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कोरोना को रोकना है या कोरोना की ख़बरों को ?

सरकार! हम बड़ी साधारण सूचनाएं चाहते हैं। कोरोना वायरस से जंग जीतने के लिए हमारे देश में कितने वेंटिलेटर हैं? हर राज्य में कितने वेंटिलेटर हैं? 
 कोरोना वायरस

उत्तराखंड में कुल कितने वेंटिलेटर हैं? कितने वेंटिलेटर की आवश्यकता है? कितने आइसोलेशन बेड हैं? कितने क्वारनटीन बेड हैं? कितनी पीपीई किट है? ये बड़ी साधारण से सूचनाएं हैं। जिसके बारे में सरकार की स्वास्थ्य से जुड़ी वेबसाइट पर ही जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए ताकि राज्य की जनता को पता रहे कि सरकार ने उनकी सुरक्षा के लिए क्या तैयारियां की हैं।

इन सवालों के जवाब के लिए कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारियों के लिए बनाए गए हेल्पलाइन नंबर 104 पर कॉल करें। वहां इस तरह की सूचनाएं नहीं दी जा रही हैं। कोरोना के लिए देहरादून के नोडल अधिकारी बनाए गए डॉ दिनेश चौहान कहते हैं कि वो भी इस तरह की सूचनाएं नहीं रखते। हालांकि उन्होंने कुछ मोटी-मोटी जानकारी दी। जैसे कि देहरादून मेडिकल कॉलेज में कोरोना मरीजों के लिए 3 वेंटिलेटर आरक्षित हैं। अस्पताल में उपलब्ध 8-10 वेंटिलेटर भी कोरोना मरीजों के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। दून अस्पताल में ही कोरोना के 6 मरीजों का इलाज चल रहा है। जिसमें से दो को डिस्चार्ज किया जा चुका है।

देहरादून में डिप्टी सीएमओ डॉ वंदना सेमवाल इस तरह की सूचनाओं को जमा कर रही हैं लेकिन वो सूचनाएं साझा नहीं कर रही। वह बताती हैं कि सीएमओ डॉ मीनाक्षी जोशी ने इस तरह की सूचनाओं को साझा करने से सख्त मना किया है। उन्होंने सीएमओ के ईमेल पर ये सवाल भेजने को कहे। लेकिन 24 घंटे तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया। फिर सीएमओ डॉ मीनाक्षी जोशी से बात की तो उन्होंने ये सूचनाएं देने से इंकार कर दिया और राज्य की स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ अमित उप्रेती से बात करने को कहा। डॉ अमिता उप्रेती को लगातार कई घंटे फ़ोन मिलाने के बावजूद फ़ोन नहीं उठता। वे आवश्यक कार्यों में व्यस्त होंगी लेकिन उनके दफ्तर से भी पलटकर कोई कॉल नहीं आई, जो कि आनी चाहिए।

उत्तराखंड सरकार का हेल्थ बुलेटिन.jpg

सुप्रीम कोर्ट ने 31 मार्च को मीडिया को निर्देश दिया कि कोरोना से जुड़ी खबरों को आधिकारिक पुष्टि के बाद ही प्रकाशित करें। लेकिन ऊपर का वाकया अधिकारियों की खबरों से बचने की कोशिश की पुष्टि करता है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद उत्तराखंड के सचिव दिलीप जावलकर ने जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को ये आदेश दिए हैं कि कोरोना से जुड़ी ख़बरों की मॉनीटरिंग करें। भ्रामक, फेक न्यूज़, लोक व्यवस्था को बिगाड़ने वाली खबरें प्रसारित करने पर आईटी एक्ट और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत कार्रवाई करें। क्या ये मीडिया को भयभीत करने की कोशिश है? आधिकरिक पुष्टि तो अधिकारी आसानी से करेंगे नहीं। क्या हरिद्वार से गुपचुप तरीके से गुजरात भेजे गए यात्रियों की खबर उत्तराखंड की जनता को दी गई या इसका जवाब दिया गया कि गुजरात से लौटी उत्तराखंड की खाली बसों में वहां फंसे प्रवासियों को क्यों नहीं लाया गया।

एक स्थानीय अखबार के मुताबिक राज्य के सरकारी अस्पतालों में मात्र 165 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। निजी अस्पतालों में मात्र 143 वेंटिलेटर। राज्य की करीब सवा करोड़ आबादी पर 308 वेंटिलेटर। राज्य के सबसे बड़े कोरोना अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज में मात्र दस वेंटिलेटर। सरकारी अस्पताल उत्तराखंड सरकार से वेंटिलेटर मांग रहे हैं। ऋषिकेश के राजकीय चिकित्सालय ने सरकार से वेंटिलेटर मांगा है। एम्स में इस समय सिर्फ कोरोना संदिग्धों का इलाज चल रहा है। ऐसे में राजकीय चिकित्सालय पर ही अन्य मरीजों की ज़िंदगी टिकी है। वेंटिलेटर तो दूर की बात है, ऐसी सूचनाएं भी हैं कि सरकारी अस्पतालों में थर्मामीटर तक उपलब्ध नहीं हो पा रहे।

जबकि कोरोना को देखते हुए राज्य के हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। तीन अप्रैल को ही 6 नए कोविड-19 पॉजीटिव केस सामने आए हैं। राज्य में कुल कोरोना पॉजिटव मरीजों की संख्या 16 हो गई है, जिसमें से दो ठीक हो चुके हैं। राज्य में अब तक कुल 825 सैंपल कोरोना की जांच के लिए भेजे गए हैं। जिसमें 671 नेगेटिव आए हैं। 138 के नतीजों का इंतज़ार है। ये सैंपल साइज बहुत छोटा है। राज्य में 152 लोग अस्पतालों में आइसोलेशन में हैं। घर और संस्थागत क्वारनटीन की संख्या 8,557 है। 296 तबलीगी जमात को मानने वाले लोग संस्थागत क्वारनटीन किए गए हैं। उत्तराखंड में 16 पॉजीटिव केस में से 9 जमात में शामिल होकर लौटे लोग हैं। बाकी विदेश से लौटे लोग हैं। तो शुक्र मना सकते हैं कि कोरोना का स्थानीय संक्रमण नहीं हुआ है।

सरकार! हम बड़ी साधारण सूचनाएं चाहते हैं। कोरोना वायरस से जंग जीतने के लिए हमारे देश में कितने वेंटिलर हैं? हर राज्य में कितने वेंटिलेटर हैं ? हम बड़े-बड़े रक्षा सौदों की खबर पढ़ते हैं। फिर उनके घोटालों की खबरें पढ़ते हैं। हमारे रक्षा मंत्री जी कहते हैं कि कोरोना वायरस का भारत के रक्षा सौदों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन हमें तो इस समय वेंटिलेटर की जरूरत है और हमारे पास वेंटिलेटर क्यों नहीं है ? हमारे देश की सड़कें बड़ी-बड़ी गाड़ियों से जाम रहती हैं।

हमारे पास पीपीई किट क्यों नहीं हैं ? हमने ताली बजाई, हम दिए जलाएंगे, हमारे सफ़ाई कर्मचारी बिना मास्क-दस्ताने के सड़कों की सफ़ाई करने को मजबूर क्यों हैं ? वे कैसे कोरोना योद्धा हुए, जिनके पास वायरस से बचाव के लिए मास्क-दस्ताने ही नहीं। फिर हम हर दूसरे-तीसरे घंटे समाचार चैनलों और इंटरनेट पर ये ढूंढ़ते हैं कि कोरोना के आज कितने मरीज़ हुए। कितने पॉजीटिव केस सामने आए। कितने ठीक हुए। मायने कि हमें इस समय ज़रूरी सूचनाओं की जरूरत है। 

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