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सीरिया पर पुतिन-एर्दोगन समझौते से क्या हासिल होगा?

तुर्की सीरिया की उत्तरी सीमा के भीतर लगभग दो-तिहाई इलाक़े को ख़ास तौर पर नियंत्रित कर रहा है, जो सीरिया के मामले में किसी भी अंतिम निर्णय की शर्तों के निर्धारण में एर्दोगन को एक कमांडिंग स्थिति में खड़ा कर देता है।
turkey and russia
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप एर्दोगन (बाएं) और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (दाएं) 22 अक्टूबर, 2019 को रूस के सोची शहर में वार्ता के लिए मिले।

रूस और तुर्की के राष्ट्रपति क्रमश: व्लादिमीर पुतिन और रेसेप एर्दोगन के बीच 22 अक्टूबर को सोची में सीरियाई प्रश्न को लेकर सात घंटे के क़रीब तक वार्ता चली और कथित तौर पर इसे एक "मुश्किलवार्ता बताया जा रहा है। संयुक्त मीडिया ब्रीफिंग के वक़्त दोनों राजनेता निराश लग रहे थेऔर उन्होंने कोई सवाल लेना भी वाजिब नहीं समझा।

अधिकांश बातचीत एक दूसरे के साथ ही हुई और समझौता ज्ञापन जिस पर दोनों राजनेताओं ने हस्ताक्षर किएउस समझौते के परिणाम बातचीत को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। इस तरह के अनिश्चित समय में पूरी स्थिति को लिखित में नहीं दर्शाया जा सकता हैविशेष रूप से सीरिया में रूसी हस्तक्षेप के बाद से पिछले चार साल के दौरान दोनों की अत्यधिक व्यक्तिगत कूटनीतिक शैली को देखते हुए यह संभव नहीं था।

यह कोई रहस्य की बात नहीं है कि दोनों देशों के अपनी अलग-अलग हित हैं और सीरियाई के संघर्ष में उनकी विशिष्ट चिंताएं और विरोधाभासी प्राथमिकताएं भी हैं। एमओयू अपने आप में यह सब बोलता है। ज़ाहिर हैवहाँ लेने और देने के लिए बहुत कुछ है।

थोड़ा पीछे से शुरू करें तो रूस यह स्वीकार करता है कि तुर्की के साथ सीरिया के सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकवादी समूहों की उपस्थिति को लेकर तुर्की की सुरक्षा चिंताएँ जायज़ हैं। लेकिन रूस तुर्की द्वारा की गई घुसपैठ को सीरिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन भी मानता है।

फिर सेरूस ने सीरिया के भीतर तुर्की द्वारा बनाए जा रहे "सुरक्षित क्षेत्रकी अवधारणा को अस्वीकार कर दिया है। रूस सीरिया पर पूर्ण नियंत्रण के लिए असद शासन की आकांक्षा का समर्थन करता है।

हालाँकिएमओयू यह संकेत देता हैं कि पुतिन और एर्दोगन ने 1998 के अडाना समझौते को पुनर्जीवित करने के एक सहज दृष्टिकोण के माध्यम बहुत ही विरोधाभासी टकरावों को समेट लिया हैजो तुर्की को आतंकवादी ख़तरों का मुक़ाबला करने के लिए सीरियाई क्षेत्र में सीमित घुसपैठ करने की अनुमति देता है लेकिन सीमा सुरक्षा की मुख्य ज़िम्मेदारी वह डामास्कस पर डालता है ताकि आतंकवादी समूहों की पहुँच को रोका जा सके। बेशकमीन पर स्थितियां बीस साल पहले के मुक़ाबले काफ़ी भिन्न हैं और आजअंकारा और डामास्कस के बीच कोई आधिकारिक संबंध नहीं है।

इस प्रकाररूस ने सूत्रधार के रूप में नमूदार हुआ है। यह संपूर्ण उत्तर-पूर्वी सीरियाई-तुर्की सीमा (युफ़ारेट्स नदी से इराक़ी सीमा तककी सुरक्षा का बोझ काफ़ी जटिल तरीक़ों से संयुक्त रूप से रूस द्वारा स्वतंत्र रूप से तुर्की के साथ-साथ सीरिया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है।

एमओयू के मुताबिक़ कुर्दिश लड़ाकों के पास 23 अक्टूबर को दोपहर से शुरू होने वाले 150 घंटे का वक़्त होगा ताकि वे पूरी पूर्वोत्तर सीमा से 30 किलोमीटर पीछे हट जाए। रूसी और सीरियाई दोनों की सेनाएँ इसका अनुपालन सुनिश्चित करेंगे। जब 29 अक्टूबर को समय सीमा समाप्त हो जाएगीतो संयुक्त रूसी-तुर्की सेना सीमा के 10 किलोमीटर के भीतर अपनी संयुक्त गश्त करेंगे।

रूस ने इस बात पर सहमति जता दी है कि तुर्की 120 किलोमीटर चौड़ी और 30 किलोमीटर गहरी तलबी अयाद और रास अल-अयान के सीरियाई सीमावर्ती शहरों की पट्टी के नियंत्रण को पूरी तरह से बरक़रार रखेगाजिसे उसने अपने सैनिक ऑपरेशन पीस स्प्रिंग के नाम से अक्टूबर को क़ब्ज़ाया था।

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एक समझ जो सोची शहर में बनी है कि तुर्की अब अपने सैनिक ऑपरेशन पीस स्प्रिंग को आगे नहीं बढ़ाएगा। इसका अर्थ यह है कि सिद्धांत रूप मेंपूर्वोत्तर सीरिया के विशाल पथजिसे अमेरिकी सेना ने ख़ाली किया हैऔर तुर्की-सीरियाई सीमा पूर्व की तरफ़ रास अल-अयन से इराक़ी सीमा तक का इलाक़ा सीरियाई नियंत्रण में आ सकता है और वहाँ रूसी सेना की सहायता से सीरियाई बलों द्वारा संयुक्त रूप से गश्त की जा सकती है। लेकिनएक चेतावनी को यहाँ जोड़ लेना चाहिए कि अमेरिकी इरादे अभी भी अस्पष्ट हैं।

स्पष्ट कहा जाए तो सीरिया ने तुर्की से सीमा के बड़े हिस्से पर नियंत्रण हासिल कर लिया हैजो कि एक अच्छी बात हैलेकिन इसका दूसरा पहलू भी है कि डामास्कस को 3600 वर्ग किलोमीटर के इलाक़े में युफ़ारेट्स और इराक़ के बीच में मौजूद है और तुर्की के नियंत्रण है के साथ रहना सीखना होगा (जो लेबनान के आकार के एक चौथाई हिस्से के बराबर हैजिसे पीस स्प्रिंग ऑपरेशन के तहत क़ब्ज़ाया गया था साथ ही सीरियाई क्षेत्रों के बड़े इलाक़े को जो युफ़ारेट्स के पश्चिमी सीरियाई क्षेत्रों के बड़े इलाकों से लेकर ज़राबुल के सीमावर्ती शहर तक और जो इदलिब प्रांत के पास भूमध्यसागरीय तट के पास स्थित है, जिसे तुर्की ने हाल के वर्षों में अपने पहले और दूसरे ऑपरेशन में कब्जा लिया थाजिसे उसने क्रमशः युफ़ारेट्स शील्ड और ओलिव ब्रांच का नाम दिया था इसे आज भी अपने नियंत्रण में रखे हुए है।

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संक्षेप मेंसीरियाई सीमा क्षेत्रों का दो-तिहाई हिस्सा (जो पश्चिम में इदलिब से लेकर पूर्व में अलरास अल-ऐन तक फैला हुआ हैवर्तमान में तुर्की के नियंत्रण में हैं।

इसमें कोई संदेह नहीं है की सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के लिए निगलने के लिए यह एक कड़वी गोली हैजिन्होंने मंगलवार को तुर्की के आक्रमण के ख़िलाफ़ किसी भी "लोकप्रिय प्रतिरोधका समर्थन करने और "आक्रमणकारी को जल्द या बाद में देश से बाहर करनेकी घोषणा की है। ये बातें उन्हौने इदलिब के सैनिक मोर्चे के दौरे के वक़्त कही कि (जब पुतिन सोची में एर्दोगन की आगवानी कर रहे थे), "एर्दोगन एक चोर है। उसने कारख़ानों और गेहूं और तेल की चोरी की है, और अब वह आईएसआईएस के साथ मिलकर हमारी ज़मीन चुरा रहा है।

असद पुतिन की अवमानना करने की स्थिति में नहीं हैंउन्होंने एर्दोगन के साथ वार्ता समाप्त होने के बाद पुतिन को फ़ोन कियाऔर मॉस्को ने दावा किया है कि दमिश्क एमओयू में शामिल है। लेकिन कहानी का अंत ये नहीं हो सकता है।

पुतिन की झपकी का कारण क्या हैइसकी एक प्रशंसनीय व्याख्या यह हो सकती है कि उन्होंने एर्दोगन को किसी भी तरह तुर्की सैन्य अभियान (पीस स्प्रिंगको बढ़ाने से रोकने के लिए और सीमा सुरक्षा को मुख्य मुद्दा मानते हुए अडाना समझौते को स्वीकार करना महत्वपूर्ण समझा।

आख़िरकारअगर एर्दोगन सीरिया की एकता और क्षेत्रीय अखंडता के समर्थन की पुष्टि करता रहता हैतो तुर्की सीरिया के बड़े इलाक़ों पर अनिश्चित काल तक क़ब्ज़ा नहीं कर सकता है। लेकिन यहाँ एक विवाद है, कि ऐतिहासिक रूप से सीरिया-तुर्की के बीच सीमा विवाद हैजहाँ दमिश्क ने इस बात का आरोप लगाया है कि तुर्की ने सीरिया के स्वतंत्रता संग्राम के बाद के वर्षों में सीरिया के फ़्रांसीसी जनादेश (1923) के ख़िलाफ़ युद्ध के बाद और ओटोमन साम्राज्य की से विश्व युद्ध प्रथम के बाद स्वतंत्रता हासिल करने के बाद क़ब्ज़ा किया जिसे आज तुर्की का हटए प्रांत कहा जाता है।

इस मामले में एक अन्य स्पष्टीकरण यह होगा कि रूस को उम्मीद है कि एक बार सीरियाई समझौता होने के बादतुर्की का क़ब्ज़ा बना रहना मुश्किल और अस्थिर हो जाएगा। लेकिन ख़तरा यह हैकि यहाँ तुर्की की अतार्किकता को कम करके आंका जा सकता है।

संभवतःमॉस्को यह गिन रहा होगा कि किस तरह से एर्दोगन ने पश्चिम में उसके पुलों को बुरी तरह से जला दिया हैजो उसे रूस की सद्भावना पर निर्भर कर देता है। औरवास्तव मेंअमेरिका के साथ तुर्की के मनमुटाव ने अवसर की एक नई खिड़की खोल दी है जिसका रूस दोहन करने में विफल नहीं होगा।

आश्चर्य की बात यह है कि पुतिन ने एर्दोगन की "सुरक्षित क्षेत्र" की अवधारणा को स्वीकार कर लिया है और सीरियाई शरणार्थियों को वापस लाने के संयुक्त प्रयास करने का संकल्प भी ले लिया है। रूस ने पहले सीरियाई क्षेत्र पर "सुरक्षित क्षेत्र" की धारणा को मना कर दिया था।

सबसे स्वीकार्य स्पष्टीकरण यह होगा कि पुतिन को समझ आया कि एर्दोगन ज़िद्दी हैं और वह सीरिया के उन क्षेत्रों को अपने पास रखना चाहते हैं जिन्हें उन्होंने वर्तमान और पिछले सैन्य अभियानों में क़ब्ज़ा लिया थाइसलिए एक समझ तक पहुंचने के लिए रास्ता खुला रखा है और तुर्की सेना पीस स्प्रिंग आगे नहीं बढ़ाएगी।

एर्दोगन की यह स्मार्ट सोच ही हैक्योंकि जिन क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा कर लिया गया हैउनका नियंत्रण पीस स्प्रिंग के दायरे का विस्तार नहीं करने के मूल्य के लिए काफ़ी हैजो वैसे भी अंतरराष्ट्रीय राय में तुर्की को बुरी तरह से अलग-थलग करता है।

इसलिए अनिवार्य रूप से सोची का समझौता यह है कि तुर्की सेना रूसी सीमा के साथ संयुक्त रूप से सीमा (सीरिया में 10 किमी गहरीके निकटतम इलाक़ों में गश्त करेगीऑपरेशन स्प्रिंग को तेल अबीद और रास के शहरों के बीच सीमित क्षेत्रों तक सीमित रखा जाएगा। अल-अयनसीरियाई क्षेत्र में 32 किमी गहरीऔर कोबानी से तेल अबीद तक और रास अल-अयन से इराकी सीमा तक के क्षेत्रों को रूसी सैन्य पुलिस द्वारा समर्थित सीरियाई बलों द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।

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बिना किसी संदेह के एर्दोगन यहां विजेता साबित हुआ हैं। उसने कुर्द लड़ाकों को सीमा से हटा दिया और उनके स्वदेश के सपने को सीरिया में ख़त्म कर दिया है। रूस ने इस संबंध में उसकी मदद करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। और इसी समयतुर्की विशेष रूप से सीरिया की उत्तरी सीमा के लगभग दो-तिहाई हिस्से को नियंत्रित करेगाजो किसी भी अंतिम सीरियाई निपटान की शर्तों को निर्धारित करने में एर्दोगन को एक कमांडिंग स्थिति में लाकर खड़ा कर देता है।

अंग्रेजी में लिखा मूल लेख आप नीचे लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं। 

Deconstructing Putin-Erdogan MOU on Syria; This is How it Looks

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