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अमेरिका ने यूएनएससी को ईरान के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को लेकर लिखे पत्र को वापस लिया

डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने पिछले साल सितंबर में दावा किया था कि अंंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध एक बार फिर प्रभावी हो गए हैं। अमेरिका के इस प्रस्ताव को यूएनएससी ने खारिज कर दिया था। अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को साल 2015 के प्रस्ताव 2231 के तहत वापस ले लिया गया था।
अमेरिका ने यूएनएससी को ईरान के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को लेकर लिखे पत्र को वापस लिया

पिछले महीने ट्रम्प प्रशासन द्वारा ईरान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध को फिर से लागू करने के लिए यूनाइटेड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल को लिए गए तीन पत्रों को अमेरिका ने गुरुवार 18 फरवरी को वापस ले लिया है जिससे ज्वाइंट कम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (जेसीपीओए) या ईरान परमाणु समझौता में फिर से शामिल होने का रास्ता साफ हो सकता है।

राष्ट्रपति जो बाइडन की ओर से संयुक्त राष्ट्र में कार्यवाहक अमेरिकी राजदूत रिचार्ड मिल्स ने यूएनएससी को पत्र भेजकर पिछले साल सितंबर में भेजे गए पत्रों को वापस लेने की घोषणा की। इस पत्र में कहा गया है कि ईरान के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को यूएनएससी प्रस्ताव 2231 द्वारा परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद 2015 में समाप्त कर दिया गया था जो अब समाप्त रहेगा।

साल 2018 में एकतरफा तरीके से समझौते से हटने और कई एकतरफा प्रतिबंध लगाने के बाद ट्रम्प प्रशासन ने ईरान के कई उल्लंघनों का दावा करते हुए संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लगाने की कोशिश की। हालांकि, यूएनएससी में 15 में से 13 सदस्यों ने यह कहते हुए प्रस्ताव को खारिज कर दिया कि मई 2018 में समझौते से हटने के बाद से अमेरिका इस समझौते का सदस्य नहीं रहा। जेसीपीओए के प्रावधानों के अनुसार इस समझौते में केवल भागीदार फिर से लागू करने के लिए कह सकता है।

ईरान ने पिछले सप्ताह यह भी घोषणा की है कि वह इस समझौते के तहत ईरान की परमाणु गतिविधियों की निगरानी के लिए तैनात आईएईए निरीक्षकों के साथ अपने सहयोग को रोकेगा। हालांकि, इसने यह फिर कहा है कि इस समझौते में अमेरिका के फिर से शामिल होने और ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों के हटाने के कुछ घंटों के भीतर ये सभी निर्णय वापस लिए जा सकते हैं।

राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रचार के दौरान जो बाइडन ने इस समझौते में फिर से शामिल होने का इरादा जाहिर किया था। हालांकि, पद ग्रहण करने के बाद से सेक्रेट्री ऑफ स्टेट एंथनी ब्लिंकन ने कहा है कि इस समझौते में अमेरिका के फिर शामिल होने की प्रक्रिया लंबी है। उन्होंने ईरान से इस समझौते के लिए अपनी सभी प्रतिबद्धताओं पर पुनः लौटने की भी मांग की है। ज्ञात हो कि बाइडन जब उप राष्ट्रपति थें तो इस समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस के उस बयान के बाद जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका गतिरोध को समाप्त करने की प्रक्रिया पर बातचीत करने के लिए ईरानी अधिकारियों और अन्य विश्व शक्तियों से बैठक करने को तैयार है ऐसे में गुरुवार को लिए गए फैसले को एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है।

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