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यूपी डायल 112: आंदोलनकारी महिलाओं को राजनीतिक दलों का समर्थन, धरना स्थल पर मनाएंगी दीपावली

गत सोमवार को “रोज़गार सुरक्षा” और “वेतन-वृद्धि” आदि की मांग को लेकर शुरू हुआ महिला कर्मियों का ये आंदोलन पुलिस दमन के बावजूद व्यापक होता नज़र आ रहा है।  
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राजधानी लखनऊ में यूपी डायल 112 में काम करने वाली महिला कर्मियों का धरना लगातार  छठे दिन भी जारी है। कल रात बारिश के बीच भी प्रदर्शनकारी महिलाओं ने मोर्चा नहीं छोड़ा, और “बाथरूम” में “अस्थायी आश्रय” लेकर अपना आंदोलन जारी रखा है। “रोज़गार सुरक्षा” और “वेतन-वृद्धि” आदि की मांग कर रही सैकड़ों महिलाओं ने इस धरना स्थल पर ही दीपावली मनाने का निर्णय लिया है।

दरअसल यूपी डायल 112 का “मैन पावर” (कार्यबल) उपलब्ध कराने का अनुबंधन टेक महिंद्रा के साथ था जो 3 नवंबर को ख़त्म हो गया। अब नया टेंडर “वी विन” कंपनी को मिला है। नई कंपनी के हाथ काम आने के बाद से महिला कर्मियों में अपनी “जॉब” की सुरक्षा को लेकर चिंता है।  

गत सोमवार को “रोज़गार सुरक्षा” और “वेतन-वृद्धि” आदि की मांग को लेकर शुरू हुआ महिला कर्मियों का ये आंदोलन, पुलिस दमन के बावजूद, व्यापक होता नज़र आ रहा है।  सरकार द्वारा दबाव बनाने के लिए 5 आंदोलनकारी महिला कर्मियों पर नामज़द और 150-200 अज्ञात कर्मियों पर 8 नवंबर को मुक़दमा भी दर्ज किया गया। लेकिन महिला कर्मियों के आंदोलन को विपक्षी पार्टियों समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस आदि के अलावा जनवादी संगठनों का समर्थन मिल रहा है। 

आज शनिवार तड़के क़रीब 4 बजे बारिश शुरू होने पर खुले आसमान के नीचे बैठी प्रदर्शनकारी महिलाओं को बाथरूम की शरण लेनी पड़ी, लेकिन इसके बावजूद भी उनका धरना जारी है। इससे पहले शुक्रवार शाम धरना स्थल पर ही इन कर्मियों ने रंगोली बनाई और दीये जलाकर धनतेरस का पर्व मनाया।

प्रदर्शनकारी महिलाओं ने नाम न लिखने की शर्त पर बात करते हुए कहा कि पिछले 5 वर्षों से उनके वेतन में कोई वृद्धि नहीं की गई थी। बीते 5 साल से इन महिला कर्मियों को केवल 12,000 रुपये महीना सैलरी मिलती रही है। इन कर्मियों ने कहा, “हम लोगों को उम्मीद थी कि नया अनुबंधन होने के बाद हमारी वेतन वृद्धि होगी।” “लेकिन नई कंपनी, “वी विन” ने अभी तक महिला-कर्मियों को कोई अनुबंधन पत्र (कॉन्ट्रैक्ट या ऑफर लेटर) नहीं दिया है। हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है कि हम लोग यूपी डायल 112 के कर्मचारी हैं।”

महिला कर्मियों ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि उनको त्योहारों या राष्ट्रीय अवकाश वाले दिन पर भी छुट्टी नहीं मिलती है। अक्सर सप्ताहिक अवकाश “वीक ऑफ” भी कैंसिल कर दिया जाता है। दिवाली के मौक़े पर कोई “बोनस” आदि नहीं मिलता। इसके अलावा प्रदर्शनकारी महिलाओं का आरोप है कि उनके द्वारा ऑफर लेटर की मांग करने पर उन्हें नौकरी से निकालने और नए लोगों की भर्ती करने की धमकी दी जाती है। शिफ्ट के घंटों से अधिक काम लिया जाता है।

आंदोलन कर रही महिलओं ने अपनी मांग के बारे में बताते हुए कहा कि उनका वेतन 12 हज़ार से बढाकर 18 हज़ार किया जाये और ऑफ़र लेटर आदि समय से दिया जाये। इसके अलावा प्रदर्शन कर रही महिलओं को सरकार द्वारा निशाना नहीं बनाया जाये। महिलाओं की मांग है कि उनको एक साप्ताहिक अवकाश के अतरिक्त हर महीने 2 और छुट्टियां मिलें।  लखनऊ के इको गार्डन में धरने पर बैठी यूपी डायल 112 में काम करने वाली महिला-कर्मियों का कहना है वह अपनी मांगों के लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलना चाहती हैं। इनमें एक प्रमुख मांग यह है कि उनकी नौकरी को कम से कम 12 साल के लिए सुरक्षित किया जाये।  

उलेखनीय है कि यूपी डायल 112 की महिला-कर्मियों के आंदोलन के दौरान, पहले दिन के प्रदर्शन के बाद उनके खिलाफ सुशांत गोल्फ सिटी थाने में गंभीर धाराओं में मुक़दमा भी दर्ज हुआ है। प्रदर्शकारी महिलाओं पर बलवा, रास्ता रोकना, इमरजेंसी सेवा बाधित करने और सरकारी निर्देशों का उल्लंघन करने जैसी धाराओं में मुकदमा हुआ है। जिसमें 5 प्रदर्शकारी महिलाएं हर्षिता कश्यप, पूजा सिंह, रीना शर्मा, मंजू सोनी और शशि आदि नामज़द हैं।

जब मुक़दमे के बारे में महिला-कर्मियों से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि सिर्फ प्रदर्शनकारियों पर मुकदमा नहीं बल्कि एक मुकदमा तो मौक़े पर पुलिस पर भी होना चाहिए और एसपी को भी सस्पेंड कर देना चाहिए। पुलिस पर आरोप लगते हुए महिला-कर्मियों ने कहा जब वह डायल 112 मुख्यालय के बहार सड़क पर बैठी थीं तो पुलिस उनको खींच-खींचकर, उठाकर वैन में डाल रही थी। इस दौरान कई को प्रदर्शनकारियों को चोट लगी थी। प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया की एक दरोगा ने धमकी देते हुए कहा, मुकदमा लिख जाएगा, सबका भविष्य ख़राब हो जायेगा।

 

उधर यूपी डायल 112 में काम करने वाली महिला-कर्मियों की मांगें राजनितिक मुद्दा बनती जा रही है। सपा और कांग्रेस दोनों महिला-कर्मियों के समर्थन में हैं और सरकार पर हमलावर हैं। सपा नेत्री पूजा शुक्ल ने मुख्यमंत्री आवास चौराहे पर, डायल 112 महिला-कर्मियों को लेकर एक होल्डिंग लगाया था।

होल्डिंग के माध्यम से सरकार पर तंज किया गया कि प्रदर्शन के दौरान महिला-कर्मी रो रही थीं जबकि बीजेपी सरकार इन दिनों “नारी शक्ति वंदन” की बात कर रही है। इसके अलावा सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आंदोलन कर रही महिला कर्मियों के समर्थन में पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं को इको गार्डेन में धरना स्थल पर भेजा था।  

प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी सपा ने आंदोलनकारी महिलओं की मांगों का समर्थन करते हुए बीजेपी सरकार द्वारा डायल 112 महिला कर्मचारियों के साथ किये गए दुर्व्यवहार की निंदा की है। अपने बयान में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि यूपी डायल 112 की महिला कर्मी अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण धरना दे रही थीं। उनके धरने को कुचलने के लिए बीजेपी सरकार ने संवेदन शून्यता की सारी हदें पार कर दी।

अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल की बात करते हुए कहा कि सपा सरकार (2012-17) में पुलिस तंत्र को मजबूत करने के लिए बनाये गए डायल 100 सिस्टम को बीजेपी सरकार ने बर्बाद कर दिया है। इस सरकार ने पुलिस व्यवस्था को ठीक करने के बजाय पहले नाम बदला, बात निष्क्रिय किया, अब वह वहां कार्यरत महिला-कर्मियों को नौकरी से निकालने का षड्यंत्र कर रही है। उन्होंने कहा कि समाजवादी सरकार ने डायल 100 और 1090 सेवा बनाकर हजारों महिलाओं को नौकरी और रोज़गार दिया था और वह समाज की सेवा कर रही थी, लेकिन आज भाजपा की सरकार उन्हें बेरोज़गार कर रही है।

उनके साथ बीजेपी सरकार के रूख को शर्मनाक, निन्दनीय और असहनीय बताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि क्या बीजेपी के “नारी वंदन” का यही असली रूप है? उन्होंने कहा, यह भाजपा का “नारी वंदन नहीं, नारी बंधन” है। बीजेपी महिलाओं को प्रत्येक स्तर पर धोखा दे रही है। सपा प्रमुख ने कहा कि “महिलाओं को आरक्षण देने का झूठा सपना दिखाने वाले अब उनकी नौकरी छीन रहे हैं।”

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने मंगलवार शाम प्रदर्शन कर रही महिला-कर्मियों से मुलाक़ात की और कहा की एक तरफ सरकार “बेटी पढाओ और बेटी बचाओ” का नारा देती है और दूसरी तरफ पढ़ी-लिखी बेटियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। अजय राय ने मुख्यमंत्री योगी को लिखे एक पत्र में मांग की है कि नौकरी की सुरक्षा हेतु नियमावली बनाते हुए प्रदर्शनकारी महिलाओं की नौकरी न्यूनतम 15 वर्षों तक सुरक्षित की जाए।

इसके अलावा कांग्रेस ने महिला-कर्मियों को न्यूनतम 18 हजार रुपये का मासिक वेतन दिए जाने की बात कही है। कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि अन्य सरकारी कार्मियों के समान डायल 112 में काम करने वाली महिला-कर्मियों को भी स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जाएं।

इस विरोध प्रदर्शन के बीच राज्य सरकार ने अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) यूपी-112, अशोक कुमार सिंह को हटा दिया है। माना जा रहा है सरकार, आंदोल नियंत्रण नहीं होने के कारण उनसे नराज़ थी। अब 1992 बैच की आईपीएस अधिकारी नीरा रावत को यूपी-112 का नया एडीजी बनाया गया है।  

उधर सामाजिक संगठनों ने भी आंदोनकारी महिला-कर्मियों को समर्थन देना शुरू कर दिया है।  अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) के एक प्रतिनिधि मंडल ने 10 नवंबर को  डायल 112 की आंदोलकारी महिला कर्मियों से मुलाक़ात की है। एडवा नेता मधु गर्ग और वंदना राय ने संयुक्त बयान में कहा, यह महिअलाएं स्वयं पुलिस का ही एक हिस्सा हैं, किंतु उनके साथ पुलिस ने बदसलूकी कर उनका भरोसा तोड़ दिया है।

मधु गर्ग ने कहा कि आंदोलनकारी महिलाओं ने उनको बताया कि, उनके घरों पर पुलिस के फोन जा रहे हैं, और उनके घर वालों को धमकाया जा रहा है। अभी पुलिस बार बार यह दबाव बना रही है कि वे रात में सुरक्षा कारणों से धरनास्थल पर न रहें। किंतु आंदोलन कर रही महिलाओं का कहना है कि वे यहां से नहीं हटेंगी और “दीवाली” भी यहीं मनायेंगी ।

एडवा नेता ने कहा की इस महिलाओं के बाहर रहने से डायल 112 की सेवाएं भी बहुत प्रभावित हुई हैं। उनके द्वारा अंदोलनकारी महिलाओं को एक समर्थन पत्र भी दिया जिसमें डायल 112 की प्रशंसा में लिखा कि “इस टीम ने हमेशा पीड़ितों की आवाज सुनी और मदद की किंतु आज वे स्वयं मदद की गुहार लगा रही हैं।”

उधर सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) के महसचिव संदीप पाण्डेय ने कहा है की योगी सरकार ने क्या ईको गार्डन (धरना स्थल) को एक खुले जेल में परिवर्तित कर दिया है। जहां उत्तर प्रदेश पुलिस की डायल 112 सेवा में कार्य करने वाली महिला संविदाकर्मियों को सरकार ने 5 दिन बंधक बना लिया है। संदीप पाण्डेय ने कहा कि जेल ही की तरह प्रदर्शनकारियों को रिश्तेदारों से बाहर मिलवाया जा रहा है। किसी को अंदर जाने की इजाज़त नहीं है। युवा शक्ति संगठन के संयोजक गौरव सिंह ने मांग की है कि अपनी मांगों को लेकर किए गए प्रदर्शन के दौरान महिलओं पर दर्ज सभी मुकदमे वापस लिए जाएं।

इसके साथ ही अपनी मांगों को लेकर धरना कर रही डायल-112 की महिला कर्मियों पर भी स्पेशल डीजी प्रशांत कुमार ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह लोग कॉन्ट्रैक्चुअल वर्कर हैं और उनकी नई कंपनी के बीच वार्ता चल रही है। जल्द ही इसका समाधान हो जाएगा। इसी दौरान आपातकालीन सेवा यूपी 112 के दूसरे फेज को लॉन्च किया गया है। स्पेशल डीजी का दावा है कि यह व्यवस्था पिछली व्यवस्था से  बहुत ही अधिक और ज्यादा अलर्ट व्यवस्था है।

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