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वक़्त आ गया है कि अमरीका इज़राइली हिंसा की फंडिंग बंद करे 

निर्दोषों की मौतें खरीदने के अलावा अमेरिकियों के अरबों डॉलर करों का और क्या उपयोग हो सकता है?
वक़्त आ गया है कि अमरीका इज़राइली हिंसा की फंडिंग बंद करे 
गाजा सिटी में 15 मई 2021 को इजराइली हवाई हमलों में ध्वस्त एसोसिएट प्रेस और अन्य मीडिया हाउस के दफ्तरों की इमारतें 

2020 के अंत में जब कोरोना वायरस से उत्पन्न महामारी कई देशों की आबादी का लगातार नाश कर रही थी, इजराइल सफलता की एक कहानी के साथ सामने आया। उसने अपनी 9 मिलियन की आबादी को वैक्सीन की कई खुराक दी। ऐसा करने वाला वह चीन, अमेरिका और ब्रिटेन के बाद विश्व के कई देशों की तुलना में आगे हो गया। आज इजराइल की 60 फीसद से अधिक आबादी का टीकाकरण हो चुका है। यह दर अमेरिका की तुलना में 20 फीसद अधिक है, जबकि वह दुनिया के किसी भी देश की तुलना में इजराइल को सबसे अधिक विदेशी सहायता देता है। 

इजराइल अमेरिका की विदेशी सहायता से  सबसे ज्यादा लाभ उठाने वाला देश है और उसके यहां नवजात मृत्यु दर एवं मातृ-मृत्यु दरें  अमेरिका की तुलना में काफी कम हैं।  संभवत: यह उसके अपने नागरिकों को मुहैया कराई गई सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा का प्रतिफल है। दरअसल, 1995 में इजराइल विश्व का आखिरी से पहले एक विकसित देश हो गया, जिसने अपने सभी नागरिकों को पूरी तरह बीमित किया हुआ है। ऐसा करते हुए उसने इस पृथ्वी के सबसे धनी देश अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है, जिसने स्वास्थ्य देखभाल के मामले में अपने नागरिकों को उनके हाल पर छोड़ा हुआ है। एक विशेषज्ञ सी.जे. वेरलेमैन का कहना है कि “इजराइल अपने सभी नागरिकों को स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा प्रदान कर सकता है क्योंकि अमेरिकी करदाता अपनी सेना के लिए कर चुकाते हैं।” 

आज इजराइल फिर से सुर्खियों में लौट आया है, लेकिन कोविड-19 को मात देने में मिली अपनी उपलब्धियों के कारण नहीं, बल्कि अत्याधुनिक हथियारों के इस्तेमाल से फिलिस्तीनियों की मृत्यु दरें बढ़ाने, खासकर बच्चों की जानें लेने में स्तब्धकारी सफलता की वजह से खबरों में छाया हुआ है। इजराइल ने एक क्षेत्र, जिसकी सीमाएं उसकी दखल में है, के अंदर घिरे फिलिस्तीनियों पर क्रूरता के साथ ताबड़तोड़ हवाई हमले किए। इसके पहले भी इजराइल ने 2018 और इसके पहले 2014 में भी फिलिस्तीनियों पर हमले किए थे। वास्तविकता तो यह है कि इजराइल ने यह सब वैश्विक महामारी के दौरान किया है, जब समूचा विश्व एक दिखाई न देने वाले विषैले वायरस से होने वाली मौतों को लेकर चिंतित है। 

इजराइली सेना जिस अमेरिकी उदारता का फायदा उठाती है, उसका इस्तेमाल असहाय रूप से फंसी आबादी के सपनों और जिंदगी को कुचलने के लिए किया जा रहा है, जिसका एकमात्र बचाव स्वदेशी त्रुटिपूर्ण रॉकेट हैं और जिस पर एक उग्रवादी-अतिवादी समूह का कब्जा है। 

संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2016 में इजराइल के साथ 10 साल के लिए एक करार पर दस्तखत किया था। इसमें सैन्य सहायता के रूप में करदाताओं के कोष से 38 बिलियन डॉलर्स धन इजराइल को देने का वादा किया गया था जबकि उसके पास पहले से ही विश्व के सबसे अत्याधुनिक हथियार हैं और जिनसे उसकी सेना पूरी तरह से लैस है। यह सहायता राशि मोटे तौर पर "ऐतिहासिक रूप से काले, आदिवासी और अन्य अल्पसंख्यक सर्विंग अमेरिकी कॉलेजों में निम्न और मध्यम आय वाले छात्रों के दो ट्यूशन-मुक्त वर्ष" के बराबर है। और यह राशि अमेरिकियों के लिए पूरी तरह निशुल्क बनाये जाने वाले कम्युनिटी कॉलेजों पर आने वाली लागत से एक तिहाई अधिक है। लेकिन अमेरिकियों को निशुल्क कॉलेज शिक्षा दिलाने की बजाए करों में जमा किए वे डॉलर फिलिस्तीनियों के व्यापक संहार को ताकत दे रहे हैं। 

प्रो. सरी मकदिसि ने एक इंटरव्यू के दौरान मुझसे कहा कि “सचमुच अमेरिका से आने वाले हथियारों की खेप के बिना इजराइली भौतिक रूप से वह नहीं कर सकते, जो वह कर रहे हैं।” सरी इंग्लिश के प्रोफेसर हैं और यूसीएलए में तुलनात्मक साहित्य पढ़ाते हैं। वे फिलिस्तीन इनसाइड आउट : एन एवरीडे ऑक्यूपेशन किताब के लेखक भी हैं। एक अनुमान है कि अमेरिका ने इजराइल को कुल मिला कर लगभग 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स की सहायता दी है। यह धन कैलिफोर्निया के सभी छात्रों के एजुकेशन लोन से मुक्त कराने से कहीं ज्यादा है। इसके जरिये 40 लाख कैलिफोर्निया के नागरिकों को उनके वित्तीय फांस से मुक्त किया जा सकता है। 

हालांकि कॉरपोरेट मीडिया इकाई फिलिस्तीन पर इजराइली हमले को “विवाद”, “संघर्ष” और “टकरावों” जैसी शालीन व्यंजनाओं में देखता है। दरअसल, इस मसले को देखने का हमारा सही नजरिया यह होना चाहिए कि कैसे जनता से करों के रूप में वसूले गए अरबों डॉलर को शस्त्रीकरण में बरबाद किया जा रहा है। इससे भी बड़ा सवाल है कि क्या हम चाहते हैं कि हमारे टैक्स डॉलर्स का इस्तेमाल सैकड़ों फिलिस्तीनियों को मार गिराने में किया जाए या लाखों अमेरिकियों के कॉलेज के कर्ज की माफी देने में? यह बिलकुल सरल है। मकदिसि पूछते हैं, “हम क्यों अपना धन दूसरे को जंग छेड़ने देने में खर्च करें जबकि अमेरिका में लोग अपनी जायज जरूरतों को ही पूरी करने के लिए हलकान हो रहे हैं?” 

लॉस एंजिल्स टाइम्स में बेहतर तरीके से लिखे एक विश्लेषणात्मक लेख में कहा गया है कि “कन्फ्लिक्ट” के बारे में अमेरिकी एक अच्छा काम यह कर सकते हैं कि वह “इससे दूर रहो ” कह सकते हैं। फॉरवर्ड के नेशनल एडिटर रोब ऐशमैन अपने Op-ed पेज पर इजराइल को दी जाने वाली अमेरिकी सैन्य सहायता उल्लेख किये बिना ही पाठकों से पूछते हैं कि “क्या अकेले एक का पक्ष लेने से, लंबे समय बाद भी, हिंसा को समाप्त करने में मदद मिलती है?” ऐशमैन का सिद्धांत सही है, भले ही प्रासंगिक तथ्यों से बचने से उनके अपने पूर्वाग्रह का पता चलता है। संयुक्त राज्य अमेरिका इजराइल को सैन्य सहायता रोक कर इन सबसे “दूर रह” सकता है और फिलिस्तीनियों की अनवरत जारी हत्याओं का संभावित रूप से कट्टर विरोधी हो सकता है।

इजराइल को दी जा रही सैन्य सहायता इतनी पाक मानी जाती है कि अनेक विश्लेषकों और मीडिया पंडितों ने इसे अमेरिका के विदेशी संबंधों के एक स्वाभाविक आयाम के रूप में स्वीकार करते हुए इसे भरसक नजरअंदाज किया है। लेकिन  फिलिस्तीन के प्रति किये जाने वाले इजराइली आतंक को देखते हुए जिसे ह्यूमैन राइट वाच तक ने “रंगभेद” करार दिया है, अमेरिकी कोष का मुद्दा ऐसे किसी भी एक या सभी सवालों में अहम होना चाहिए कि कैसे हम गाजा में व्यापक पैमाने पर की जा रही हिंसा में एक सहयोगी हो रहे हैं और उसको बढ़ावा दे रहे हैं।

फिर भी, अमेरिकी सरकार के अधिकारी उस सैन्य सहायता का उपयोग कैसे किया जाता है, इस पर बेवजह ही इजराइल के फैसलों के अनुगामी रहते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्यों इजराइल गाजा में बम बरसा रहा है, जिसमें वह इमारत भी जमींदोज हो गई है, जिनमें एसोसिएटेट प्रेस जैसी मीडिया एजेंसियों के दफ्तर थे, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन ने कहा कि “हमले के तुरंत बाद हमने इसके औचित्य को लेकर अतिरिक्त ब्योरा देने का अनुरोध किया था। मैं देखता हूं कि मुझे इस बारे में अभी तक कोई सूचना नहीं दी गई है।” एक इजराइली प्रवक्ता ने औचित्य प्रतिपादन के उनके अनुरोध को खारिज करते हुए कहा, “हम लड़ाई के बीच में हैं। वह प्रक्रिया में है और मैं मुतमईन हूं कि सही समय पर इस बारे में सूचनाएं दे दी जाएंगी।” अपने मुख्य धनदाता का नाम खुद से बताने के लिए इजराइल के पास कोई प्रोत्साहन नहीं है क्योंकि अमेरिका अपने इसे सबसे बड़े लाभार्थी देश शायद ही कभी जवाबदेही की मांग की है। 

मकदिसि के अनुसार, इजराइल को अमेरिकी दी जा रही सहायता हालांकि व्यावहारिक अर्थों में बिना शर्त है, पर कानूनी तौर पर यह शर्तों से अलहदा नहीं है। उन्होंने कहा कि “अमेरिकी कानून में हथियारों के निर्यात को नियंत्रित करने वाले कुछ प्रावधान हैं। वह यह कि उनका नागरिक ठिकानों पर निशाना बनाने में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। जाहिर है कि युद्ध अपराध में उनका उपयोग नहीं हो सकता। हालांकि उनका उपयोग इन्हीं कामों में लगातार किया जा रहा है।”

केवल हाल के वर्षों में अमेरिकी विधि-निर्माताओं ने इजराइल से जवाबदेही की मांग की है।  2019 में, तब  राष्ट्रपति पद को उम्मीदवार सीनेटर बर्नी सैंडर्स (I-VT) ने कहा, “मेरे पास इजराइल के लिए यह समाधान है : “आप प्रति वर्ष 3.8 बिलियन डॉलर्स की मदद लेते हैं। अगर आप सैन्य सहायता चाहते हैं, तो आपको गाजा के लोगों के साथ अपने संबंध को बुनियादी रूप से बदलना होगा।” तब प्रतिद्वंदी उम्मीदवार जोए बाइडेन ने उनके इस समाधान को “अजीब” बताते हुए खारिज कर दिया था। अभी हाल में ही सैंडर्स ने op-ed, में एक लेख लिखा है, “हम इजराइल को हर साल करीब 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स की सहायता देते हैं,” और इसलिए, “हम लंबे समय तक दक्षिणपंथी नेतन्याहू सरकार और उनके अलोकतांत्रिक एवं नस्ली रवैये के प्रति क्षमाशील बने नहीं रह सकते।”

अब अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में, बाइडेन को कांग्रेस की महिला नेता राशिदा तलीबो (डी-एमआइ) के साथ प्रोग्रेसिव  हाउस डेमोक्रेट्स की तरफ से भी दबाव झेलना पड़ रहा है, जिन्होंने उनसे व्यक्तिगत मुलाकात कर मांग की कि अमेरिका से अवश्य ही फिलिस्तीनियों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए काम करे।  प्रतिनिधि अलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज (डी-एनवाइ) इजराइल को 735 बिलियन डॉलर्स मूल्य के हथियारों की बिक्री को रोकने की कोशिश की अगुवाई कर रहे हैं। रिप्रेंजेटेटिव बेट्टी मैक्कलम (डी-एफएल) ने फिलिस्तीनियों के अधिकारों के उल्लंघन में अमेरिकी सहायता के दुरुपयोग को रोकने के लिए अप्रैल में एक ऐतिहासिक विधेयक पेश किया है।

चूंकि इजराइली युद्धक विमानों ने गाजा में सघन आबादी वाले इलाकों में भीषण बमबारी की है, जिसमें परिवार का परिवार सफाया हो गया है। ऐसे में इजराइल पर बाइडेन की स्थिति में और मानवाधिकार को लेकर उनकी व्यक्त प्रतिबद्धता में बहुत अंतर है। मार्च में प्रकाशित उनके प्रशासन के अंतरिम राष्ट्रीय सुरक्षा सामरिक निर्देश के दस्तावेज में दावा किया गया है कि बाइडेन के नेतृत्व में अमेरिका, “मानवाधिकारों का बचाव करेगा और संरक्षण देगा। सभी रूपों में भेदभाव, असमानता और प्रभावहीनता का हल निकाला जाएगा।”  लेकिन उसी दस्तावेज में, बाइडेन ने अमेरिका की “इजराइल की हिफाजत को लेकर लौह-प्रतिबद्धता”  को दोहराया” इसका उल्लेख किए बिना कि इजराइल किस तरह फिलिस्तीनियों के मानवाधिकार को रोजाना कुचल रहा है। 

(यह लेख ग्लोबट्रॉटर द्वारा प्रस्तुत किया गया है। सोनाली “राइजिंग अप विद सोनाली” टेलीविजन और रेडियो कार्यक्रम की संस्थापक, मेजबान औऱ कार्यकारी निर्माता हैं, जो फ्री स्पीच टीवी चैनल और पैसिफिक रेडियो स्टेशन पर प्रसारित होता है। वह इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टिट्यूट में राइटिंग फेलो हैं।) 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

It’s Past Time to End U.S. Funding of Israeli Violence

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