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दिल्ली: SKU और बुराड़ी अस्पताल कर्मियों ने यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ किया प्रदर्शन

“आईसीसी मिनट्स का सार्वजनिक किया जाना पीड़िताओं की पहचान और उनकी गवाही को सभी के सामने लाता है और यह कार्रवाई का खुलेआम उल्लंघन है।”
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राजधानी दिल्ली में स्थित बुराड़ी के एक सरकारी अस्पताल के कर्मचारियों ने बुधवार 27 दिसंबर को यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया। यौन उत्पीड़न की हालिया घटना के ख़िलाफ़ ये विरोध प्रदर्शन सफाई कामगार यूनियन (SKU) ने बुराड़ी अस्पताल के सफाई कर्मचारियों के साथ मिलकर किया। इस दौरान यौन उत्पीड़न का एक प्रतीकात्मक पुतला भी जलाया गया।

दरअसल दिसंबर के पहले हफ्ते में बुराड़ी अस्पताल में सफाई और हाउसकीपिंग सेवाएं देने वाली कॉन्ट्रैक्ट कंपनी, ग्लोबल वेंचर्स, के सुपरवाइज़र और मैनेजर पर गंभीर आरोप लगे कि उन्होंने महिला सफाई कर्मचारियों का यौन उत्पीड़न करने की कोशिश की थी और उन्होंने महिला सफाई कामगारों को नौकरी से निकाल देने की धमकी भी दी थी। यौन उत्पीड़न और धमकियों की शिकायत को लेकर पीड़िताओं ने मेडिकल डायरेक्टर, डॉ. आशीष गोयल और मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, डॉ. स्वर्ण सिंह से संपर्क किया, लेकिन पीड़िताओं का कहना है कि आरोपितों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई। पीड़िताओं का आरोप है कि बीते 19 दिसंबर को जब उन्होंने ने एक बार फिर मेडिकल डायरेक्टर से बात करने की कोशिश की, तो आरोपितों ने तीन सफाई कर्मचारियों की मदद से उनके साथ मारपीट की। इसके बाद पीड़िताओं ने पुलिस को बुलाया और धारा 323/354/506/509/34 के तहत ठेका कंपनी ग्लोबल वेंचर्स के तीन सुपरवाइजर और एक प्रबंधक के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की।

इस मामले पर एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) को लेकर दिल्ली स्वास्थ्य मंत्री, सौरभ भारद्वाज द्वारा मुख्य सचिव कार्यालय को पत्र भेजा गया था। इसे आम आदमी पार्टी के ट्विटर हैंडल से भी शेयर किया गया था। बाद में, मुख्य सचिव ने आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के मिनट्स के साथ एक्शन टेकन रिपोर्ट को मीडिया से साझा किया। गौरतलब है कि एटीआर में लिखा है कि दिल्ली पुलिस द्वारा दोषी पाए जाने पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

सफाई कामगार यूनियन (SKU) ने अपने बयान में कहा, "यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यौन उत्पीड़न का खुलासा करने वाली शिकायतों में पीड़िताओं के बयान को सच माना जाता है। अभियुक्त के दोषी न होने को साबित करने का दायित्व अभियुक्त पर होता है। पीड़िता का बयान तब तक सच माना जाता है जब तक कि उसे सबूत के साथ नकार न दिया जाए। आईसीसी मिनट्स को मीडिया के साथ साझा करने से जांच प्रभावित होती है और आरोपियों को खुद को बचाने का मौका मिलता है। आईसीसी मिनट्स का सार्वजनिक किया जाना पीड़िताओं की पहचान और उनकी गवाही को सभी के सामने लाता है और यह कार्रवाई का खुलेआम उल्लंघन करता है।"

बुराड़ी अस्पताल में पहले भी इस तरह की घटना हो चुकी है। जून महीने में भी इस तरह की एक घटना सामने आई थी। इस मामले में आरोप लगा कि आरोपितों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज होने के बावजूद, उन्हें नवंबर में नई ठेका कंपनी, ग्लोबल वेंचर्स, के तहत एक बार फिर अस्पताल में काम पर लाया गया। पीड़िता को अंततः अपनी नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। यूनियन का आरोप है कि "मेडिकल डायरेक्टर, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट और डायरेक्टर ऑफ नर्सिंग स्टाफ को पिछली घटना की पूरी जानकारी होने के बावजूद आरोपी व्यक्तियों को अस्पताल में फिर से काम करने की अनुमति दी गयी। पिछली घटना की तरह इस बार भी पीड़िताओं को अपनी शिकायत वापस लेने या अपना बयान बदलने के लिए कंपनी की ओर से लगातार धमकियों और दबाव का सामना करना पड़ रहा है।"

यौन उत्पीड़न की इस घटना से पहले बुराड़ी अस्पताल में कोई आंतरिक शिकायत समिति नहीं थी। इस घटना के तूल पकड़ने के बाद एक आईसीसी (आंतरिक शिकायत समिति) गठित की गई। आरोप है कि इस समिति में महिला सफाई कामगारों के प्रतिनिधि नहीं हैं।

यूनियन का कहना है कि "उन्हें कानूनी रूप से अनिवार्य न्यूनतम वेतन, ईएसआई, ईपीएफ, बोनस आदि भी नहीं मिल रहा है। इसे कई बार मौखिक और लिखित रूप से अस्पताल प्रशासन के संज्ञान में लाया गया है, लेकिन प्रशासन का रवैया उदासीन रहा है। सफाई कर्मचारियों को दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित अनिवार्य न्यूनतम वेतन नहीं मिलता है। हर महीने कर्मचारियों के वेतन से 4,000 रुपये की कटौती की जाती है।"

यूनियन ने कहा कि "अस्पताल प्रशासन की इस मनमानी और ठेका कंपनी से मिलीभगत के ख़िलाफ़ SKU के नेतृत्व में सफाई कर्मचारी प्रदर्शन भी कर चुके हैं, लेकिन प्रशासन का रवैया उदासीन रहा है। दरअसल, ठेका कंपनी खुलेआम मज़दूरों को धमकी दे रही है कि अगर वे विरोध प्रदर्शन करते हैं तो उनकी जगह दूसरे मज़दूरों को ले आया जाएगा। साथ ही, कई बार उन्हें हाजिरी देने से भी मना कर दिया जाता रहा है। ठेका कंपनी ने अस्पताल प्रशासन गठजोड़ कर लगातार हो रहे इस शोषण के संबंध में शिकायत करने पर कर्मियों को नौकरी से निकालने की धमकी भी दी है। यह भयावह स्थिति प्रधान नियोक्ता के तौर पर दिल्ली सरकार के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य बनाती है कि उसके तहत संस्थानों द्वारा आदर्श नियोक्ता का उदाहरण प्रस्तुत किया जाए और कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन और अन्य सभी वैधानिक प्रावधान सुनिश्चित किए जाएँ।"

SKU ने सफाई कर्मचारी चिकित्सा निदेशक, चिकित्सा अधीक्षक और नर्सिंग स्टाफ के निदेशक को तत्काल निलंबित करने की मांग के साथ-साथ, महिला सफाई कर्मियों के यौन उत्पीड़न में कथित तौर पर शामिल तीन सफाई कर्मियों के नाम एफआईआर में शामिल करने व सभी आरोपितों की तुरंत गिरफ्तारी की भी मांग की। साथ ही, SKU की ओर से ठेका कंपनी का ठेका तुरंत रद्द करने व सभी सफाई कर्मचारियों को उनका बकाया वेतन सुनिश्चित करने की भी मांग की गई।

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