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विधायक अमनमणि को ज़मानत मिली, 14 दिन के लिए पृथक-वास में रखे गये

महराजगंज के नौतनवां से निर्दलीय विधायक अमनमणि को उनके सात साथियों के साथ सोमवार रात बिजनौर में लॉकडाउन का उल्लंघन करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
विधायक अमनमणि

लखनऊ : कोरोना के दौरान लॉकडाउन का उल्लंघन करने के मामले में बिजनौर की एक अदालत ने मंगलवार को निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी और उनके सात साथियों को ज़मानत दे दी है। अदालत से जमानत मिलने के बाद भी विधायक अमनमणि और उनके साथी घर नहीं जा पायंगे और उन्हें और उनके सात साथियों को 14 दिन के लिये पृथक-वास में रखा गया है ।

बिजनौर के अपर पुलिस अधीक्षक लक्ष्मी निवास मिश्र ने 'भाषा' को फोन पर बताया कि विधायक समेत सभी लोगों के कोरोना वायरस जांच हेतु सैम्पल लिए जाने के बाद उन्हें 14 दिन के लिये पृथक-वास में रखा गया है।

एएसपी मिश्र ने बताया कि महराजगंज के नौतनवां से निर्दलीय विधायक अमनमणि को उनके सात साथियों के साथ सोमवार रात बिजनौर में लॉकडाउन का उल्लंघन करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। मंगलवार को विधायक अमनमणि के साथ गिरफ्तार सात समर्थकों को अदालत में पेश किया गया। उनके वाहनो का पुलिस ने चालान कर दिया।

गौरतलब है कि उत्तराखंड से लौटते समय बिजनौर के नजीबाबाद में आठ साथियों के साथ अमनमणि को गिरफ्तार कर लिया गया था। नजीबाबाद-कोटद्वार रोड पर समीपुर नहर पुल के पास पुलिस ने वीआईपी गाडिय़ों को चेकिंग के लिए रोक लिया। एक गाड़ी में अमरमणि त्रिपाठी के पुत्र जनपद महाराजगंज की नौतनवा विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी सवार थे। अन्य तीन गाडिय़ों में समर्थक थे। जब पुलिस ने उनसे पास मांगा तो वह दिखा न सके। पुलिस ने उन्हें समर्थकों के साथ लॉकडाउन उल्लंघन में गिरफ्तार कर लिया।

इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने विवादास्पद निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी को उत्तराखंड जाने के लिए अपने स्तर से अनुमति दिए जाने से सिरे से इनकार करते हुए कहा है कि इस मामले को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ जोड़ना आपत्तिजनक है।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि महराजगंज जिले के नौतनवा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी के बारे में मीडिया की रिपोर्ट बता रही है कि उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तराखंड जाने के लिए अधिकृत किया था। यह सरासर गलत है।

उन्होंने कहा "इस बारे में स्पष्ट किया जाता है कि उन्हें न तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने और ना ही राज्य सरकार ने अधिकृत किया था। त्रिपाठी अपने कृत्यों के लिए खुद जिम्मेदार हैं और उनके द्वारा तथ्यों को भ्रामक रूप से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ जोड़ना आपत्तिजनक है।" गौरतलब है कि त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता के अंतिम संस्कार के बाद की प्रक्रिया निभाने का दावा करते हुए कथित रूप से उत्तराखंड प्रशासन से पास बनवाया था।

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