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तीन राज्यों में उपचुनाव 31 मई को: उत्तराखंड में तय होगा मुख्यमंत्री धामी का भविष्य!

चुनाव आयोग ने तीन राज्यों की तीन सीटों पर विधानसभा चुनावों की तारीख घोषित कर दी है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण उत्तराखंड की चंपावत सीट को माना जा रहा है। क्योंकि यहां से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मैदान में हैं।
Dhami

बीते दिनों पांच बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं, जिसमें कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा था। जिनमें से एक पुष्कर सिंह धामी भी हैं, हालांकि उन्हें हार के बावजूद भाजपा हाईकमान ने मुख्यमंत्री का पद सौंपा।

अब मंत्री या मुख्यमंत्री बने रहने के लिए शपथ ग्रहण से 6 महीने के भीतर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य होना ज़रूरी होता है। उत्तराखंड में विधान परिषद है नहीं। ऐसे में यह विकल्प ख़त्म हो जाता है और मुख्यमंत्री धामी को सीधे चुनाव में जाना पड़ रहा है। धामी आने वाले उप चुनाव में चंपावत से उपचुनाव में भाग लेंगे।

आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने देश की तीन विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है। जिसमें से उत्तराखंड की चंपावत विधानसभा सीट पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। इसके अलावा ओडिशा की ब्रजराजनगर औऱ केरल की थ्रिक्काकारा विधानसभा सीट शामिल हैं। इन तीनों ही विधानसभा सीटों पर 31 मई को मतदान होगा, जबकि 3 जून को नतीजे घोषित किए जाएंगे।


तीनों ही विधानसभा सीटों पर नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया चार मई से शुरू हो चुकी है जबिक चंपावत विधानसभा सीट पर नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 17 मई है। वहीं थ्रीक्काकारा में नामांकन वापस लेने की प्रक्रिया 16 मई जबकि ब्रजराजनगर में नामांकन वापस लेने की प्रक्रिया 17 मई तय की गई है।

उत्तराखंड की चंपावत सीट

नामांकन— 4 मई से 11 मई तक
नामांकन वापस लेने की तिथि— 17 मई
मतदान— 31 मई
मतगणना— 3 जून

ओडिशा की ब्रजराजनगर विधानसभा सीट

नामांकन— 4 मई से 11 मई तक
नामांकन वापस लेने की तिथि— 17 मई
मतदान— 31 मई
मतगणना— 3 जून

केरल की थ्रीक्काकारा विधानसभा सीट

नामांकन— 4 मई से 11 मई
नामांकन वापस लेने की तिथि— 16 मई
मतदान— 31 मई
मतगणना— 3 जून

तीनों ही विधानसभा सीटों में सबसे महत्वपूर्ण उत्तराखंड की चंपावत विधानसभा है, क्योंकि यहां से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनावी मैदान में हैं। आपको बता दें कि विधानसभा चुनावों में भाजपा को बहुमत तो मिल गया था लेकिन पुष्कर सिंह धामी अपने विधानसभा क्षेत्र खटीमा से हार गए थे। इसके बावजूद तमाम समीकरणों पर विचार करने के बावजूद भाजपा आलाकमान ने उन्हें एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया।

मुख्यमंत्री बनने के बाद, संवैधानिक प्रावधानों के तहत धामी के लिए 6 महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना अनिवार्य है, इसलिए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही धामी ने ख़ुद के लिए विधानसभा सीट ढूंढनी शुरू कर दी थी।

धामी के दोबारा मुख्यमंत्री बनने से पहले कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने उनके लिए अपनी सीट छोड़ने का ऐलान कर दिया था। इसके बाद भाजपा के कई अन्य विधायकों के साथ एक निर्दलीय और कांग्रेस विधायक ने अपनी छीट छोड़ने का फैसला किया था लेकिन आखिर में धामी ने उपचुनाव लड़ने के लिए चंपावत सीट को ही चुना।

धामी द्वारा चंपावत सीट से उपचुनाव लड़ने का फैसला इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि चंपावत सीट जातिगत समीकरणों के आधार पर धामी के लिए बिल्कुल फिट बैठती है। पहाड़ी जिले की इस सीट पर करीब 54 फीसदी ठाकुर मतदाता हैं, मुख्यमंत्री धामी भी ठाकुर हैं, इस सीट पर 24 फीसदी ब्राह्मण हैं। ब्राह्मणों को परंपरागत रूप से बीजेपी का वोटर माना जाता है। चंपावत सीट पर 18 फीसदी दलित और चार फीसदी मुस्लिम वोटर भी हैं। इस तरह वोटों के गुणा-गणित को देखते हुए बीजेपी ने सीएम धामी को चंपावत से उपचुनाव लड़ाना मुफीद समझा।

इन सब के बावजूद चंपावत सीट जीत पाना धामी के लिए इतना आसान भी नहीं होगा, क्योंकि कांग्रेस ने धामी के सामने महिला और ब्राह्मण का संगम खड़ा कर दिया है। कांग्रेस ने इस बार निर्मला गहतोड़ी को अपना उम्मीदवार बनाया है। निर्मला गहतोड़ी कांग्रेस की पूर्व ज़िला अध्यक्ष और पूर्व राज्य मंत्री (राज्य महिला सशक्तिकरण उपाध्यक्ष) के पद पर रह चुकी हैं। यानी ये कहना ग़लत नहीं होगा कि चंपावत सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर होने जा रही है। इस सीट के बारे में बात करें तो हमेशा से ही यहां कांग्रेस-भाजपा आमने सामने रही हैं, जिसमें दो बार कांग्रेस तो तीन बार भाजपा ने जीत हासिल की है।

धामी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस का महिला प्रत्याशी पर दांव... दो मायने हो सकते हैं: पहला कि दो बार के विधायक रहे हिमेश खर्कवाल भाजपा से दो बार चुनाव हार चुके हैं, ऐसे में भाजपा को पटखनी देने के लिए कांग्रेस ने रणनीति बदली हो।

दूसरा ये कि चंपावत सीट पर हमेशा से ब्राह्मणों का कब्ज़ा रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ठाकुर हैं, ऐसे में कांग्रेस ने निर्मला गहतोड़ी एक ब्राह्मण चेहरा उतारा है।

लेकिन सवाल ये है कि क्या कांग्रेस की बदलती रणनीति को फायदा मिलेगा क्योंकि निर्मला की सीधी टक्कर मुख्यमंत्री से है। और चंपावत की जनता को इस बार विधायक का नहीं बल्कि सीधा मुख्यमंत्री का चुनाव करना है।

कांग्रेस ने भले ही महिला उम्मीदवार को चंपावत विधानसभा सीट से मैदान में उतार दिया हो लेकिन इससे पहले एक भी बार महिला को उम्मीदवार नहीं बनाया था, जबकि भाजपा पहले भी दो बार महिला उम्मीदवारों को इस सीट से चुनावी मैदान में उतार चुकी है। साल 2007 में भाजपा ने बीना महाराना को उम्मीदवार बनाया था। बीना ने इस सीट से जीत हासिल की, जिसके बाद उन्हें तत्कालीन खंडूरी सरकार में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री भी बनाया गया। इसके बाद साल 2012 में भी भाजपा ने एक महिला को इस सीट से टिकट दिया हालांकि इस बार कांग्रेस के हिमेश खर्कवाल ने यहां से जीत हासिल की।

ख़ैर... पुष्कर सिंह धामी के लिए जहां मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए चंपावत जीतना ज़रूरी है, तो उनकी और भाजपा की साख भी दांव पर है। यहां उनकी जीत का मार्जिन भी लोग देखेंगे। देखेंगे कि एक मुख्यमंत्री कितने वोटों से जीतता है। वहीं दूसरी ओर अगर कांग्रेस की निर्मला जीतने में कामयाब हो जाती हैं तो इसे बड़ा उलटफेर कहा जाएगा और आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के लिए बड़े और सकारात्मक संकेत होंगे।

उत्तराखंड के अलावा देश में केरल की थ्रिक्काकारा विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं, यहां 31 मई को मतदान होगा और 3 जून को नतीजे आएंगे। पिछले दिनों कांग्रेस ने एर्णाकुलम की थ्रिक्काकारा विधानसभा सीट पर पार्टी के दिवंगत नेता पीटी थॉमस की पत्नी उमा थॉमस को संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) का उम्मीदवार घोषित किया है।

आपको बता दें कि थ्रिक्काकारा सीट पर उपचुनाव की ज़रूरत पीटी थ़ॉमस का निधन हो जाने के बाद पड़ी थी। कांग्रेस ने चुनाव में 56 साल की उमा थॉमस को दिवंगत पति की लोकप्रियता और उनसे जुड़ी लोगों की भावनाओं के आधार पर चुनावी मैदान में उतारा है।

उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद उमा ने पत्रकारों से बात करते हुआ कहा था कि-- जैसे थ्रिक्काकारा के लोगों ने उनके पति को समर्थन दिया था वैसे ही उन्हें भी वोट मिलेंगे। वहीं एलडीएफ द्वारा सीटें बढ़ाकर 100 किए जाने के जवाब में उन्होंने कहा कि ''क्या होगा अगर हम उन्हें 99 पर रोक दें''

इसके अलावा ओडिशा के झारसुगुड़ा ज़िले की ब्रजराजनगर विधानसभा सीट पर भी 31 मई को ही चुनाव होना है, ये सीट बीजेडी के विधायक किशोर कुमार मोहांती की अचानक मृत्यु के बाद खाली हुई है। अब यहां बीजेडी, भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलेगी। ब्रजराजनगर विधानसभा क्षेत्र में कुल 2 लाख 14 हजार 745 मतदाता है। इन मतदाताओं के लिए 279 बूथ बनाए जाएंगे। अति बुजुर्ग एवं दिव्‍यांग मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलट से मत देने की व्यवस्था की गई है। कोविड नियम का अनुपालन कर मतदान प्रक्रिया संपन्न की जाएगी। वहीं नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। पहले दिन सीपीआई से रमेश त्रिपाठी ने नामांकन पत्र खरीदा है।

ख़़ैर... तीन विधानसभा सीटों पर चुनाव बेहद दिलचस्प होंगे, खासकर उत्तराखंड की चंपावत सीट पर.. क्योंकि यहां से खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनावी मैदान में हैं।

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