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यूपी: “अपने हक़ के लिए डटे रहेंगे”, नोएडा अथॉरिटी के बाहर किसान सभा की ‘महापंचायत’

पिछले 25 अप्रैल से हज़ारों किसान नोएडा अथॉरिटी के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं, जिसमें आगे की रणनीति के लिए एक महापंचायत का आयोजन किया गया।
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पूरे देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी लगातार किसान अपने हक़ के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। इसी कड़ी में 2 मई यानी मंगलवार के दिन किसान सभा ने तमाम संगठनों को इकठ्ठा कर ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के बाहर महापंचायत का आयोजन किया। महापंचायत में किसानों की ओर से ये संदेश दिया गया कि अगर शासन-प्रशासन ने उनकी मांगें नहीं मानी तो आगे ये बहुत बड़ा आंदोलन होगा, जिसका हर्जाना सरकार को भुगतना पड़ सकता है।

किसानों का ये प्रदर्शन पिछले 25 अप्रैल से लगातार चल रहा है, और अब इसे अनिश्चितकालीन प्रदर्शन में तब्दील कर दिया गया है। आपने जिस तर्ज पर दिल्ली-यूपी के बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन देखा था, ठीक वैसे ही किसान यहां भी डट चुके हैं। किसानों के मुताबिक़ सिर्फ़ ग्रेटर नोएडा में स्थित क़रीब 39 गावों के किसान इस प्रदर्शन में शामिल हुए हैं जिसमें एक बड़ी संख्या महिलाओं की भी है, इसके अलावा भारी संख्या में बुजुर्गों को भी इस प्रदर्शन में देखा जा सकता है।

किसान अपनी ज़मीन के सर्किल रेट समेत मुआवज़े की मांग को लेकर यहां कितने अडिग हो चुके हैं, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है, कि प्रदर्शन स्थल पर ही खाने-पीने की व्यवस्था भी कर दी गई है। आइए जानते हैं कि नोएडा अथॉरिटी को घेरे बैठे किसानों की प्रमुख मांगें क्या हैं?

ये जानने के लिए हमने किसान सभा के प्रवक्ता डॉ. उमेश वर्मा से बात की, उन्होंने बताया, "हमारी मांगें, किसानों को 10 प्रतिशत आबादी प्लॉट तुरंत दिलवाना है और साथ ही सर्किल रेट का 4 गुना मुआवज़ा - 24000 प्रति वर्ग मीटर - घोषित करवाना है।" डॉ उमेश वर्मा ने कहा कि, "हम लोग किसान सभा के नेतृत्व में इस आंदोलन को कर रहे हैं, इसमें अलग-अलग कामों के पीड़ित किसान शामिल हैं। हम लगातार 25 अप्रैल से यहां प्रदर्शन कर रहे हैं। हम तब तक यहां रहेंगे, जब तक हमारी समस्या हल नहीं हो जाती।"

इसके बाद हमने प्रदर्शन में शामिल एक आम किसान वेदपाल से बातचीत कर समझने की कोशिश की, कि इस प्रदर्शन में वे नेताओं के साथ कैसे डटे रहते हैं। इस पर उन्होंने बताया कि "अपनी परेशानियों को लेकर यहां बड़ी संख्या में माताएं और बहनें आईं हुई हैं, जिसके कारण हमें बहुत ज़्यादा साहस मिल रहा है, ऐसे में अब हम भी अपने हक़ के लिए डटकर खड़े रहेंगे, और जब तक हमारी मांगें नहीं मान ली जाती, तब तक प्रदर्शन खत्म नहीं होगा।"

आपको बता दें कि किसान सभा के नेतृत्व में चल रहे इस अनिश्चितकालीन प्रदर्शन में कई किसान संगठन भी जुड़े हैं। इसके अलावा कई राजनीतिक दल भी इसका समर्थन कर रहे हैं। प्रदर्शन में समाजवादी पार्टी के पूर्व ज़िलाध्यक्ष भी शामिल थे। वहीं मज़दूरों और वर्करों के कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाला सीटू भी किसानों के इस प्रदर्शन में अपना पूरा समर्थन दे रहा है। हमने सीटू के ज़िलाध्यक्ष गंगेश्वर दत्त शर्मा से बातचीत की। उन्होंने कहा, "इस प्रदर्शन में 39 गावों के किसान और बड़ी संख्या में महिलाओं ने हिस्सेदारी की है, ये किसान महापंचायत किसानों की विभिन्न मांगों और मुद्दों को लेकर हो रही है, किसानों की प्रमुख मांगें ये हैं कि आबादी की परेशानी का निस्तारण किया जाए, बैकलीज़ की जाए, जिन किसानों को भूखंड नहीं मिले हैं, उन्हें दिए जाएं। क्षेत्र के युवाओं को रोज़गार की नीति बनाकर रोज़गार दिए जाएं। स्थानीय बच्चों को यहां के स्कूलों में प्राथमिकता दी जाए। स्वास्थ्य और शिक्षा की निःशुल्क व्यवस्था कराई जाए। भूमिहीन किसानों को 40 वर्गमीटर का प्लॉट दिया जाए। अखिल भारतीय किसान सभा की अगुवाई में तमाम मुद्दों को लेकर हमारा संघर्ष है। 25 अप्रैल से यहां रात-दिन अनिश्चितकालीन धरना चल रहा है, अगर सरकार नहीं मानी, तो जैसे दिल्ली में प्रदर्शन हुआ था, वैसा ही प्रदर्शन यहां भी करेंगे।"

इस प्रदर्शन में एडवोकेट सुरेंद्र सिंह भी शामिल हुए थे जो किसानों की मांग को सही ठहराकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे थे। जब न्यूज़क्लिक ने सुरेंद्र सिंह से बात की, तब उन्होंने बताया, “1991 से ग्रेटर नोएडा, ज़मीन का अधिग्रहण करता आ रहा है, इसमें जो ज़मीन के मुआवज़े को लेकर बात उठी, बसपा सरकार के शरुआती कार्यकाल में घोड़ी बछेड़ा जैसे कांड के बाद किसानों की सुध हुई और मुआवज़े में वृद्धि हुई। हालांकि वो मुआवज़ा कम था, लेकिन क्षेत्र के विकास के नाम पर किसानों ने ये बात मान ली। इसके बाद भट्टा परसौल की घटना हुई तो 2012 में सपा सरकार के द्वारा मुआवज़े की राशि को 1600 रुपये बढ़ाया गया। किसानों ने इसका विरोध किया, मामला सुप्रीम कोर्ट गया, फिर इस वृद्धि को 3500 रुपये किया गया। प्राधिकरण को 2400 सर्किल रेट पर चार गुना मुआव़ज़ा देना चाहिए। इसके अलावा कानून कहता है कि विकसित भूमि का 20 प्रतिशत दिया जाए, ताकि 10 प्रतिशत भूमि आवासीय और 10 प्रतिशत कॉमर्शियल के लिए इस्तेमाल हो सके।”

किसानों के इस प्रदर्शन में महिलाओं की संख्या भी काफ़ी ज़्यादा थी, और इन महिलाओं की चिंताएं साफतौर पर बच्चों के भविष्य को लेकर दिखाई पड़ रही थी। एक महिला किसान ने हमसे बातचीत में बताया कि, "इस धरने में महिलाएं काफ़ी संख्या में उपस्थित हैं और आगे भी रहेंगी। ये धरना सिर्फ़ किसानों का नहीं बल्कि महिलाओं के मुद्दों का भी है। महिलाएं अपने और अपने बच्चों की शिक्षा के लिए, उनके रोज़गार के लिए और उनके अच्छे भविष्य के लिए शामिल हुई है, क्योंकि माताएं-बहने अपने बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकती हैं। अगर हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो भारी से भारी संख्या में हम लोग प्रदर्शन में शामिल होंगे और इसे आगे बढ़ाने की रणनीति बनाएंगे।"

ये कहना ग़लत नहीं होगा कि, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के बाहर किसान जिस तरह से डटे हुए हैं, वो सरकार को परेशान कर सकता है क्योंकि यहां मौजूद किसानों का दावा है कि पिछले कई आंदोलनों की तरह सरकार को झुकना होगा और इनकी मांगें माननी होंगी। आख़िर क्या हैं किसानों का प्रमुख मांगें, एक नज़र डाल लेते हैं:

* वंचित किसानों को 10 प्रतिशत आबादी प्लॉट तुरंत दिया जाए

* सर्किल रेट का 4 गुना मुआवज़ा, 24000 रुपये प्रति वर्ग मीटर, घोषित किया जाए

* आबादी के मामलों का निस्तारण करते हुए बैकलीज़ कराई जाए

* आवासीय योजनाओं में किसानों का दोनों तरह का कोटा बहाल किया जाए, रोज़गार नीति लागू कर स्थानीय युवाओं को कंपनियों में रोज़गार तय किए जाएं

* किसानों और उनके परिवार को निःशुल्क शिक्षा एवं चिकित्सा की सुविधा नीति लागू की जाए

* भूमिहीन परिवारों को 40 वर्ग मीटर आबादी के प्लॉट दिए जाएं।

आपको बता दें कि पिछली 25 अप्रैल से चल रहा ये अनिश्चितकालीन प्रदर्शन अब प्रशासन को परेशान करने लगा है, जिसका सुबूत ये है कि आज प्रशासन ने किसानों के डेलिगेट को ख़ुद मिलने बुलाया था। इसका कारण 2 मई 2023 को हुई विशाल महापंचायत को माना जा रहा है। इस महापंचायत में धरना स्थल पर स्थानीय किसानों एवं ग्रामीण महिलाओं ने हज़ारों की संख्या में हिस्सा लिया।

किसानों के समर्थन में सीटू ज़िलाध्यक्ष गंगेश्वर दत्त शर्मा, सीटू नेता लता सिंह, राजकरण सिंह, रामस्वारथ,धर्मपाल चौहान, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति के नेता चंदा बेगम, आशा यादव, रेखा चौहान के नेतृत्व में जनवादी महिला समिति व सीटू कार्यकर्ताओं ने किसान महापंचायत में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। महापंचायत में कई राजनीतिक दलों एवं संगठनों के कार्यकर्ताओं व नेताओं ने हिस्सा लिया और पंचायत को संबोधित किया। किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान सभा के ज़िला संयोजक वीर सिंह नेताजी व ज़िला प्रवक्ता डॉ. रुपेश वर्मा ने कहा कि जब तक किसानों की समस्याओं का संपूर्णता में समाधान नहीं होगा आंदोलन जारी रहेगा।

किसान महापंचायत को किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव बीजू कृष्णन, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष व पूर्व विधायक कृष्णा प्रसाद, केंद्रीय कमेटी सदस्य पुष्पेंद्र त्यागी, और मनोज कुमार ने संबोधित किया। इसके अलावा महापंचायत की अध्यक्षता जगदीश नंबरदार ने की और संचालन जगबीर सिंह ने किया।

ऐसे में अब आगे देखना होगा कि किसान अपने हक़ की लड़ाई में कितना सफल होते हैं।

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