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हाथरस की ‘निर्भया’ के इंसाफ़ के लिए जगह-जगह प्रदर्शन, फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में चलेगा मुकदमा

दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में पीड़िता के दम तोड़ने के बाद देश के कई इलाकों में ज़ोरदार प्रदर्शन जारी है, कई जगह प्रदर्शकारियों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया है। सड़क से सोशल मीडिया तक लोगों ने यूपी में महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराध और दलित ‘गैंगरेप’ पीड़िता के न्याय के लिए आवाज़ उठाई है।
हाथरस

“क्या कारण है कि उत्तर प्रदेश की मां-बेटी सलामत नहीं हैं।…अगर हिम्मत हो, नेक इरादे हों तो आप उत्तर प्रदेश में अच्छी कानून व्यवस्था कर सकते हैं।”

ये ‘भाषण’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है, जो हाथरस की कथित गैंगरेप पीड़िता की मौत के बाद सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। अगर आप सोच रहे हैं कि पीएम मोदी ने ये भाषण इस हृदयविदारक घटना के बाद दिया है तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। 2017 में बाजेपी के यूपी की सत्ता में काबिज़ होने के बाद प्रधानमंत्री ऐसे मामलों में ज्यादातर चुप्पी ही साधे रहते हैं।

इस भाषण को लोग 2017 के यूपी चुनावी के पहले का भाषण बताकर शेयर कर रहे हैं, जिसमें पीएम मोदी यूपी में महिला सुरक्षा की बदहाली पर बात करते हुए उस वक्त की समाजवादी पार्टी सरकार को निशाने पर ले रहे थे। हालांकि अब खुद उनकी सरकार महिला सुरक्षा के मुद्दे पर विफल साबित होती नज़र आ रही है।

हाथरस में पहले दलित युवती के साथ बर्बरतापूर्क दुष्कर्म और फिर परिजनों की गैरमौजूदगी में रात के अंधेरे में पीड़िता का अतिंम संस्कार पुलिस प्रशासन के साथ-साथ सत्ता पर भी कई सवाल खड़े कर रहा है। जिस पर शायद ही प्रधानमंत्री का कोई भाषण आए।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 14 सितंबर को गैंगरेप का शिकार बनी 19 वर्षीय एक दलित लड़की ने मंगलवार, 29 सितंबर को दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। आरोप है कि देर रात पीड़िता के शव को गांव लेकर पहुंची पुलिस ने भारी विरोध के बीच आनन-फानन में रात को ही पीड़िता के परिवार की सहमति के बिना ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया। 

इस पूरे मामले में जिस तरह से कार्रवाई हुई उसे लेकर योगी सरकार के ‘रामराज’ और यूपी पुलिस की चौतरफा आलोचना हो रही है। पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए समाजिक संगठनों द्वारा बुधवार, 30 सितंबर को नेशनल प्रोटेस्ट डे घोषित किया गया है। देशभर में तमाम प्रगतिशील, महिलावादी संगठन विरोध प्रदर्शन और जुलूस मार्च निकाल रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

जानकारी के मुताबिक मंगलवार देर रात करीब एक बजे (बुधवार) पुलिस युवती का शव लेकर हाथरस जनपद के बुलगाड़ी गांव पहुंची। पीड़िता का शव गांव पहुंचा तो ग्रामीण रातों-रात अंतिम संस्कार के लिए राजी नहीं थे, लेकिन पुलिस ने भारी विरोध के बावजूद परिजनों की गैर मौजूदगी में पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया। ग्रामीणों के भारी आक्रोश को देखते हुए इलाके में बड़े पैमाने पर पुलिसबल की तैनाती भी की गई थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस दौरान एसडीएम पर परिजनों के साथ बदसलूकी करने का आरोप लगा, घरवालों को घर के अंदर पुलिस की भारी बैरिकेटिंग के बीच बंद कर दिया गया। इसके बाद पुलिस और ग्रामीणों में झड़प हो गई। लेकिन पुलिस ने किसी की नहीं सुनी।

दरअसल, परिजन रात में शव का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहते थे, जबकि पुलिस तुरंत अंतिम संस्कार कराना चाहती थी। इसके करीब रात 2:40 बजे बिना किसी रीति-रिवाज के और परिजनों की गैर-मौजूदगी में पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

परिजनों का क्या आरोप है?

हिंदुस्तान की खबर के मुताबिक गैंगरेप पीड़िता के चाचा ने बताया कि पुलिस दबाव बना रही थी कि शव का अंतिम संस्कार कर दें। जबकि बेटी के मां-बाप और भाई कोई भी यहां मौजूद नहीं थे। रात में अंतिम संस्कार न करने और परिवार का इंतजार करने की बात कहने पर पुलिस ने कहा कि अगर नहीं करोगे तो हम खुद कर देंगे।

लड़की के भाई ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “हम लोगों ने पुलिस से बहुत कहा कि शव हमें दें। हम उसका सुबह दाह संस्कार करेंगे लेकिन पुलिस ने हमारी नहीं सुनी। हम लोगों से जबरन सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवाए और आधी रात को शव जला दिया। हम लोगों को पुलिस पर विश्वास नहीं है। हम लोगों की जान को भी खतरा है।”

पुलिस पर धमकी और धक्कामुक्की का आरोप

पीड़िता के भाई ने आरोप लगाया कि जब उन लोगों ने बेटी का संस्कार करने से इनकार कर दिया तो पुलिस गुस्से में आ गई। पुलिस ने उन लोगों को धमकी दी। आरोप है कि उनके घरवालों के साथ धक्का-मुक्की भी की गई। कुछ लोगों को घर में बंद कर दिया गया तो कुछ डरकर अपने घरों में बंद हो गए।

पुलिस का क्या कहना है?

हाथरस के ज़िलाधिकारी प्रवीण कुमार ने कहा कि परिवार की सहमति के बिना पीड़िता का अंतिम संस्कार किए जाने के आरोप झूठ हैं।

उन्होंने कहा, "पीड़िता के पिता और भाई ने रात में उसका अंतिम संस्कार करने के लिए सहमति दी थी। अंतिम संस्कार के दौरान पीड़िता के परिजन भी मौजूद थे। शव को ले जाने वाली गाड़ी गाँव में रात 12:45 से 2:30 बजे तक मौजूद थी।"

वहीं हाथरस के एसपी विक्रांत वीर ने मीडिया से बताया कि इस मामले में चारों अभियुक्तों को गिरफ़्तार करके जेल भेजा जा चुका है। हम अदालत से फ़ास्ट ट्रैक सुनवाई की मांग करेंगे। पीड़िता के परिवार को गाँव में सुरक्षा भी दी गई है।

हालांकि पुलिस ने पीड़िता की रीढ़ की हड्डी टूटने, जीभ कटने की बात से 29 सितंबर को इंकार कर दिया था। पुलिस के अनुसार मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम ने अभी गैंगरेप को लेकर स्पष्ट राय नहीं दी है, फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतज़ार किया जा रहा है। हालांकि चारों गिरफ़्तार अभियुक्तों पर गैंगरेप की धारा ही लगाई गई है।

एसपी विक्रांत वीर ने कहा कि न तो हाथरस के, न ही अलीगढ़ के डॉक्टर ने इस बात की पुष्टि की है कि मृतका के साथ सेक्सुअल असॉल्ट हुआ है। इस पूरे मामले की जांच डॉक्टरों और फॉरेंसिक टीम से कराई जाएगी। एसपी ने यह भी कहा है कि प्राइवेट पार्ट में चोट लगने की बात भी गलत है।

एसपी का कहना है कि जीभ काटने की बात सरासर झूठी है। उन्होंने कहा कि पीड़िता के बयान रिकॉर्ड किए हैं। कई जगह इस तरह की बातें भी रिपोर्ट की जा रही हैं कि पीड़िता की रीढ़ की हड्डी टूटी है। ये बात भी पूरी तरह से गलत है। पीड़िता को गला घोंटकर मारा गया है, इसकी वजह से उसके गले पर चोट के निशान आए हैं। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि मामला इतना बिगड़ गया।

सरकार क्या कर रही है?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की जाँच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जाँच दल (एसआईटी) गठन किया। साथ ही उन्होंने इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर अपराधियों को कड़ी से कड़ी सज़ा देने की बात भी कही है।

बुधवार, 30 सितंबर को उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट के मुताबिक एसआईटी एक हफ़्ते के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। मुख्यमंत्री ने इस मामले में दोषियों के ख़िलाफ़ फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाने और प्रभावी पैरवी करने के निर्देश दिए हैं।

विपक्ष क्या कह रहा है?

रात के अंधेरे में बिना परिजनों की सहमति के पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार करने के मामले पर सभी विपक्षी दलों ने एक सुर में योगी सरकार पर निशाना साधते हुए इस घटना को निंदनीय कहा है।

इस मामले को लेकर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने योगी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने पुलिस द्वारा जबरन किए गए अंतिम संस्कार को घोर अमानवीयता बताया है। इसके साथ ही प्रियंका ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफे की मांग भी की है।

प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, “वो मुझे अभी बता ही रहे थे कि वो बस अपनी बच्ची के लिए इंसाफ चाहते हैं। पिछली रात उनसे उनकी बेटी को आखिरी बार घर ले जाने और उसका अंतिम संस्कार करने का हक भी छीन लिया गया। पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा करने के बजाय आपकी सरकार, यहां तक की उसकी मौत के बाद भी उसके हर मानवाधिकार को छीनने में लगी रही। आपके पास मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।”

प्रियंका गांधी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि “रात को 2.30 बजे परिजन गिड़गिड़ाते रहे लेकिन हाथरस की पीड़िता के शरीर को उप्र प्रशासन ने जबरन जला दिया। जब वह जीवित थी तब सरकार ने उसे सुरक्षा नहीं दी। जब उस पर हमला हुआ सरकार ने समय पर इलाज नहीं दिया। पीड़िता की मृत्यु के बाद सरकार ने परिजनों से बेटी के अंतिम संस्कार का अधिकार छीना और मृतका को सम्मान तक नहीं दिया। घोर अमानवीयता। आपने अपराध रोका नहीं बल्कि अपराधियों की तरह व्यवहार किया। अत्याचार रोका नहीं, एक मासूम बच्ची और उसके परिवार पर दुगना अत्याचार किया।”

सपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस मामले को लेकर योगी सरकार पर हमला बोला है। अखिलेश ने कहा कि हाथरस की बेटी का जबरन दाह संस्‍कार सबूत मिटाने की कोशिश है। ऐसा करके भाजपा सरकार ने पाप भी किया है और अपराध भी।

अपने आधिकारिक हैंडल पर सपा प्रमुख ने लिखा, “हाथरस की बेटी बलात्कार-हत्याकांड’ में शासन के दबाव में, परिवार की अनुमति बिना, रात्रि में पुलिस द्वारा अंतिम संस्कार करवाना, संस्कारों के विरुद्ध है। ये सबूतों को मिटाने का घोर निंदनीय कृत्य है। भाजपा सरकार ने ऐसा करके पाप भी किया है और अपराध भी।”

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कड़ी निंदा करते हुए कहा कि पीड़िता का रात को अंतिम संस्कार कर देना लोगों में काफी संदेह व आक्रोश पैदा करता है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा कि हाथरस पीड़िता का पहले कुछ दरिंदों ने बलात्कार किया और इसके बाद पूरी प्रणाली ने उसका बलात्कार किया।

केजरीवाल ने ट्वीट किया, “हाथरस की पीड़िता का पहले कुछ दरिंदों ने बलात्कार किया और कल पूरी प्रणाली ने बलात्कार किया। पूरा प्रकरण बेहद पीड़ादायी है.’

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-एम) ने भी इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए पीड़ित परिवार के साथ संवेदना व्यक्त की।

सीपीआई-एम ने ट्वीट कर कहा, “हम पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हैं। ये भयावह घटना भाजपा शासित यूपी में कानून-व्यवस्था की स्थिति को दर्शाती है। अपराधी घृणा का आनंद लेते हैं, पीड़ित हाशिए पर पड़े हैं। जबकि सीएम आदित्यनाथ आलोचकों पर हमला करने में व्यस्त हैं।”

नागरिक समाज और महिलावादी संगठनों का विरोध

उत्तर प्रदेश में जंगल राज खत्म करने, हथरस पीड़िता को न्याय दिलाने और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई को लेकर देशभर में नागरिक समाज, दलित और महिलावादी संगठनों ने बुधवार, 30 सितंबर को प्रदर्शन किया। इस दौरान दिल्ली के यूपी भवन और अलग- अलग इलाकों से पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया है।

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिशएन (ऐपवा) का इस मामले को लेकर लगातार प्रदर्शन जारी है। पीड़िता की मौत के बाद यूपी- बिहार के कई इलाकों में ऐपवा के सदस्यों ने धरना दिया और कैंडल मार्च निकाला।

ऐपवा की कार्यकारी परिषद् ने एक अधिकारिक बयान जारी कर राज्य और केंद्र सरकार से पीड़िता के लिए न्याय के साथ दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

ऐपवा के अनुसार, “यूपी में हाल के महीनों में महिलाओं के खिलाफ अपराध, बच्चों और दलित महिलाओं पर यौन हमले के बढ़े हैं। जिसका कारण राज्य में मनुवादी ताकतों का बढ़ता वर्चस्व है। खुद सीएम योगी आदित्यनाथ इस विचारधारा को सार्वजनिक तौर से बढ़ावा देते हैं। 2009 में अपने एक कुख्यात लेख में, उन्होंने मनुस्मृति को विधानसभा और संसद में महिलाओं के आरक्षण के खिलाफ आधार बनाकर ये कोट किया था कि महिलाओं को हमेशा पुरुषों के नियंत्रण में रखा जाना चाहिए।”

ऐपवा ने यूपी सरकार के ‘दुराचारी योजना’ पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि ये योजना दलित, ओबीसी और मुस्लिम पुरुषों को अपमानित और कलंकित करने का एक बहाना होगी जो ऊंची जातियों की महिलाओं के साथ संबंध रखते हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने से दूर, यह योजना वास्तव में महिलाओं की स्वायत्तता और साथी चुनने के अधिकार के खिलाफ अपराध होगी।  

छात्र संगठन आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन. साईं बालाजी इस प्रदर्शन को न्याय के लिए आंदोलन बताते हुए कहते हैं, “योगी राज में कोई सुरक्षित नहीं है, दलितों और महिलाओं पर लगातार अत्याचार बढ़ रहे हैं। बीजेपी की योगी सरकार ‘बेहतर कानून व्यवस्था’ नहीं सुनिश्चित कर रही, बल्कि रही- सही लॉ एंड आर्डर की व्यवस्था को भी खत्म कर देने पर तुली हुई है।”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफ़े की मांग करते हुए एन साईं बालाजी ने न्यूज़क्लिक से कहा, “यूपी में ‘रामराज’ नहीं, ‘जंगलराज’ चल रहा है। इस मामले में पीड़िता के परिवार के साथ जो हुआ, जिस तरह प्रशासन ने बैरिकेटिंग कर उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया, परिवार वालों को मदद करने के बजाय प्रताड़ित किया गया। वो अपने आप में दलितों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर कई सवाल खड़े करता है।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू  के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी लखनऊ में कैंडिल लाइट जुलूस निकाला। कांग्रेस मुख्यालय से निकाले गए इस जुलूस को पुलिस ने बलपूर्वक रोक दिया है। जिसके बाद कार्यकर्ता वहीं सड़क पर धरना देकर बैठ गए।

उत्तर प्रदेश के कई शहरों में विरोध प्रदर्शनों की खबरें आ रही हैं।

इलाहाबाद, प्रतापगढ़, बुलंदशहर,अमेठी, रायबरेली, फैजाबाद, हाथरस, सादाबाद समेत कई जिलों में विरोध प्रदर्शन और कैंडिल लाइट जुलूस निकाले जा रहे हैं।

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