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यूपी: प्रयागराज हत्या और बलात्कार कांड ने प्रदेश में दलितों-महिलाओं की सुरक्षा पर फिर उठाए सवाल!

इस घटना के बाद एक बार विपक्ष खस्ता कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर हमलावर है, तो वहीं सरकार इस मामले में फिलहाल चुप्पी साधे हुए है। हालांकि राज्य में एक के बाद एक घटित हो रही ऐसी घटनाएं सरकार के 'न्यूनतम अपराध' और 'बेहतर कानून व्यवस्था' के दावों को चुनौती जरूर दे रही हैं।
 Prayagraj murder and rape case

प्रयागराज के जिस गोहरी हत्याकांड ने लोगों के दिल और दिमाग शून्य कर दिए हैं, अब उसी हत्याकांड से एक और दिल दहलाने वाली खबर सामने आ रही है। पुलिस और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक चार लोगों की हत्या से पहले हत्यारों ने मां और नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म किया और फिर गला रेतकर उनकी हत्या कर दी। दोनों के शरीर से मिले वेजाइनल स्वाब को पुलिस ने जांच के लिए सुरक्षित रख लिया है। जिसके बाद पुलिस ने कुछ नामजद अभियुक्तों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है लेकिन अभी तक किसी की भी गिरफ़्तारी होने की पुष्टि नहीं हुई है।

इस घटना के बाद एक बार विपक्ष खस्ता कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर हमलावर है, तो वहीं सरकार इस मामले में फिलहाल चुप्पी साधे हुए है। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में एक के बाद एक घटित हो रही ऐसी घटनाएं सरकार के 'न्यूनतम अपराध' और 'बेहतर कानून व्यवस्था' के दावों को चुनौती जरूर दे रही हैं।

बता दें कि 24 नवंबर, बुधवार की रात प्रयागराज में एक दलित परिवार के चार लोगों की कुल्हाड़ी मार कर हत्या कर दी गई। घटना के समय परिवार के मुखिया जिनकी उम्र 50 साल थी, साथ में उनकी 45 वर्षीय पत्नी, 16 साल की बेटी और 10 साल के बेटे घर में सो रहे थे। सुबह घर का दरवाज़ा न खुलने पर गांव के लोगों ने पुलिस को जानकारी दी, जिसके बाद घर में चारों के ख़ून से लथपथ शव मिले। साथ ही घर से एक कुल्हाड़ी भी बरामद हुई है।

इसे पढ़ें: जंगलराज: प्रयागराज के गोहरी गांव में दलित परिवार के चार लोगों की नृशंस हत्या

पुलिस पर मिलीभगत का गंभीर आरोप

इस मामले में मृतक परिवार के परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मृतक की भाभी ने पुलिस की अभियुक्तों के साथ मिलीभगत का आरोप लगते हुए मौक़े पर मौजूद मीडिया को परिवार के साथ कुछ दिन पहले हुई मारपीट की घटनाओं की जानकारी दी।

उन्होंने कहा, "इन लोगों से हम लोगों की रंजिश रही है। मुक़दमा हुआ, एससी-एसटी का मामला बना, घर में घुसने का केस हुआ, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। हम लोगों की कोई सुनवाई नहीं हुई। 21 सितम्बर को गेट तोड़ कर घर में घुस कर हम लोगों को मारा गया। फिर भी तुरंत मुक़दमा नहीं बना। एक हफ़्ते बाद मुक़दमा बना और उसमे दोनों तरफ़ का मुक़दमा बनाया गया। पूरी लापरवाही पुलिस की है।"

मृतक की भाभी के अनुसार, "सिपाही सुशील कुमार बार-बार आते थे हमारे दरवाज़े पर कि समझौता कर लो, समझौता कर लो। वो फाफामऊ चौकी पर सिपाही हैं। अभियुक्त बबली सिंह हमारे घर के पास के ठाकुर परिवार से हैं, पुलिस दरोग़ा सब की बनती थी उनसे। बोलती थीं कुछ नहीं कर पाएंगे, बोली कोई कुछ नहीं कर पाएगा हमारा। इंस्पेक्टर भी थे उनके साथ। वो कहते थे समझौता कर लो।"

मालूम हो कि एफ़आईआर में भी थानाध्यक्ष फाफामऊ राम केवल पटेल और सिपाही सुशील कुमार सिंह पर सुलह करने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया गया है। इसमे लिखा है "खुलेआम मुलज़िमों की मदद की जाती थी, और उपरोक्त पुलिस की शह पर इन लोगों ने ये नृशंस हत्या की।"

इस पूरे मामले में मोहनगंज गोहरी गांव में रहने वाले आकाश सिंह उनके पिता अमित सिंह और उनकी मां बबली सिंह के अलावा आठ और लोगों को नामज़द कर उन पर हत्या, एससी एसटी एक्ट का मामला दर्ज किया गया है। एफ़आईआर में नाबालिग़ के साथ सामूहिक दुष्कर्म का भी आरोप लगाया गया है, इसलिए मुक़दमे में पोक्सो एक्ट की धाराओं को भी शामिल किया गया है।

पुलिस का क्या कहना है?

प्रयागराज के एसएसपी सर्वश्रेष्ठ सिंह बुधवार को ही मौक़े पर पहुँचे और हत्याओं की जानकारी देते हुए कहा, "किन कारणों से यह घटना हुई है उसके बारे में अभी विस्तृत जानकारी आएगी। इसके अलावा भी जो जानकारी आई है, जो परिवार वालों से पता चला है और हमने भी रिपोर्ट में देखी है कि 2019 और 2021 में उन्होंने कुछ लोगों के ऊपर भूमि विवाद में, उन्होंने एससी एसटी का केस लिखवाया है।"

"वो केस लिखा गया है। उस केस में कारवाई नहीं होने का उन्होंने आरोप लगाया है जिसके बारे में भी हम लोग कठोर करवाई करेंगे। संदिग्ध लोगों को इनके नाम के आधार पर हम लोगों ने पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है और पूछताछ करके इस घटना की जानकारी जल्द ही सामने लाई जाएगी।"

सरकार क्या कर रही है?

इस मामले में शासन की ओर से जिलाधिकारी ने मृतक परिवार के परिजनों को 16 लाख 50 हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। इसके अलावा मृतक के परिजनों की सभी मांगों को पूरा करते हुए परिवार की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं।

विपक्ष ने कानून व्यवस्था पर उठाए सवाल

प्रयागराज की घटना के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इलाहाबाद में पीड़ित परिवार से मुलाकात की। इस दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस सरकार में गरीबों, दलितों एवं वंचितों की कोई सुनवाई नहीं है। आज संविधान दिवस है। न्याय संविधान का सबसे महत्वपूर्ण मूल्य है। मैं न्याय की लड़ाई के साथ हूं।

मीडिया के हवाले से मिली ख़बरों के आधार पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को उठाया। एक ट्वीट में उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने कहा "प्रयागराज में दलित परिवार लगातार पुलिस के चक्कर काटता रहा, पुलिस ने उनकी नहीं सुनी और बेखौफ़ गुंडों ने पूरे परिवार की हत्या कर दी। ‘बुल्डोजरनाथ’ से प्रदेश तो छोड़िए, पुलिस तक नहीं संभल रही है। हर ख़ौफ़नाक घटना में या तो पुलिस संलिप्त है या फिर बेपरवाह है।"

कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाया है। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के साथ ही समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने प्रयागराज के हत्याकांड को लेकर शनिवार को ट्वीट किया। दोनों नेताओं ने उत्तर प्रदेश की खराब कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार पर करारा प्रहार किया है।

प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार भी समाजवादी पार्टी के नक्शेकदम पर चल रही है। प्रयागराज की घटना यूपी की कानून व्यवस्था का सच बता रही है। दबंगों ने एक दलित परिवार के चार लोगों की निर्मम हत्या कर दी। इस घटना ने योगी आदित्यनाथ सरकार के सारे दावों की पोल खोल दी है।

उन्होंने इस मामले को शर्मनाक बताते हुए कहा कि इस घटना के बाद सबसे पहले बाबूलाल भांवरा के नेतृत्व में पहुंचे बसपा के प्रतिनिधिमण्डल ने बताया कि प्रयागराज में दबंगों का जबरदस्त आतंक है। जिसके कारण ही यह घटना भी हुई है। बसपा की मांग है कि प्रदेश सरकार सभी दोषी दबंगों के विरुद्ध सख़्त कानूनी कार्रवाई करे।

वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस हत्याकांड को लेकर एक ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद के फाफामऊ में दबंगों ने चार दलितों की हत्या कर दी है। यह घटना तो दलित विरोधी भाजपा सरकार पर एक और बदनुमा दाग है, घोर निंदनीय है। उम्मीद है यह सभी अपराधी बिना चश्मे के भी दिख जाएंगे।

प्रदेश में दलितों- महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के आंकड़े

अगर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी यानी के आंकड़ें देखें  तो साल 2020 में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अपराध में बढ़ोत्तरी हुई है। इन दो समुदायों के खिलाफ यूपी और मध्य प्रदेश में अपराध के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। एनसीआरबी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल देशभर में अनुसूचित जातियों यानी एससी के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए 50,291 मामले दर्ज किए गए, जो साल 2019 की तुलना में इन अपराधों में 9.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। वहीं, अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ अपराध करने के लिए कुल 8,272 मामले दर्ज किए गए, जो 2019 की तुलना में 9.3% (7,570 मामले) की वृद्धि दर्शाते हैं। दर्ज की गई अपराध दर 2019 में 7.3 से बढ़कर 2020 में 7.9 हो गई।

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में साल 2020 में एससी के खिलाफ हुए अपराधों के सबसे अधिक 12,714 मामले यानी कुल 25.2 प्रतिशत उत्तर प्रदेश से थे। जबकि साल 2019 के दौरान भारत में अनुसूचित जाति/जनजाति (एससी/एसटी) समुदाय के लोगों के खिलाफ अपराध के कुल 45,935 मामले दर्ज किए गए, जिसमें से 11,829 मामले अकेले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए थे। ये आंकड़ें दर्शाते हैं कि साल दर साल राज्य में दलितों के खिलाफ अपराध के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।

वहीं अगर साल 2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराध का डेटा देखें तो इसमें कुल 405,861 मामले दर्ज हुए, जिसमें से 59,853 मामले अकेले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए थे। यह संख्या देश में कुल मामलों का 14.7 फीसदी है, जो कि किसी भी राज्य की तुलना में सर्वाधिक था। जाहिर है प्रदेश में भले ही 'रामराज' का ज़ोर-शोर से दावा हो लेकिन कानूनराज के मामले में आज भी योगी सरकार विफल ही नज़र आती है। कभी खुद समाजवादी पार्टी को इस मुद्दे पर घेर कर सत्ता से बाहर करने वाली बीजेपी आज खुद भी कानून व्यवस्था पर ही सबसे ज्यादा फज़ीहत झेल रही है।

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