यूपीः योगी सरकार पर अभ्यर्थियों ने लगाया शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले का आरोप
बीते वर्ष उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अभ्यर्थियों ने सहायक शिक्षक भर्ती में एससी तथा ओबीसी वर्ग में आरक्षण के कथित घोटाले तथा रिक्त पदों पर भर्ती को लेकर योगी सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन किया। ये अभ्यर्थी मुख्यमंत्री आवास से लेकर बेसिक शिक्षा मंत्री के घर तक अपनी मांगों के लेकर प्रदर्शन करते रहे।
उनका कहना था कि यूपी में सहायक शिक्षक भर्ती में 1 लाख 37 हज़ार पदों की भर्ती होनी थी लेकिन सरकार ने मई 2017 में इस भर्ती प्रक्रिया के पहले चरण में सरकार ने 68,500 पदों में से करीब 42 हजार भर्ती की गई और करीब 26 हजार से अधिक पद रिक्त रह गए थे।
वर्ष 2018 के दिसंबर महीने में सरकार ने इस भर्ती प्रक्रिया के दूसरे चरण में 69 हजार पदों की भर्ती निकाल कर 68 हजार से अधिक अभ्यर्थियों की भर्तियां की लेकिन पहले चरण में हुई भर्ती के दौरान शेष 26 हजार पदों पर भर्तियां नहीं हुईं।
जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो वर्ष 2020 के जनवरी में शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार को आदेश दिया की 6 हफ्तों में खाली पदों का आंकलन कर 6 महीने के भीतर इस भर्ती को पूरा करने का काम करे लेकिन दिसंबर में प्रदर्शन के दौरान अभ्यर्थियों का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को दिए गए दो साल होने जा रहे हैं इसके बावजूद योगी सरकार ने रिक्त पदों पर भर्ती नहीं की।
शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के दूसरे चरण अर्थात 69 हजार शिक्षकों की भर्ती को लेकर अभ्यर्थियों का कहना था कि दूसरे चरण में सरकार ने 69 हजार रिक्तियां निकाली। इसके लिए 6 जनवरी 2019 को परीक्षा हुई। इसमें अनारक्षित का कटऑफ 67.11 फीसदी था जबकि ओबीसी का कटऑफ 66.73 फीसदी था। इस भर्ती के तहत अब तक करीब 68 हजार लोगों को नौकरी मिल चुकी है।
69 हजार भर्ती में आरक्षण घोटाले को लेकर प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना था कि बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 में स्पष्ट है कि कोई ओबीसी वर्ग का अभ्यर्थी अगर अनारक्षित श्रेणी के कटऑफ से अधिक नंबर प्राप्त करता है तो उसे ओबीसी कोटे की बजाय अनारक्षित श्रेणी में नौकरी मिलेगी अर्थात वह आरक्षण के दायरे में आने का पात्र नहीं है।
प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना था कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% की जगह केवल 3.86% ही आरक्षण मिला अर्थात ओबीसी वर्ग को 18598 सीट में से मात्र 2637 सीट ही मिली। इस पर सरकार का कहना था कि करीब 31 हजार ओबीसी वर्ग के लोगों की नियुक्ति की गई। सरकार के इस बयान पर अभ्यर्थियों का कहना था कि बेसिक शिक्षा नियमावली-1981 का और आरक्षण नियमावली 1994 के अनुसार ओबीसी वर्ग के जिन 31 हजार लोगों को नौकरी दी गई उनमें से करीब 29 हजार अनारक्षित कोटे से सीट पाने के हकदार थे। आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना था कि हमें 29 हजार ओबीसी वर्ग के लोगों को आरक्षण के दायरे में नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
ऐसा ही मामला एससी वर्ग को लेकर था। अभ्यर्थियों का आरोप था कि शिक्षकों की 69 हजार भर्ती में से एससी वर्ग को भी 21% की जगह मात्र 16.6% आरक्षण मिला। अभ्यर्थियों का दावा था कि 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में करीब 19 हजार सीटों का घोटाला हुआ।
यूपी के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सतीश चन्द्र द्विवेदी ने घोषणा की था कि 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण की प्रक्रिया में विसंगति से प्रभावित आरक्षित वर्ग के लगभग 6 हजार अभ्यर्थियों की भर्ती की जाएगी तथा इसके अलावा 17 हजार रिक्त पदों पर नयी भर्ती होगी।
इस पर अभ्यर्थियों का कहना था कि सरकार ने 6 हजार सीटों का आरक्षण घोटाला मान लिया तभी वह आरक्षित वर्ग के लोगों की भर्ती कर रहे हैं लेकिन यह घोटाला 19 हजार सीटों का है ऐसे में हमें यह 6 हजार सीटें नहीं चाहिए बल्कि अनारक्षित की कट ऑफ 67.11 के नीचे ओबीसी को 27% (18598 सीट ) तथा एससी वर्ग को 21% (14490 सीट) का कोटा पूरा किया जाए।
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