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गोरखपुर मेडिकल कॉलेज त्रासदी मामले में निलंबित दो वरिष्ठ डॉक्टर हुए बहाल

इसी मामले में निलंबित किए गए डॉ.कफील खान को बहाल नहीं किया गया है। वह मथुरा जेल में बंद हैं और उन पर एक अन्य मामले में रासुका के तहत कार्रवाई की गई है।
डॉ.सतीश कुमार (बाएं), डॉ.राजीव मिश्रा (दाएं)
डॉ.सतीश कुमार (बाएं), डॉ.राजीव मिश्रा (दाएं)

गोरखपुर : गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में 2017 में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी के कारण बड़ी संख्या में बच्चों की मौत के मामले में निलंबित किए गए कॉलेज प्राचार्य समेत दो वरिष्ठ डॉक्टरों को बहाल कर दिया गया है। हालांकि दोनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई जारी रहेगी। 

गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.गणेश कुमार ने शुक्रवार को 'भाषा' को बताया कि सरकार के आदेश के मुताबिक निलंबन के वक्त मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य रहे डॉ.राजीव मिश्रा और एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख रहे डॉ.सतीश कुमार को मेडिकल कॉलेज में फिर से तैनाती दे दी गई है। 

उन्होंने बताया कि डॉ.राजीव मिश्रा ने मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग में फैकल्टी के पद पर जबकि डॉ.सतीश कुमार ने एनेस्थीसिया विभाग में फैकल्टी के पद का कार्यभार संभाल लिया है। 

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हालांकि इसी मामले में निलंबित किए गए डॉ. कफील खान को बहाल नहीं किया गया है। वह मथुरा जेल में बंद हैं और उन पर एक अन्य मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की गई है। 

डॉ. राजीव मिश्रा और सतीश कुमार को 10-11 अगस्त 2017 को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में कथित रूप से लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने के कारण 30 से ज्यादा बच्चों की मौत के मामले में निलंबित कर गिरफ्तार कर लिया गया था। इस मामले में कुल नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। 

अभियुक्तों में मिश्रा की पत्नी डॉक्टर पूर्णिमा शुक्ला भी शामिल हैं। वह अगस्त 2019 में सेवानिवृत्त हो चुकी हैं और उच्चतम न्यायालय ने 27 जुलाई 2018 को उन्हें जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए थे। 

गोरखपुर न्यूज़लाइन के मुताबिक डॉ. पूर्णिमा शुक्ल को भी बहाल कर दिया गया है। डॉ. राजीव मिश्र और डॉ. सतीश कुमार ने बीआरडी मेडिकल कालेज में पांच मार्च को अपने-अपने विभाग में ज्वाइन कर लिया है।

बहाली के आदेश में कहा गया है कि बीआरडी मेडिकल कालेज में बच्चों की हुई आकस्मिक मृत्यु की घटना में प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने के उपरान्त 12 अगस्त 2017 के निलम्बन आदेश को समाप्त कर सेवा में बहाल किए जाने की स्वीकृति राज्यपाल द्वारा की गई है। आदेश में यह भी कहा गया है कि दोनों चिकित्सकों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही जारी रहेगी।

इनके अलावा अन्य आरोपियों फार्मासिस्ट गजानंद जायसवाल के निलम्बन के बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है। लिपिक  सुधीर कुमार पांडेय, संजय कुमार त्रिपाठी, उदय प्रताप शर्मा के खिलाफ अभी तक विभागीय जाँच ही शुरू नहीं हो पायी है।
इस मामले में सबसे ज़्यादा कष्ट डॉ. कफील ने ही झेला है। उनको जाँच अधिकारी ने आक्सीजन कांड से जुड़े दो आरोपों में बरी कर दिया लेकिन सरकार ने जाँच रिपोर्ट की अस्वीकार कर दिया और फिर से जाँच करने का आदेश दे दिया। इसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में सीएए के मुद्दे पर कथित भड़काऊ भाषण देने के आरोप में अदालत से ज़मानत मिलने के बावजूद उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून में बंद कर दिया गया। 

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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