की गारंटी' भी शर्तिया जुमला ही है।

सरकार जी ने एक काम जरूर किया है। देश को, देश‌ के नागरिकों‌ को हर समय तरह तरह की चीजें सिखाने का। और उन सभी चीजों में सबसे प्रमुख है, आत्मनिर्भरता। उन्होंने देश को, देश के लोगों को आत्मनिर्भर बनाया है। रोजगार में सब आत्मनिर्भर हो गए हैं। अब कोई नौजवान शायद ही सरकार से रोजगार मांगता है। कम से कम वोट तो रोजगार की बात पर नहीं देता है। खुद ही आत्मनिर्भर बन पकौड़े बनाने का ठेला या पंक्चर लगाने का ठिया लगा लेता है। 

कोई भी सरकार से साफ पानी नहीं मांगता है, घर में ही वाटर प्यूरीफायर लगवा लेता है। और शुद्ध, प्रदूषण रहित हवा की तो हम डिमांड तक नहीं करते हैं। जो आत्मनिर्भर हैं, समर्थ है, वे घर में, कार में, ऑफिस में एयर प्यूरीफायर लगा लेते हैं। और शिक्षा, चिकित्सा, उनसे तो सरकार कब का पल्ला झाड़ चुकी है। इलाज करवाना हो तो जेवर बेच देते हैं, जमीन जायदाद बेच देते हैं पर उफ़ तक नहीं करते हैं। जहां तक शिक्षा की बात है, स्कूलों‌ पर से भरोसा उठ कर कोचिंग पर हो गया है।  डॉक्टर, इंजीनियर बनने, सिविल सर्विसेज क्लीयर करने के लिए तो कोचिंग पहले से ही थी पर अब तो बीए, बीएससी में एडमिशन के लिए भी प्राईवेट कोचिंग शुरू हो गई है।

मतलब सरकार जी के प्रयासों से हम लगभग हर चीज में, सरकार पर निर्भर नहीं हैं, आत्मनिर्भर हो चुके हैं। रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा, स्वच्छ पानी, प्रदूषण रहित हवा, जैसी सभी चीजों में हम आत्मनिर्भर हो गए हैं। अब ये चीजें हम सरकार जी से नहीं मांगते हैं। हम तो सरकार जी से यह तक नहीं पूछते हैं कि जिन गंगा मैया ने आपको दस साल पहले बुलाया था, जिनको साफ करने में हजारों करोड़ खर्च हो गए हैं, वे कितनी साफ हुईं। साफ हुईं भी हैं या नहीं। और न ही इसके लिए वोट करते हैं।

खैर सरकार जी ने हमें तो बहुत आत्मनिर्भर बना दिया है पर खुद आत्मनिर्भर नहीं बने हैं। चुनाव जीतते हैं, काफी बार जीतते हैं, पर चुनाव जीतने में भी आत्मनिर्भर नहीं बने हैं। आज भी, इतने सारे चुनाव जीत कर भी, चुनाव जीतने के मामले में आत्मनिर्भर नहीं हुए हैं। चुनाव जीतने के लिए अभी भी चुनाव आयोग पर निर्भर हैं। चुनाव आयोग की ईवीएम पर निर्भर हैं। सरकारी अफसरों के चुनाव प्रचार पर निर्भर हैं। गोदी मीडिया की चापलूसी पर निर्भर हैं। हिन्दू-मुसलमान करवाने पर निर्भर हैं। ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई के छापों पर निर्भर हैं।

सरकार जी, आपने हम सबको, सारी की सारी जनता को, पूरे देश को, भारत वर्ष को तो आत्मनिर्भर बना दिया पर खुद भी तो आत्मनिर्भर बनो। चुनाव जीतने के लिए आत्मनिर्भर बनो। कोई एक चुनाव, चुनाव आयोग की सहायता के बिना; ईवीएम हैक होने के आरोपों के बिना; हिन्दू-मुसलमान, मंदिर-मस्जिद किए बिना; ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स के छापों की सहायता के बिना जीत कर दिखाओ तो मानें, तो जानें।

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।) 

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest