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अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ से आंशिक रूप से सेना की वापसी की घोषणा की

डोनाल्ड ट्रम्प ने 25 दिसंबर तक अफ़ग़ानिस्तान से सभी सैनिकों की वापसी की अपनी पूर्व घोषणा के लिए अपने प्रशासन के भीतर विरोध का सामना किया।
America

पेंटागन ने मंगलवार 17 नवंबर को अफगानिस्तान और इराक से सैनिकों की संख्या में कटौती की घोषणा की। कार्यवाहक रक्षा सचिव क्रिस मिलर ने इसकी घोषणा की जिसके अनुसार अगले साल 15 जनवरी तक अफगानिस्तान से लगभग 2000 और इराक से लगभग 500 सैनिकों को वापस बुलाया जाएगा।

मिलर के अनुसार सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान और इराक में अमेरिकी सैनिकों की संख्या प्रत्येक देश में 2,500 हो जाएगी। वर्तमान में अफगानिस्तान में अमेरिका के लगभग 4,500 सैनिक हैं। इराक में अमेरिकी सैनिकों की संख्या लगभग 3,000 है। मिलर के अनुसार इन सैनिकों को वापस लाने का फैसला राष्ट्रपति ट्रम्प के अफगानिस्तान और इराक में "निरंतर युद्ध"को समाप्त करने के वादे के अनुसार है।

ट्रम्प प्रशासन ने इस साल फरवरी में तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था जिसके अनुसार वह 14महीनों के भीतर इस देश से अपने सभी सैनिकों को वापस लेने पर सहमत हो गया था। यूएस ज्वाइंट चीफ स्टाफ चेयरमैन जनरल मार्क मिले ने पिछले महीने ट्रम्प के ट्वीट को सार्वजनिक रूप से काउंटर किया था जिसमें ट्रम्प ने घोषणा की थी कि अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिक क्रिसमस के लिए घर पर होंगे। मिले ने कहा था कि अफगानिस्तान से सेना की वापसी इंट्रा-अफगान वार्ता की सफलता के शर्त पर और धीरे धीरे होगी।

इराक युद्ध के दिग्गज मिलर को पिछले हफ्ते पेंटागन के प्रमुख के रूप में उस समय नियुक्त किया गया था जब ट्रम्प ने रक्षा सचिव मार्क एस्पर को निकाल दिया था जिन्होंने अफगानिस्तान से पूरी तरह से वापसी का विरोध किया था। 9 नवंबर को अपनी नियुक्ति के तुरंत बाद मिलर ने घोषणा की थी कि "अब [अमेरिकी सैनिकों के लिए] घर आने का [अफगानिस्तान से] समय आ गया है।"

इराक में अमेरिका को दबाव बढ़ने के कारण अपने सैनिकों की संख्या कम करने के लिए मजबूर किया गया है। प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कदीमी के नेतृत्व वाली नई सरकार जनवरी में इराकी संसद द्वारा पारित एक प्रस्ताव का पालन करने के लिए बाध्य है जिसमें देश से सभी विदेशी सैनिकों को वापस हटाने की मांग की गई है। 3 जनवरी को बगदाद हवाई अड्डे के पास अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी और इराकी मिलिशिया समूह के नेता अबू महदी अल मुहंदिस की हत्या के बाद ये प्रस्ताव लाया गया था। तब से इराक के विभिन्न ठिकानों पर तैनात यूएस सैनिक पर इराकी मिलिशिया द्वारा निशाना बनाया गया। अमेरिका अपने सैनिकों को दूरदराज के ठिकानों से बगदाद फिर से भेजती रही और सितंबर तक इनकी संख्या 5,200से घटाकर 3000 कर दी।

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