यूपी : “ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट” छवि सुधारने का इवेंट मैनेजमेंट!

उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए राजधानी लखनऊ में 'ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट' का आयोजन किया गया। तीन दिन तक चलने वाले इस समिट से बड़े आर्थिक निवेश की उम्मीद है। योगी आदित्यनाथ सरकार का दावा है कि इस निवेश से 9.25 मिलियन नई नौकरियों का सृजन होगा। जबकि विपक्ष का कहना है कि इससे पहले 2018 में हुए समिट के कुल निवेश का लगभग 9 प्रतिशत ही वाणिज्यिक संचालन हो पाया है।
समिट के लिए न सिर्फ़ राजधानी लखनऊ का सौंदर्यीकरण किया गया है बल्कि सड़कों पर चारों तरफ़, हर चौराहे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों वाले होर्डिंग लगे हैं। जबकि विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार “ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट” के बहाने प्रदेश की जनता की करोड़ों की गाढ़ी कमाई बड़े-बड़े इवेंट मैनेजमेंट में पानी की तरह बहा रही हैं।
इतना ही नहीं सभी मुख्य समाचार-पत्रों के मुख्य दो पृष्ठों को समिट के विज्ञापनों से रंगा गया। हालांकि दिलचस्प बात यह थी कि पहले पृष्ठ के विज्ञापन से मुख्यमंत्री योगी की तस्वीरें ग़ायब थीं। विज्ञापन के पहले पृष्ठ पर केवल प्रधानमंत्री नज़र आ रहे हैं । राजनीति के जानकार मानते हैं कि सरकारी विज्ञापन के माध्यम से साफ़ संदेश दिया गया है कि भारतीय जनता पार्टी का कोई भी कद्दावर नेता हो उसका कद मोदी के बराबर नहीं है।
वहीं समिट के बहाने लखनऊ में प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष को ख़ूब निशाना बनाया। इसके जवाब में विपक्ष के नेता अखिलेश यादव ने योगी सरकार को टारगेट करते हुए कहा कि इस समिट के बहाने जनता को धोखा दिया जा रहा है।
ज़मीन पर कुछ भी नहीं हुआ : अखिलेश यादव
प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि इन्वेस्टर्स अच्छे माहौल से नहीं बल्कि 'इंसेंटिव' मिलने से आकर्षित होते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि जो उद्योग लगाने यहां आ रहे हैं, आख़िर उन्हें मिलेगा क्या? अखिलेश ने आगे कहा, “जब तक हम ज़मीन, पानी, बिजली नहीं देंगें, टैक्स में कोई सहूलियत नहीं देंगें, कोई क्यों उत्तर प्रदेश में इंवेस्ट करेगा?”
उन्होंने आरोप लगाया कि योगी सरकार ऐसी कंपनियों से एमओयू (समझौते) साइन कर रही है, जो एक ही कमरे में चल रही हैं। अखिलेश ने कहा कि पिछले शिखर सम्मेलन के दौरान भी 5 लाख करोड़ रुपये के एमओयू साइन करने का दावा किया गया था, लेकिन ज़मीन पर कुछ भी नहीं हुआ। उन्होंने व्यंग करते हुए कहा भाजपा सरकार "सूट-टाई" में किसी के भी साथ एमओयू कर रही है, क्योंकि इसके लिए पैसे की ज़रुरत नहीं है।
बीजेपी सरकारें रोज़गार उपलब्ध कराने में असफल : कांग्रेस
उधर कॉंग्रेस ने भी इन्वेस्टर्स समिट पर सवाल उठाये हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी ने कहा कि, “प्रदेश के आर्थिक विकास, बढ़ती महंगाई, और बेरोज़गारी को लेकर अपनी अकर्मण्यता और नाकामी को छुपाने के लिए योगी सरकार “ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट” के बहाने प्रदेश की जनता की करोड़ो की गाढ़ी कमाई बड़े-बड़े "इवेंट मैनेजमेंट" में पानी की तरह बहा रही हैं।”
आगे वे कहते हैं, “भाजपा धरातल पर काम करने के बजाए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया में हैडिंग मैनेजमेंट, भारी-भरकम विज्ञापन और र्होडिंग्स के माध्यम से देशवासियों को गुमराह कर रही है। जबकि असलियत यह है कि प्रदेश सरकार बड़ी-बड़ी इवेंट कंपनियों के माध्यम से, करोड़ों खर्च करके, बड़े-बड़े खोखले दावे करते हुए, आकर्षक आयोजनों, विज्ञापनों से अपनी छवि सुधारना चाहती है।”
खाबरी ने कहा कि, “केंद्र की मोदी सरकार अपना दूसरा कार्यकाल ख़त्म करने जा रही हैं, और भाजपा की योगी सरकार भी अपने दूसरे कार्यकाल में युवाओं को रोज़गार का अवसर उपलब्ध कराने में पूरी तरह से असफल रही है। मुख्यमंत्री योगी आज पुन: “ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट“ के माध्यम से प्रदेश के युवाओं को सब्जबाग दिखा रहें हैं। 21 लाख करोड़ रूपये (पहले दिन का दावा) का आर्थिक निवेश लाने का भारी-भरकम दावा करने वाली योगी सरकार ने, अपने पहले कार्यकाल में भी लखनऊ में इसी प्रकार का भव्य “इन्वेस्टर्स समिट“ आयोजित किया था।
घोषित निवेश का केवल 9 प्रतिशत वाणिज्यिक संचालन
खाबरी कहते हैं, “उस इन्वेस्टर्स समिट के उद्घाटन के समय भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेशवासियों को बड़े-बड़े सपने दिखाए थे। 1045 कंपनियों के साथ लगभग चार लाख 28 हज़ार करोड़ रूपये का एमओयू साइन हुआ था। दो ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में मात्र 371 एमओयू वाली कंपनियां भूमि पूजन के लिए आईं जिसमें से मात्र 106 कंपनियों का ही वाणिज्यिक संचालन हो पाया है जो कुल घोषित निवेश का लगभग 9 प्रतिशत है। सरकारी तथ्यों एवं आकड़ों के मुताबिक इवेंट में सैकड़ों करोड़ रूपये खर्च हुए और इंवेस्टमेंट शून्य रहा है।”
आगे वे कहते हैं, “आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से सरकार अपनी छवि बनाकर देश की जनता को एक बार पुनः गुमराह करना चाहती है।”
भाजपा शासनकाल में रोज़गार की समस्या पर बात करते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, “नौकरी मांगने वालों पर लाठियां बरसाई जाती हैं। देश के नौजवानों को हर वर्ष दो करोड़ नौकरियां देने का वादा करके सत्ता पर काबिज़ हुई भाजपा की केंद्र सरकार और प्रदेश की योगी सरकार आज गलत जीएसटी और नोटबंदी जैसी अपनी जनविरोधी आर्थिक नीतियों के कारण महंगाई-बेरोज़गारी जैसी समस्या से निपटने में पूरी तरह विफल साबित हो चुकी है।”
रोज़गार सृजन का आंकड़ा प्रदेश की जनता के सामने रखना चाहिए : आप
आम आदमी पार्टी (आप) प्रदेश प्रभारी, सांसद संजय सिंह ने प्रदेश की योगी सरकार पर उत्तर प्रदेश की जनता का पैसा लूटने का गंभीर आरोप लगाते हुए सवाल किया है कि, “सरकार ने उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले और दूसरे संस्करणों में कितने एमओयू साइन किए, कितने का निवेश आया और उस निवेश से कितना रोज़गार सृजन हुआ? इसका आंकड़ा प्रदेश की जनता के सामने रखना चाहिए।”
उन्होंनें कहा कि आयोजन के पहले लाखों करोड़ों रूपये खर्च किए जाते हैं और अधिकारियों और मंत्रियों की विदेश यात्रा में बड़ी-बड़ी कंपनियों को भारत में बुलाने और एमओयू साइन करने के नाम पर पैसा खर्च होता है। उनके अनुसार यह भी एक प्रकार का घोटाला है कि सरकारी खज़ाने का पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है और इंवेस्टमेंट के नाम पर मामला शून्य है।
संजय सिंह ने कहा, “केलिफोर्निया सेन फ्रांसिस्को में प्रदेश के मंत्री-अधिकारी जाते हैं और 'ऑस्टिन विश्वविद्यालय' के साथ एमओयू साइन करते हैं। लखनऊ में क़रीब 5000 एकड़ ज़मीन में 35000 करोड़ की 'नॉलेज सिटी' बनाने का एमओयू होता है। जब उस ऑस्टिन विश्वविद्यालय की हकीकत सामने आई तो पता चला कि वह अमेरिका में ब्लैक लिस्टेड विश्वविद्यालय है। उस विश्वविद्यालय में मात्र 25 लोगों का स्टाफ है, जितना यहां किसी रेस्टोरेंट में होगा और उससे 35000 करोड़ का एमओयू साइन हो गया।”
समिट में विपक्ष पर हमला
प्रधनामंत्री मोदी ने समिट के मंच का उपयोग योग 2017 से पहले की ग़ैर बीजेपी सरकारों को निशाना बनाने के लिए भी किया। नरेंद्र मोदी ने प्रदेश में हुए बदलाव की बात करते हुए कहा कि 2017 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद ही बिजली से लेकर कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर, हर क्षेत्र में विकास हो रहा है। यह बदलाव सिर्फ 06 साल में हुआ है। उन्होंने कहा कि एक समय था जब उत्तर प्रदेश 'बीमारू' राज्य कहलाता था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सब लोग उत्तर प्रदेश से अपनी उम्मीदें छोड़ चुके थे, लेकिन बीते 5-6 वर्षों में यूपी ने अपनी नई पहचान स्थापित कर ली है। अब यूपी अपनी गुड गवर्नेंस के लिए पहचाना जा रहा है। यूपी अब देश के विकास का ग्रोथ इंजन बन रहा है।
इन्वेस्टर्स समिट में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी ग़ैर बीजेपी सरकारों को निशाना बनाया और कहा कि एक समय था जब सरकार उत्तर प्रदेश की इन्वेस्टर्स समिट भी दिल्ली में करने जाती थी। निवेशक लखनऊ आना ही नहीं चाहते थे।
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