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यूपी पुलिस भर्ती: परीक्षा के इंतज़ार में ओवर ऐज हो रहे युवा!

2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के वक़्त बड़ी संख्या में कॉन्सटेबल और फायरमैन के पदों पर भर्ती के लिए ऐलान किया गया था लेकिन किसी न किसी कारण से ये भर्ती लटकी हुई है।
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प्रतीकात्मक तस्वीर। PTI

चाहे प्रदेश की सरकार हो या केंद्र की, भाजपा को चुनावी खेल में महारत हासिल है। भाजपा की कमान में हमेशा एक ऐसा तीर होता है, जो ठीक चुनावों से पहले छोड़ दिया जाता है। जैसे उदाहरण मौजूदा वक्त का ही ले लीजिए...पहले तीन बड़े राज्यों के चुनाव, फिर अगले साल देश के लोकसभा चुनाव होने वाले हैं, और उससे ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में ‘महिला आरक्षण’ बिल पास हो गया जिससे सरकार बड़ा 'लक्ष्य' साधने की कोशिश करेगी।

भले ही लोग इससे प्रभावित हों, लेकिन लोगों को समझना ये होगा कि ये अमल में आएगा पांच साल के बाद, यानी 2029 में। हालांकि इस बात पर भी कोई पुख्ता मुहर नहीं है। यहां आपको ये भी बता दें कि महिला आरक्षण के लिए सरकार जिस जनगणना की बात कर रही है, वो 2011 में कराई जा चुकी है, यानी सरकार के पास आंकड़े हैं। कहने का अर्थ ये है कि अगर सरकार चाहे, तो महिलाओं को तुरंत आरक्षण दिया जा सकता है।

ठीक इसी तरह है उत्तर प्रदेश की योगी सरकार, जो न सिर्फ़ राज्य की कानून व्यवस्था का बख़ान करती है, बल्कि चुनाव आने पर इसका बखूबी इस्तेमाल भी करती है। कैसे?

दरअसल साल 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हुए, उस दौरान भाजपा समेत सभी दल इस बात से वाकिफ थे कि प्रदेश में पुलिस भर्ती की प्रतीक्षा करने वाले नौजवानों की संख्या काफी ज़्यादा है, जिनकी उम्र वोट देने वाली हो गई है, इसके अलावा अन्य युवा वर्ग भी है, जो युवाओं के लिए काम को पसंद करता है। इसी के चलते भाजपा यानी योगी सरकार की ओर से 8 जनवरी 2022 को कॉन्सटेबल के 26210 और फायरमैन के 172 पदों की भर्ती का ऐलान कर दिया गया।

लेकिन अगले ही हफ्ते आचार संहिता लग गई, चुनाव हुए, भाजपा पूर्ण बहुमत से जीतकर सरकार में आ गई। फिर पूरा साल निकल गया लेकिन भर्ती का कोई अता-पता नहीं चला। अब भाजपा सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि उसने युवाओं के वोट लेकर उन्हें नज़रंदाज़ कर दिया है।

अगले ही साल 6 जनवरी 2023 को यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि "यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड, लखनऊ की ओर से कॉन्स्टेबल जीडी व फायरमैन के 35,700 पदों पर भर्ती का नोटिफिकेशन जल्द होगा जारी।"

इस ट्वीट को आप देख सकते हैं...

ग़ौर करिए, कि बस नंबरो का हेरफेर है, बाकि सुरेश खन्ना ने उन्हीं पदों का ज़िक्र किया है, जिसका ज़िक्र सरकार ने 2022 में चुनाव से पहले किया था।

इस बार युवाओं में फिर से आस जग गई और वो तैयारी में जुट गए, महंगी-महंगी कोचिंग में पढ़ना शुरू कर दिया। लेकिन सुरेश खन्ना के ट्वीट में इस्तेमाल शब्द ‘जल्द’ शब्द की कोई निश्चित तारीख न आने को लेकर छात्र नाराज़ हैं।

जनवरी के बाद 5 महीने बीते और आ गया जून, योगी सरकार ने फिर से भर्तियों का ऐलान कर दिया, इस बार बोले कि 62 हज़ार से ज़्यादा पदों पर भर्ती होगी। इसमें 52699 पद कॉन्सटेबल के लिए, 2469 पद सब-इन्सपेक्टर के लिए निकाले जाएंगे। साथ ही 2430 पद पर रेडियो संवर्ग, लिपिक के लिए 545 पद, कम्प्यूटर ऑपरेटर के लिए 927 पदों पर भर्ती होगी। इस बार तो बकायदा तारीख़ बताई गई, कि 15 जुलाई तक नॉटिफिकेशन जारी कर दी जाएगी।

छात्रों का आरोप है कि ये भी सरकारी जुमला ही निकला...क्योंकि हमारे और आपके कैलेंडर में 15 जुलाई छोड़िए, 15 अगस्त और 15 सितंबर भी निकल चुका है। ग़ौर करने वाली बात है कि जब-जब सरकार ने पुलिस की भर्तियां घोषित की हैं, तब आस-पास कोई-न-कोई चुनाव ज़रूर रहा होगा।

आपको बता दें कि इस सरकार ने आख़िरी बार पुलिस में भर्ती का रास्ता 2018 में खोला था, तब 41520 पदों पर भर्तियां की गई थीं। उसके बाद से पुलिस भर्ती के सिर्फ़ ऐलान ही हो रहे हैं।

अब यहां समझने वाली बात ये है कि सरकार को, इन एलानों के बाद सत्ता तो मिल जाती है लेकिन युवाओं का सपना पूरी तरह से टूट जाता है, क्योंकि वो ओवर ऐज हो जाते हैं। दरअसल यूपी पुलिस भर्ती में जो उम्र सीमा है उसके मुताबिक जनरल वर्ग का वही पुरुष अभ्यर्थी अप्लाई कर सकता है जिसकी उम्र 18 से 23 साल के बीच है। ऐसे में जो अभ्यर्थी 2018 में 18 साल के हुए थे वह अब 23 साल के हो गए। उन्हें इस बात का अफसोस है कि तैयारी के बावजूद बिना किसी भर्ती में शामिल हुए ओवर ऐज हो गए। ऐसे तमाम छात्रों ने सीएम योगी को चिट्ठी लिखकर उनसे उम्र सीमा बढ़ाने की मांग की है।

भर्तियां लटकने का जो कारण बताया रहा है... वो यह है कि सरकार को परीक्षा करवाने वाली कोई एजेंसी नहीं मिली। इसके बाद विभाग ने ईओआई यानी एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट के लिए कंपनियों को आमंत्रित किया। कंपनियों को 19 अगस्त से 25 अगस्त के बीच तक आवेदन भेजने की बात कही। आवेदन पत्र में विभाग ने लिखा, "इस परीक्षा में 20 से 25 लाख अभ्यर्थी शामिल हो सकते हैं।” 25 अगस्त बीता लेकिन किसी भी कंपनी ने परीक्षा करवाने की ज़िम्मेदारी नहीं ली।

विभाग ने 5 सितंबर को फिर से कंपनियों से आवेदन करने की अपील की। इस बार 20 दिन का वक्त दिया, यानी 25 सितंबर तक कंपनियों को ईओआई भेजना था। सरकार ने अपने विज्ञापन में इस बार 12 से 15 लाख युवाओं के भर्ती में शामिल होने की बात लिखी। मग़र इसके बाद भी पेंच फंसा ही हुआ है।

अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 41,811 पद सिविल पुलिस, 8540 पद पीएसी कांस्टेबल, 1007 पर फायरमैन और 1341 यूपी एसएसएफ में कॉन्स्टेबल के पद खाली हैं जिसका कोई इंतज़ाम फिलहाल सरकार के पास दिखाई नहीं दे रहा है।

यहां एक बात ध्यान रखने वाली हैं, कि लोकसभा चुनाव आने वाले हैं, और उत्तर प्रदेश में 80 सीटें हैं, जिनमें से ज़्यादातर पर भाजपा का ही क़ब्ज़ा है। लेकिन घोषी उपचुनाव हारने के बाद भाजपा अलर्ट हो गई है। ऐसे में ये बड़ी बात नहीं होगी कि दीपावली के बाद योगी सरकार एक बार फिर भर्तियों की घोषणा कर दे। मग़र चिंता की एक बात ये भी है कि नया साल लगते ही, चुनाव का काउंटडाउन शुरु हो जाएगा, और कभी भी आचार संहिता लग जाएगी। ऐसे में चुनाव से पहले भर्ती कराने का आश्वासन कैसे पूरा करेगी सरकार?

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