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यूपी: स्कूली बच्चों की किताब ‘कबाड़’ में बेचने की ख़बर दिखाने वाले पत्रकार पर FIR

शिक्षा विभाग के एक अधिकारी, जिनसे पत्रकार ने इस मामले पर प्रतिक्रिया मांगी थी, ने दावा किया कि उन्हें भेजा गया कथित वीडियो सरकार और विभाग की छवि को 'ख़राब' करने का एक प्रयास था।
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लखनऊ: सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों को मुफ्त वितरण के लिए दी जाने वाली किताबों के बंडलों को कबाड़ में बेचे जाने का वीडियो भेजकर कथित तौर पर सरकार और शिक्षा विभाग की छवि खराब करने के आरोप में एक पत्रकार के ख़िलाफ़ लखीमपुर पुलिस ने प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की है। पत्रकार ने कहा कि उन्होंने यह वीडियो उस घटना पर आधिकारिक प्रतिक्रिया पाने के लिए भेजा था, जिसे उन्होंने खुद देखा था।

ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (बीईओ) नागेंद्र चौधरी ने पलिया पुलिस स्टेशन में पत्रकार के ख़िलाफ़ FIR दर्ज की, जिसमें दावा किया गया था कि पत्रकार वीडियो बनाकर और इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित करके, सरकार की छवि खराब करने का प्रयास कर रहा था।

न्यूज़क्लिक द्वारा हासिल FIR की कॉपी में लिखा है कि, "पलिया बाज़ार का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कुछ अव्यवस्थित बोरियों/सामानों के बीच एक ट्रक में किताबों का एक बंडल दिखाया जा रहा है। वायरल वीडियो में, सरकार द्वारा भेजी गई बुकलेट हैं जो निःशुल्क वितरण के लिए हैं और उन्हें किसी कबाड़ी की दुकान से खरीदा हुआ बताया जा रहा है। उपरोक्त घटना से बेसिक शिक्षा विभाग के साथ-साथ प्रशासन की छवि पर भी गलत असर पड़ रहा है।"

पत्रकार के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत मामला दर्ज़ किया गया है। 

हिंदी दैनिक अमृत विचार के साथ काम करने वाले व इस वीडियो को रिकॉर्ड करने वाले पत्रकार शिशिर शुक्ला ने न्यूज़क्लिक को बताया कि "सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार नहीं चाहती थी कि किसी भी नकारात्मक रिपोर्ट को कवर किया जाए।"

शुक्ला ने कहा, "हर दिन की तरह, मैं एक स्टोरी के लिए ग्राउंड पर था। दुधवा नेशनल पार्क रोड के पास, मैंने कबाड़ी की दुकानों पर पाठ्यपुस्तकों के कई बंडल देखे। मैंने खुद किताबों की जांच की कि क्या यह वर्तमान सत्र की हैं या पुरानी हैं, लेकिन मैं यह देखकर हैरान रह गया कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकारी प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को वितरित की जाने वाली सभी किताबें कबाड़ में बेची जा रही हैं। मैंने दुकान के मालिक से पूछा कि उसे सारी किताबें कहां से मिलीं हैं तो उसने कहा कि कबाड़ के डीलर से।”

पत्रकार ने कहा कि फिर उन्होंने स्टोरी को बैलेंस करने के लिए वीडियो को बीईओ (ब्लॉक शिक्षा अधिकारी) के पास उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए भेजा, लेकिन उनके सवाल का जवाब देने के बजाय, बीईओ ने पलिया पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।

शुक्ला ने कहा कि, "मैं 15 साल से अधिक समय से रिपोर्टिंग कर रहा हूं लेकिन ऐसी गंभीर स्थिति कभी नहीं हुई कि किसी पत्रकार के ख़िलाफ़ अपना काम करने के लिए कार्रवाई की जा रही हो।"

संपर्क करने पर बीईओ, चौधरी, जिन्होंने FIR में पत्रकार के कॉन्टेक्ट नंबर का उल्लेख करते हुए उसके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की थी, ने न्यूज़क्लिक को बताया कि, "जिसने भी वीडियो रिकॉर्ड किया है उसे दंडित किया जाना चाहिए क्योंकि यह सरकार और शिक्षा विभाग की छवि को धूमिल करने का एक प्रयास था। मैंने FIR में पत्रकार का नाम नहीं लिखा है।"

जब उनसे FIR में दर्ज कॉन्टेक्ट नंबर के बारे में पूछा गया, जो उसी पत्रकार (शुक्ला) का है, जिन्होंने अपनी टिप्पणी के लिए उन्हें वीडियो भेजा था, तो चौधरी ने कहा, "यह जांच का विषय है। मैं वहां जांच करने गया था लेकिन वहां किताबें नहीं थीं।" 

इस बीच, पत्रकारों के एक समूह ने लखीमपुर, पलिया, निघासन, शाहजहांपुर और बरेली में विरोध प्रदर्शन किया और 'विच-हंट' के ख़िलाफ़ एसडीएम को एक ज्ञापन सौंपा।

किताबों के बिना छात्र

पिछले चार महीनों से, राज्य सरकार द्वारा संचालित प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय के छात्र, बिना स्कूल की वर्दी और किताबों के कक्षाओं में जा रहे हैं।

सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के लिए नया शैक्षणिक सत्र 1 अप्रैल से शुरू होने के बावजूद, राज्य भर के कई सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र अभी भी अपनी किताबों के आने का इंतज़ार कर रहे हैं। नई किताबों के अभाव में शिक्षक कुछ पुरानी किताबों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो पिछले साल के छात्रों ने दी थीं, लेकिन उनमें से ज़्यादातर फटी हुई हैं। परिणामस्वरूप, शिक्षकों के पास किताबों के नए सेट हासिल होने तक नोट्स लिखवाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, जैसा कि न्यूज़क्लिक ने पहले भी रिपोर्ट किया था।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

UP: Scribe Faces FIR for Highlighting School Textbooks Meant for Poor Kids Being Sold as Scrap

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